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नाहर अस्पताल में 3 महीने के शिशु को गंभीर हालत से बचाया, “केवल स्तनपान” के महत्व पर दिया जोर

By Shravan Kumar Oad

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पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल

भीनमाल ( 15 सितंबर 2025 ) स्थानीय नाहर मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में चिकित्सकों की तत्परता और आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की बदौलत तीन महीने के शिशु की जान बचाई गई। अस्पताल में भर्ती किया गया यह शिशु अत्यंत गंभीर हालत में लाया गया था।


शिशु को गंभीर डिहाइड्रेशन, एसिडोसिस (पीएच 6.8), एचसीओ3-5, हाइपरनेट्रेमिया और तीव्र गुर्दा क्षति (BUN-320) जैसी जानलेवा स्थिति का सामना करना पड़ रहा था। जन्म के समय 2.5 किलोग्राम वज़न वाले शिशु का वजन घटकर केवल 2.3 किलोग्राम रह गया था।


डॉ. अक्षय राजपुरोहित (एमडी, बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ) और उनकी टीम ने तुरंत आपातकालीन उपचार शुरू किया और शिशु को ICU में भर्ती कर गहन देखभाल दी। एक सप्ताह की मेहनत और सतत निगरानी के बाद शिशु का वज़न बढ़कर 3.2 किलोग्राम हुआ और गुर्दे भी पूरी तरह स्वस्थ हो गए।


जांच में सामने आया कि शिशु को बकरी का दूध पिलाया जा रहा था, जिसके कारण उसे गैस्ट्रोएंटेराइटिस, गंभीर निर्जलीकरण और गुर्दे की क्षति हुई।


👉 इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह संदेश स्पष्ट किया कि 6 महीने तक शिशु को केवल और केवल स्तनपान ही कराना चाहिए।

अस्पताल का सार्वजनिक संदेश

नाहर अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सकों ने नागरिकों से अपील करते हुए कहा –

  • “स्तनपान ही शिशु का अमृतपान है। यह बच्चों को दस्त (डायरिया) व अन्य घातक बीमारियों से बचाता है।”

  • .भारत में आज भी शिशु मृत्यु का प्रमुख कारण दस्त है, जिसे सही पोषण और स्तनपान से रोका जा सकता है।

  • माता-पिता और देखभाल करने वालों को 6 महीने तक शिशु को केवल स्तनपान कराने की सख्त आवश्यकता है।

नाहर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मुकेश प्रजापत ने कहा –
“यह मामला दर्शाता है कि रोकी जा सकने वाली गलतियों से शिशुओं की जान खतरे में पड़ सकती है। हमें गर्व है कि हमारी टीम ने इस बच्चे की जान बचाई और हम समाज में सही शिशु पोषण व स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाते रहेंगे।”

नाहर अस्पताल की प्रतिबद्धता

नाहर मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल न सिर्फ उन्नत आपातकालीन सेवाएँ उपलब्ध करा रहा है, बल्कि समुदाय में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने के लिए भी निरंतर कार्यरत है।

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