
दिनांक – (माणकमल भंडारी), भीनमाल।
पितृपक्ष के मौके पर भीनमाल शहर के ब्राह्मणों की बगेची में धार्मिक माहौल छा गया है। यहां आचार्य रविदत्त दवे और भावेश दवे के मार्गदर्शन में पितृ तर्पण का आयोजन किया जा रहा है, जो अमावस्या तक लगातार चलेगा।
“श्रद्धा और तर्पण से मिलते हैं पितरों के आशीर्वाद”
आचार्य रविदत्त दवे ने बताया कि पितृपक्ष के दौरान देव तर्पण, ऋषि तर्पण, मनुष्य तर्पण और पितृ तर्पण करके शांति और कल्याण की कामना की जाती है।
उन्होंने कहा –
“पितृ अदृश्य रहकर भी अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहा जाता है, जबकि देवताओं, ऋषियों और पितरों को चावल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं। यही पिंडदान का रूप है।”
“शास्त्रों में भी तर्पण का महत्व”
भावेश दवे ने शास्त्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि अग्नि से प्रार्थना की गई है –
“हे अग्नि, हमारे श्रेष्ठ सनातन यज्ञों को संपन्न करने वाले पितरों ने मृत्यु के बाद स्वर्ग में ऐश्वर्य प्राप्त किया है। वैसे ही हम भी ऋचाओं का पाठ और यज्ञों के माध्यम से उसी ऐश्वर्यवान स्वर्ग को प्राप्त करें।”
उन्होंने बताया कि तर्पण और श्राद्ध सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर है।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।