जालौर राजकीय अस्पताल की स्वच्छता पर सवाल: गंदगी में डूबी प्याऊ, स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट - JALORE NEWS
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जालौर राजकीय अस्पताल की स्वच्छता पर सवाल: गंदगी में डूबी प्याऊ, स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट - JALORE NEWS
जालौर ( 5 अक्टूबर 2024 ) जालौर के मुख्यालय स्थित सामान्य अस्पताल के बाहर लगी प्याऊ की दुर्दशा ने अस्पताल प्रशासन की स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मरीजों और उनके परिजनों के लिए पानी की इस महत्वपूर्ण सुविधा के आसपास गंदगी का अंबार लगा हुआ है, जिससे पानी पीने में उन्हें शंका हो रही है। यह स्थिति अस्पताल प्रशासन द्वारा स्वच्छता के दावों को पूरी तरह से झुठलाती हुई नजर आ रही है।
प्याऊ के आसपास फैली गंदगी: बीमारियों का खतरा
अस्पताल के बाहर लगी प्याऊ, जो मरीजों और उनके परिवारजनों के लिए स्वच्छ पेयजल का एकमात्र साधन है, उसकी हालत बेहद खराब हो गई है। गंदगी से घिरी इस प्याऊ पर किसी भी प्रकार की नियमित सफाई नहीं हो रही है, जिससे यह बीमारियों के फैलने का कारण बन सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अस्पताल प्रशासन को स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं की चिंता नहीं है?
गंदगी से घिरा पेयजल स्रोत:
प्याऊ के आसपास फैली गंदगी न केवल देखने में अस्वच्छ है, बल्कि यह जलजनित रोगों जैसे डायरिया, टाइफाइड, और अन्य बीमारियों का कारण भी बन सकती है।
मरीजों और परिजनों की परेशानी:
अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों और उनके साथ आए परिजनों के लिए यह प्याऊ एकमात्र जल स्रोत है। लेकिन गंदगी के चलते वे इसे इस्तेमाल करने से हिचक रहे हैं, जिससे उन्हें साफ पानी की तलाश में इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।
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पानी की नियमित जांच का अभाव:
सबसे बड़ी समस्या यह है कि प्याऊ में उपलब्ध पानी की गुणवत्ता की कोई नियमित जांच नहीं की जा रही है। अस्पताल प्रशासन इस महत्वपूर्ण सेवा की पूरी तरह से अनदेखी कर रहा है, जिससे मरीजों की सेहत पर और अधिक खतरे मंडरा रहे हैं।
अस्पताल प्रशासन की अनदेखी: स्वच्छता के दावे खोखले
राजकीय अस्पताल जालौर में स्वच्छता को लेकर प्रशासन के दावे अक्सर खोखले साबित होते रहे हैं। प्याऊ की नियमित सफाई न होना और पानी की गुणवत्ता की जांच न किए जाने से यह साफ हो जाता है कि अस्पताल प्रशासन अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहा है।
नियमित सफाई का अभाव:
प्याऊ की सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। न ही अस्पताल प्रशासन ने इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाए हैं।
स्वच्छता अभियान की पोल खुली: सरकार द्वारा स्वच्छता और स्वास्थ्य को लेकर चलाए जा रहे अभियानों की जालौर के इस अस्पताल में पोल खुल रही है। अस्पताल के बाहर की स्थिति देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंदर की स्थिति कैसी होगी।
बीमारियों के फैलने का खतरा
स्वच्छता की इस गंभीर कमी के चलते अस्पताल आने वाले मरीजों और उनके परिजनों के स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। गंदगी से भरे इस क्षेत्र में कई प्रकार की बीमारियों के फैलने की संभावना है।
जलजनित रोगों का खतरा:
प्याऊ के आसपास की गंदगी और पानी की गुणवत्ता की जांच न होने से जलजनित रोगों का खतरा बढ़ गया है। मरीज जो पहले से ही कमजोर होते हैं, उनके लिए यह स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है।
स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी:
अस्पताल में जहां लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलनी चाहिए, वहां इस प्रकार की गंदगी और अव्यवस्था उनके स्वास्थ्य को और अधिक नुकसान पहुंचा सकती है।
क्या प्रशासन जागेगा?
अब देखना यह है कि अस्पताल प्रशासन कब जागता है और प्याऊ की सफाई और पानी की जांच के लिए ठोस कदम उठाता है। जालौर के नागरिकों और मरीजों की ओर से मांग की जा रही है कि इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जाए, ताकि मरीजों और उनके परिजनों को साफ पानी उपलब्ध हो सके और बीमारियों से बचा जा सके।
स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाएं किसी भी अस्पताल का बुनियादी कर्तव्य होती हैं, लेकिन जालौर के इस अस्पताल की स्थिति देखकर यह स्पष्ट है कि प्रशासन इन दायित्वों का पालन करने में पूरी तरह विफल हो रहा है।
अब देखना होगा कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर कब कार्रवाई करता है, ताकि अस्पताल के बाहर कम से कम साफ पानी और स्वच्छता की बुनियादी सुविधा प्रदान की जा सके।
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