कांग्रेस का गढ़ रही जालोर-सिरोही सीट पर 1999 के बाद नहीं मिली जीत, वैभव गहलोत पर दांव कितना होगा सटीक
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जालोर में बूटासिंह के बाद अस्थिर हुई कांग्रेस ने फिर खेला बड़ा दांव, वैभव गहलोत को उतार मैदान में
जालोर ( 12 मार्च 2024 ) सरदार बूटासिंह ने जालोर लोकसभा सीट की जो पहचान देशभर में बनाई, वो उसके बाद कांग्रेस कायम नहीं रख पाई। यही वजह रही कि लगातार पिछले चार चुनाव कांग्रेस जालोर सीट पर हारती आ रही है। इसी के चलते कांग्रेस ने इस बार यहां से बड़ा दांव खेला है। एक बार फिर से जालोर-सिरोही सीट से चेहरा बदलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को मैदान में उतारा है। हालांकि पिछली बार वैभव ने जोधपुर सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे। इस कारण इस बार इन्हें जालोर सीट पर मौका दिया जा रहा है। अपने इस दांव के जरिए कांग्रेस एक तीर से निशाना साधने में लगी है। वैभव के सामने भाजपा पहले ही लुम्बाराम चौधरी को उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। हालांकि जालोर में स्थानीय बाहरी के मुद्दे ने भी सियासी गर्मी बढ़ा दी है।
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए राजस्थान में 10 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिये हैं. कांग्रेस की 10 उम्मीदवारों की लिस्ट में अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत का नाम भी शामिल हैं. पिछली बार लोकसभा चुनाव 2019 में वैभव गहलोत को जोधपुर सीट से मैदान में उतारा गया था. लेकिन इस बाद जालोर-सिरोही लोकसभा सीट (Jalore-Sirohi Lok Labha Seat) के लिए वैभव गहलोत पर दांव लगाया गया है. आपको बता दें जालोर-सिरोही सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. लेकिन साल 1999 के बाद इस सीट पर कांग्रेस को लगातार चार बार हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वैभव गहलोत पर कांग्रेस का दांव सटीक होगा या नहीं. क्योंकि पिछली बार जोधपुर सीट पर वैभव गहलोत को हार का सामना करना पड़ा था.
जालोर-सिरोही लोकसभा सीट पर बीजेपी ने लुंबाराम चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है. लुंबाराम चौधरी सिरोही के निवासी है. ऐसे में वह इस सीट पर स्थानीय निवासी है. ऐसे में वैभव गहलोत के लिए इस सीट पर चुनौती (Vaibhav Gehlot vs Lumbaram Choudhary) कम नहीं है. वहीं बीजेपी पिछले चार चुनाव से लगातार जीत दर्ज करते आ रही है. हालांकि, 1999 तक इस सीट पर कांग्रेस के बूटासिंह का दबदबा था जिन्होंने यहां से 4 बार जीत दर्ज की है.
जालोर-सिरोही लोकसभा सीट पिछले 10 चुनाव का हाल
1984: सरदार बूटासिंह, कांग्रेस
1989: कैलाश मेघवाल, भारतीय जनता पार्टी
1991: सरदार बूटासिंह, कांग्रेस
1996: पारसाराम मेघवाल, कांग्रेस
1998: सरदार बूटासिंह, कांग्रेस
1999: सरदार बूटासिंह, कांग्रेस
2004: बी. शुशीला, भाजपा
2009: देवजी एम. पटेल, भाजपा
2014: देवजी एम. पटेल, भाजपा
2019: देवजी एम पटेल, भाजपा
जालोर-सिरोही सीट पर पिछले 10 लोकसभा चुनाव का परिणाम देखें तो यहां से 5 बार कांग्रेस और 5 बार बीजेपी ने जीत हासिल की है. कांग्रेस से 4 बार बूटासिंह और एक बार पारसाराम मेघवाल ने जीत हासिल की है. जबकि बीजेपी से तीन बार देवजी एम पटेल और एक बार बी शुशीला और एक बार कैलाश मेघवाल ने जीत हासिल की है. आपको बता दें इस सीट पर बाहरी उम्मीदवार के जीत का रिकॉर्ड रहा है.
जालोर-सिरोही सीट पर होगा स्थानीय और बाहरी का मुद्दा
बीजेपी ने जालोर-सिरोही सीट पर स्थानीय निवासी लुंबाराम चौधरी को टिकट दिया है. ऐसे में स्थानीय और बाहरी का मुद्दा उछाला जाएगा. हालांकि, इस सीट पर रिकॉर्ड रहा है कि हमेशा बाहरी उम्मीदवार ने चुनाव जीता है. ऐसे में वैभव गहलोत के लिए प्लस प्वाइंट होगा. लेकिन 2004 से बीजेपी यहां जीत दर्ज करते आ रही है तो अब इस सीट को बीजेपी के गढ़ के रूप में देखा जा रहा है. यहां 2009 से 2019 तक देवजी एम पटेल ने लगातार जीत हासिल की है. वहीं, 1999 तक बूटासिंह यहां से चुनाव जीतते आ रहे थे. लेकिन 2004 में बी शुशीला ने बूटासिंह को शिकस्त देकर इस सीट को बीजेपी के पाले में डाल दिया था. तब से यह सीट बीजेपी के पास ही है.
