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जवाई डेम जालोर के किसानों के हक़ पर आंच अस्वीकार्य —

By deoravijendra

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पत्रकार रमेश कुमार उम्मेदाबाद

जवाई डेम पर जालोर का हक़ छीना तो किसान सड़कों पर उतरेंगे – शिव सेना यूबीटी

जालोर ( 4 सितम्बर 2025 ) जालोर के गुरुवार को दो दिन पूर्व सुमेरपुर प्रशासन की बैठक में जवाई डेम के गेट संचालन पर चर्चा हुई। बैठक के पश्चात सुमेरपुर उपखंड अधिकारी कालूराम प्रजापत का यह कथन कि “जवाई डेम भरने के बाद सेई बाँध को भरने हेतु सेई के गेट बंद रखे जाएँ जालोर के किसानों के घाव पर नमक छिड़कने जैसा है शिव सेना यूबीटी जालोर का स्पष्ट मत है कि यह रुख सुमेरपुर विधायक जोराराम कुमावत और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के संकेतों के अनुरूप प्रतीत होता है।

जबकि दोनों नेता केवल सुमेरपुर के नहीं—एक पूरे राजस्थान सरकार में मंत्री हैं और दूसरे पूरे प्रदेश के संगठनाध्यक्ष—अतः उनकी पहली जिम्मेदारी प्रदेश-हित, विशेषकर जालोर के किसानों के न्याय हित की है पिछले वर्ष भी, जवाई डेम पूर्ण भरने पर जालोर की ओर पानी छोड़ने के स्थान पर पानी को अन्यत्र डाइवर्ट किया गया। स्मरणीय है कि जवाई डेम के ओवरफ्लो की स्थिति में क्षति का लगभग 90% भार जालोर के गाँवों को उठाना पड़ता है।

इसके बावजूद, दोनों नेता जालोर प्रवास के दौरान जवाई के पानी पर जालोर का हक़ तय करने पर कोई ठोस सार्वजनिक वक्तव्य नहीं देते—यह गहरी पीड़ा और आक्रोश का विषय है।यदि आगे भी जालोर को पानी देने का विरोधात्मक रवैया बना रहा, तो शिव सेना यूबीटी जालोर और किसान समाज, इनके जालोर आगमन पर काला झंडा दिखाकर “गो बैक” के लोकतांत्रिक नारे लगाएगा।

हमारी स्पष्ट माँगें जवाई डेम भरने पर जालोर की ओर नियंत्रित व समयबद्ध पानी छोड़ने की लिखित कार्ययोजना।जवाई–सेई जल-वितरण की स्थायी नीति, जिसमें जालोर का हक़ स्पष्ट, मापनीय और बाध्यकारी हो।

मुख्य मांग


जल-रिलीज़ का संयुक्त नियंत्रण कक्ष (जालोर–पाली–सुमेरपुर प्रतिनिधित्व सहित) और रियल-टाइम डेटा सार्वजनिक करना।पिछले वर्ष हुए डायवर्जन की प्रशासनिक समीक्षा और जवाबदेही तय करना।शिव सेना यूबीटी जालोर प्रदेश-स्तरीय दोनों माननीय नेताओं से सम्मानपूर्वक निवेदन करती है: आपसे अपेक्षा है कि प्रदेश-हित में, जालोर के किसानों को न्याय दिलाते हुए जवाई के पानी पर जालोर का हक़ तत्काल और विधिवत तय करवाएँ। यही आपके पद की गरिमा और जनादेश का सच्चा निर्वाह हो जाएगा।

जवाई डेम का पानी जालोर की धरती की साँस है, लेकिन प्रशासन और नेताओं की बेरुख़ी से किसान आज भी प्यासे खेतों और सूखी नहरों को देखकर तड़प रहे हैं। सुमेरपुर उपखंड अधिकारी कालूराम प्रजापत का यह कहना कि “जवाई डेम भरने के बाद सेई बाँध को प्राथमिकता से भरा जाएगा” – जालोर के किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है।

गाँवों में किसान कहते हैं कि – “बारिश से डेम लबालब भरता है, ओवरफ्लो का सारा भार हमारे गाँव झेलते हैं, लेकिन जब सिंचाई की बारी आती है तो हमारे खेत प्यासे रह जाते हैं। यह अन्याय कब तक?”

👉 जालोर का दर्द:

  • खेतों में खड़ी फसलें पानी के बिना मुरझा रही हैं।
  • नहरें महीनों से सूखी पड़ी हैं।
  • किसान कर्ज में डूबकर हर साल उम्मीद से जवाई की ओर देखते हैं।
  • लेकिन नेताओं की चुप्पी उनकी पीड़ा को और गहरी कर देती है।

👉 शिव सेना यूबीटी का सीधा संदेश:
पार्टी ने चेतावनी दी है – “अगर जालोर के हक़ का पानी नहीं छोड़ा गया तो शिव सेना और किसान समाज नेता-मंत्रियों के जालोर आगमन पर काले झंडे दिखाएंगे और गो-बैक के नारे लगाएंगे।”

👉 माँगें:

  1. जवाई डेम भरने पर जालोर के लिए लिखित और समयबद्ध पानी छोड़ने की योजना
  2. जवाई–सेई जल वितरण की स्थायी नीति, जिसमें जालोर का हिस्सा स्पष्ट और बाध्यकारी हो।
  3. जल-रिलीज़ के लिए संयुक्त नियंत्रण कक्ष – जिसमें जालोर, पाली, सुमेरपुर सभी का प्रतिनिधित्व हो।
  4. पिछले साल हुए पानी डायवर्जन की जांच और जिम्मेदारों पर कार्रवाई।

👉 किसानों की पुकार:
जालोर के किसान अब साफ़ कह रहे हैं –
“सूखी धरती, प्यासे खेत और रोते परिवार अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे। जवाई पर जालोर का हक़ दिलाना ही नेताओं की असली परीक्षा है। अगर हमें पानी से वंचित किया गया, तो हम सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।”


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