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कृषि बेरे पर पानी का घेराव उम्मेदाबाद-खरल पर जवाई का खतरा: 18 साल से टूटी तटबंध, हर बरसात में दो गाँव डूबे; प्रशासन की लापरवाही जारी

By Shravan Kumar Oad

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पत्रकार रमेश परमार उम्मेदाबाद

उम्मेदाबाद ( 8 सितंबर 2025 ) जवाई नदी का पानी इस बार फिर उम्मेदाबाद और खरल गाँव की जिंदगी पर भारी पड़ गया। आलासन मार्ग से लगी कच्ची तटबंध 2006 से टूटी हुई है, लेकिन 18 साल बाद भी पक्की तटबंध नहीं बन पाई। नतीजा यह हुआ कि नदी का बहाव सीधे गाँवों की ओर आ गया। खरल में रात को कई घर खाली करवाने पड़े और उम्मेदाबाद बेरा में पानी घुस गया, जिससे दो दर्जन से अधिक घर डूबे और खेतों की फसलें नष्ट हो गईं।
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मनरेगा कोड और विभागीय प्रक्रियाएँ

जल संसाधन उपखंड के सहायक अभियंता दयालसिंह जोधा ने बताया था कि इस काम के लिए मार्च में विभाग की ओर से प्रस्ताव जिला परिषद कार्यालय मीणा में प्रस्तुत किया गया था। लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण इसे स्वीकार नहीं किया गया। बाद में नया प्रस्ताव तैयार कर जिला परिषद में पेश किया गया।

6 अगस्त 2024 को जिला परिषद जालौर ने प्रस्ताव पर आपत्ति जताई और इसे सायला बीडीओ द्वारा पुनः लौटा दिया। इसके बाद विभाग ने संशोधन कर पंचायत समिति से स्वीकृति मांगी। 13 अगस्त 2024 को जलसंचालन विभाग ने संशोधन कर पंचायत समिति से स्वीकृति मांगी। 3 सितंबर 2024 को छैला पंचायत समिति ने ग्राम पंचायत सभा में प्रस्ताव पेश किया। हालांकि, कोड जारी नहीं हो सका और पुराने कोड ही इस्तेमाल किए गए। प्रत्येक विषय वर्ष में अभिन्न कोड नहीं मिलने की वजह से कार्य की स्वीकृति में विलंब हुआ। विकास अधिकारी सायला  गौरव बिश्नोई ने छह बार यूनिक कोड गलत बताकर पुनः लौटा दी।


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हर साल दोहराई जाती तबाही


ग्रामीण बताते हैं कि 2016, 2017 और 2023 में भी गाँव इसी तरह डूबे थे। टूटी तटबंध और जल निकासी मार्गों की समस्या नजरअंदाज होने से हर वर्ष बाढ़ का खतरा बढ़ता रहा। जब जवाई नदी के गेट खोले जाते हैं, तब पानी का बहाव और तेज हो जाता है, जिससे तबाही और बढ़ जाती है।
इस बार जवाई के गेट खोलने पर रविवार को उम्मेदाबाद के कई बेरे पर पानी ने घेराव कर दिया।


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रास्ते रुके, गाँव अलग-थलग


नदी का बहाव रुकने पर सबसे बड़ी मार ग्रामीणों की आवाजाही पर पड़ी। उम्मेदाबाद से खरसिया बेरा, कतरसन, आलासन, केशवना, साफाड़ा और जालोर का संपर्क कई दिनों तक टूट गया। खरल से आलासन, विराणा और रेवतड़ा का रास्ता बंद हो गया। बच्चों की पढ़ाई ठप हो गई, मरीजों को अस्पताल ले जाना असंभव हो गया और रोजमर्रा की जरूरतें तक पूरी नहीं हो पा रही हैं।

प्रशासनिक मोर्चा


हालात बिगड़ते देख उम्मेदाबाद चौकी प्रभारी डुगरराम पुलिस स्टाफ सहित मौके पर तैनात रहे। ग्राम विकास अधिकारी दिनेश विश्नोई ने ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए सतर्क किया। कनिष्ठ सहायक मदन गर्ग ने दिनभर ग्रामीणों से समझाइस कर उन्हें नदी क्षेत्र से दूर रखा।

एक्सपर्ट राय
सिविल इंजीनियर बीआर राणावत  कहना है कि जवाई नदी के तेज बहाव को रोकने के लिए यहाँ पक्की कंक्रीट तटबंध और धोरापाळ तुरंत बननी चाहिए। जल निकासी मार्ग खोलना अनिवार्य है, वरना खतरा हर साल बढ़ेगा।


2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम के अनुसार जिला प्रशासन को पूर्व-योजना बनानी चाहिए थी। पूर्व चेतावनी सिस्टम और शेल्टर न बनाना गंभीर लापरवाही है।

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