
सिरोही/रेवदर।
राजस्थान का एक छोटा सा कस्बा रेवदर आज नॉर्मल डिलीवरी के क्षेत्र में एक बड़ा नाम बन चुका है। यहां स्थित भारती हॉस्पिटल एवं सोनोग्राफी सेंटर न सिर्फ सिरोही जिले, बल्कि देशभर के प्रवासी राजस्थानी परिवारों के लिए भी उम्मीद की किरण बन चुका है। यहां की अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञों की टीम, बिना अनावश्यक ऑपरेशन के सुरक्षित नॉर्मल डिलीवरी के लिए जानी जाती है।
क्यों है भारती हॉस्पिटल खास?
देशभर में जहां छोटे-छोटे मामलों में भी सिजेरियन ऑपरेशन करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, वहीं भारती हॉस्पिटल रेवदर में डॉक्टरों की टीम ने कई जटिल मामलों में भी नॉर्मल डिलीवरी कर चिकित्सा क्षेत्र में मानवता और सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया है।
6 सच्ची कहानियाँ, जो बनाती हैं इस अस्पताल को विशेष:
केस 1: जैसलमेर से रेवदर — ऑपरेशन टला, नॉर्मल डिलीवरी सफल
कंचन कुँवर पत्नी नटवर सिंह रावलौत (अवाय, जैसलमेर) को फलौदी के डॉक्टरों ने सिजेरियन की सलाह दी, पर परिवार ऑपरेशन नहीं चाहता था। परिजन भारती हॉस्पिटल रेवदर पहुंचे, जहां अनुभवी डॉक्टरों की टीम ने सफल नॉर्मल डिलीवरी करवाई।
केस 2: सनवाडा से आई रिंकू देवी — पहले ऑपरेशन के बाद दूसरी बार नॉर्मल डिलीवरी
रिंकू देवी पत्नी माधा राम चौधरी की पहली डिलीवरी सिजेरियन थी। दूसरी बार भी सिजेरियन की बात हुई, लेकिन रेवदर के डॉक्टरों ने जोखिम लेते हुए सफलतापूर्वक नॉर्मल डिलीवरी करवा दी, जिससे परिवार बेहद खुश हुआ।
केस 3: जालौर की जशोदा देवी — जहाँ एक अस्पताल ने छोड़ा, वहां 5 मिनट में नॉर्मल डिलीवरी
जशोदा देवी पत्नी रोहिताश्व वैष्णव को पहले सिरोही में भर्ती किया गया था जहां डॉक्टरों ने पानी की कमी बताते हुए ऑपरेशन की बात कही। परिवार उन्हें लेकर भारती हॉस्पिटल पहुंचा और सिर्फ 5 मिनट में नॉर्मल डिलीवरी कर दी गई।
केस 4: डाक की रेणुका — अधूरे टांके और हार मानते डॉक्टर
रेणुका पत्नी उत्तमगिरी गौस्वामी की स्थिति गंभीर थी। आबूरोड के डॉक्टर टांका खोलने में असफल रहे। परिवार उन्हें रेवदर लाया जहां टांका हटाकर सफल नॉर्मल डिलीवरी करवाई गई।
केस 5: बालोतरा की गुड्डी कुंवर — चार ऑपरेशन के बाद बेटे का जन्म
गुड्डी कुंवर पत्नी सवाई सिंह फौजी की 4 बार सिजेरियन डिलीवरी हो चुकी थी, और पांचवी बार जोधपुर में इलाज मना कर दिया गया। रेवदर हॉस्पिटल में 9 महीने इलाज चला और फिर पांचवीं बार सफल सिजेरियन में पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।
केस 6: 4 ग्राम हीमोग्लोबिन, फिर भी नॉर्मल डिलीवरी
मोवी कुमारी पत्नी मुकेश कुमार गरासिया (मूँगथला) का हीमोग्लोबिन मात्र 4 ग्राम था। अन्य अस्पतालों ने बड़े हॉस्पिटल भेजने की बात की। लेकिन भारती हॉस्पिटल ने उन्हें भर्ती कर सफल नॉर्मल डिलीवरी करवाई। उनकी आर्थिक स्थिति देखते हुए सिर्फ ₹2000 फीस ली गई।
नॉर्मल डिलीवरी की राजधानी बनता रेवदर
ये सिर्फ कुछ उदाहरण हैं — हर महीने दर्जनों महिलाएं दूर-दराज से यहां आती हैं, क्योंकि यहां डॉक्टरों का लक्ष्य न केवल सुरक्षित प्रसव है, बल्कि अनावश्यक ऑपरेशन से बचाव भी है। डॉक्टरों की निष्ठा, सेवाभाव और अनुभव ने रेवदर को नॉर्मल डिलीवरी का भरोसेमंद केंद्र बना दिया है।
निष्कर्ष
भारती हॉस्पिटल रेवदर अब सिर्फ एक अस्पताल नहीं, बल्कि आशा का प्रतीक बन चुका है। यहां के डॉक्टरों ने यह सिद्ध कर दिया है कि संसाधन सीमित हों, तो भी संवेदनशीलता और अनुभव से चमत्कार संभव हैं। सिरोही जिले में बैठा यह संस्थान आज पूरे राजस्थान और प्रवासी राजस्थानी परिवारों के लिए विश्वास का नाम बन चुका है।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।