कांग्रेस के गढ़ पर बीजेपी का कब्जा
जालोर सीट अनुसूचित जाति आरक्षित होने तक यहां पर सरदार बूटासिंह ने कांग्रेस से कई बार चुनाव लड़ा और जीतकर देशभर में पहचान बनाई। लेकिन वर्ष 2004 के चुनाव में कांग्रेस के हाथ से गई जालोर सीट वापस कांग्रेस हासिल नहीं कर पाई है। यहां 2004 में सुशीला बंगारू ने कांग्रेस के बूटासिंह को हराया था। देश में सरकार कांग्रेस की बनी थी, लेकिन जालोर सीट कांग्रेस के बूटासिंह नहीं जीत पाए थे। इसके बाद परिसीमन में सामान्य हुई सीट पर भाजपा से देवजी एम पटेल लगातार तीन बार जीते।
यहां कांग्रेस ने हर बार अपना उम्मीदवार बदला, लेकिन विजयी नहीं मिली। 2009 में संध्या चौधरी, 2014 में उदयलाल आंजना और 2019 में रतन देवासी को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया, लेकिन कोई भी जीत नहीं पाया। इस कारण कांग्रेस ने लगातार चार हार के बाद इस बार फिर से चेहरा बदला है। वैभव गहलोत को उम्मीदवार घोषित किया है। वैभव भाजपा को कितनी टक्कर दे पाते है यह तो आने वाले परिणाम से ही पता चल पाएगा। हालांकि सीएम अशोक गहलोत की मारवाड़ में राजनीतिक पृष्ठभूमि मजबूत होने का लाभ वैभव को मिल सकता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो अब जालोर में चुनाव रोचक होता दिख रहा है। जालोर हॉटसीट बन चुकी है।
जोधपुर में मुश्किलें दिखी तो जालोर आए वैभव
दरअसल वैभव गहलोत का वर्ष 2019 में भी जालोर से नाम चला था। उस समय प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी, वैभव को जालोर के बजाय जोधपुर से उम्मीदवार बनाया गया, लेकिन वहां वैभव हार गए। इसके बाद इस बार पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोधपुर सीट पर मुश्किलें देखी। इसे देखते हुए वैभव गहलोत को जालोर सीट से उतारने का निर्णय लिया गया। जोधपुर सीट की बजाय कांग्रेस ने जालोर सीट वैभव गहलोत के लिए मजबूत मानी। लिहाजा पार्टी ने उन्हें यहां से उतारा है।
सभी जातियों से समझाइश के प्रयास
वैभव गहलोत को जालोर सीट पर उतारने को लेकर अशोक गहलोत ने सभी जातियों से पहले ही समझाइश के प्रयास किये। उन्होंने अपने सिपहसालार धर्मेंद्र राठौड़ को भेजकर संसदीय क्षेत्र के राजपूत समाज के बड़े घरानों से बातचीत की। साथ ही अलग अलग समाजों के प्रतिनिधि मंडलों से स्वयं अशोक गहलोत ने जयपुर में मुलाकात कर सहयोग का निवेदन किया। अब घोषणा के बाद वैभव जालोर सीट पर समीकरण अपने पक्ष में कैसे कर पाते है, यह आने वाले समय मे ही पता चल पाएगा।
जानकारी के लिए बता दें, पिछले चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर बीजेपी और सहयोगी दल रालोप के प्रत्याशियों की जीत हुई थी. कांग्रेस का खाता नहीं खुल सका था. ऐसे में पार्टी ने इस बार गुना-गणित करते हुए प्रत्याशी बदले हैं. जालोर सीट से कांग्रेस ने रतन देवासी को टिकट दिया था, लेकिन बीजेपी के देवाजी पटेल के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा. अब इस सीट के लिए कांग्रेस वैभव गहलोत पर दांव लगा रही है.
जालोर से पार्टी ने दिया इस्तीफा
इसबार पार्टी ने उन्हें जोधपुर के बदले जालोर से मैदान में उतारा है. अपने गढ़ में शर्मनाक हार के बाद अशोक गहलोत को अपने बेटे की हार के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था. उस वक्त राजस्थान के सीएम पर पुत्र मोह का आरोप लगा था. साल 2019 में भाजपा ने राज्य की सभी 25 संसदीय सीटों पर जीत हासिल की. बताया जा रहा है कि अब जूनियर गहलोत के राजनीतिक करियर को बढ़ावा देने के लिए गहलोत ने कांग्रेस कैंप पर दबाव भी बनाया है.
चुनाव लड़ने के लिए RCA से दिया था इस्तीफा
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत ने हाल ही में राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. अपने इस्तीफा पत्र में उन्होंने कहा था, “राजस्थान क्रिकेट संघ के अध्यक्ष पद से स्वेच्छा से इस्तीफा देता हूं. मुझे जानकारी मिली है कि मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश भी कर दिया है. इसके बाद सियासी गलियारों में चर्चा हो रही है कि वैभव ने राजस्थान से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस पद से इस्तीफा दिया.
वैभव गहलोत ने कांग्रेस को दिया धन्यवाद
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को कांग्रेस ने जालोर-सिरोही संसदीय क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा है. इसके लिए वैभव गहलोत ने पार्टी आलाकमान को धन्यवाद देते हुए सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट किया. वैभव गहलोत ने लिखा, ''लोकसभा चुनाव 2024 में जालोर-सिरोही संसदीय क्षेत्र से मुझे प्रत्याशी मनोनीत करने के लिए कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व का दिल से आभार.''
उन्होंने आगे लिखा, "मैं विश्वास दिलाता हूं कि आपके द्वारा जताए भरोसे को कायम रखूंगा. मैं क्षेत्र की जनता के आशीर्वाद एवं उज्ज्वल जालोर-सिरोही के प्रण के साथ दिन-रात पार्टी की विचारधारा के अनुरूप जनसेवा करते हुए क्षेत्र में कांग्रेस की विजय सुनिश्चित करूंगा."
JALORE NEWS
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