
सरकार को जल्द चुनाव कराने के निर्देश, प्रशासकों को हटाने का आदेश निरस्त
जयपुर/जालोर, 19 अगस्त 2025 –
राजस्थान हाईकोर्ट ने पंचायत और निकाय चुनावों में हो रही लगातार देरी पर कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को बड़ा झटका दिया है। अदालत ने कहा कि परिसीमन (Delimitation) के नाम पर चुनावों को अनिश्चितकाल तक टालना संविधान के खिलाफ है।
जस्टिस अनूप कुमार ढंड की सिंगल बेंच ने साफ निर्देश दिए कि पंचायतों और निकायों का कार्यकाल खत्म होने से पहले चुनाव कराना अनिवार्य है।
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि –
- संविधान के अनुच्छेद 243(ई) और पंचायत राज अधिनियम की धारा-17 में स्पष्ट है कि कार्यकाल खत्म होने से पहले चुनाव कराना जरूरी है।
- पंचायत और निकायों का कार्यकाल खत्म होने के छह महीने के भीतर चुनाव हो जाने चाहिए थे।
- सरकार और निर्वाचन आयोग इस जिम्मेदारी को निभाने में नाकाम रहे, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित हुई है।
👉 अदालत ने आदेश की प्रति मुख्य सचिव और राज्य निर्वाचन आयोग को भेजकर जल्द चुनाव करवाने को कहा।
प्रशासकों को हटाने का आदेश रद्द
प्रदेश की 6,759 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल जनवरी 2025 में समाप्त हो गया था। इसके बाद सरकार ने पूर्व सरपंचों को प्रशासक नियुक्त किया।
लेकिन बाद में कई प्रशासकों पर भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोप लगाकर बिना सुनवाई और जांच के उन्हें हटा दिया गया।
हाईकोर्ट ने इस फैसले को प्राकृतिक न्याय के खिलाफ माना और सरकार का आदेश रद्द कर दिया।
साथ ही सरकार को निर्देश दिया कि –
- दो माह में जांच पूरी की जाए।
- फिर से नया निर्णय लिया जाए।
याचिकाकर्ताओं के आरोप
यह मामला कई याचिकाओं के जरिए कोर्ट तक पहुंचा।
- याचिकाकर्ता गिरिराज सिंह देवंदा और पूर्व विधायक संयम लोढ़ा सहित अन्य ने आरोप लगाया कि –
- सरकार संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है।
- पंचायत राज और नगरपालिका अधिनियम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
सरकार की योजना
उधर, नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने हाल ही में कहा था कि –
- दिसंबर 2025 में प्रदेश में निकाय चुनाव होंगे।
- पुनर्सीमांकन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
- जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो-दो नगर निगमों का एकीकरण होगा।
- इसके बाद निकायों की संख्या 312 से घटाकर 309 की जाएगी।
राजनीतिक हलचल तेज
हाईकोर्ट के आदेश के बाद राजस्थान की राजनीति में हलचल बढ़ गई है।
- सरकार पर अब तुरंत चुनाव करवाने का दबाव है।
- अदालत ने प्रशासकों को हटाने का आदेश रद्द कर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं।
- यह फैसला आने वाले महीनों में राजस्थान की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था पर बड़ा असर डाल सकता है।
कुल मिलाकर, हाईकोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले ने राज्य की राजनीति में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल करने का रास्ता साफ कर दिया है।
हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी
अदालत ने कहा कि पंचायत और निकायों का कार्यकाल खत्म होने के छह महीने के भीतर चुनाव हो जाने चाहिए थे, लेकिन सरकार और निर्वाचन आयोग अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहे। इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित हुई है और स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक व्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ा है। अदालत ने आदेश की प्रति राज्य निर्वाचन आयोग और मुख्य सचिव को भेजकर जल्द चुनाव करवाने के निर्देश दिए।
प्रशासकों को हटाने का आदेश रद्द
प्रदेश की 6,759 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल जनवरी 2025 में समाप्त हो गया था। इसके बाद सरकार ने पूर्व सरपंचों को प्रशासक नियुक्त किया, लेकिन बाद में भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोप लगाकर बिना जांच व सुनवाई के कई प्रशासकों को हटा दिया। हाईकोर्ट ने सरकार के इस कदम को प्राकृतिक न्याय के खिलाफ माना और प्रशासकों को हटाने के आदेश को निरस्त कर दिया। साथ ही सरकार को निर्देश दिया कि दो माह में जांच पूरी कर नए सिरे से फैसला ले।
याचिकाओं में सरकार पर मनमानी का आरोप
गिरिराज सिंह देवंदा और पूर्व विधायक संयम लोढ़ा सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने पंचायत और निकाय चुनावों में देरी को अदालत में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि सरकार संवैधानिक प्रावधानों और पंचायतीराज एवं नगरपालिका अधिनियम का खुला उल्लंघन कर रही है।
बड़ा असर
हाईकोर्ट के इस फैसले से साफ है कि राज्य सरकार अब पंचायत और निकाय चुनाव को लेकर टालमटोल नहीं कर सकेगी। कोर्ट ने न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने का रास्ता साफ किया है, बल्कि प्रशासकों को हटाने के आदेश रद्द करके सरकार की कार्यप्रणाली पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
यह फैसला प्रदेश की राजनीति और स्थानीय निकायों के प्रशासन पर दूरगामी असर डाल सकता है।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।