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भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बने सी.पी. राधाकृष्णन, विपक्षी एकता पर उठे सवाल

By Shravan Kumar Oad

Published on:

CP Radhakrishnan elected as 15th Vice President of India, defeating opposition candidate B Sudershan Reddy by 452 to 300 votes.

नई दिल्ली, 9 सितंबर 2025: महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को मंगलवार को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया। उन्होंने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के उम्मीदवार न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी. सुधर्शन रेड्डी को 452 के मुकाबले 300 वोटों से हराया। वोटों की गिनती में 15 वोट अमान्य पाए गए, जबकि कुल 767 सांसदों ने मतदान किया था। विजय के लिए आवश्यक बहुमत 377 था। राधाकृष्णन की जीत से विपक्षी एकता पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि कुछ विपक्षी सांसदों के क्रॉस वोटिंग की संभावना जताई जा रही है ।

राधाकृष्णन की पृष्ठभूमि और राजनीतिक यात्रा

राधाकृष्णन भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के वरिष्ठ नेता हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े रहे हैं। उन्होंने तमिलनाडु के कोयंबटूर से सांसद के रूप में कार्य किया है और तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष भी रहे हैं। इसके अलावा, वे महाराष्ट्र और झारखंड के राज्यपाल भी रह चुके हैं। उनकी छवि एक सौम्य और गैर-विवादास्पद नेता की रही है ।

विपक्षी उम्मीदवार बी. सुधर्शन रेड्डी की प्रतिक्रिया

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी. सुधर्शन रेड्डी ने चुनाव परिणाम के बाद कहा कि परिणाम उनके पक्ष में नहीं होने के बावजूद, जो व्यापक उद्देश्य उन्होंने और उनके सहयोगियों ने मिलकर आगे बढ़ाया है, वह अपरिवर्तित है mint

प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी और उनके साथ मुलाकात की। मोदी ने कहा कि राधाकृष्णन की जीत लोकतांत्रिक मूल्यों की जीत है और यह दर्शाता है कि संसद में उनकी स्वीकार्यता कितनी व्यापक है ।

विपक्षी एकता पर सवाल

राधाकृष्णन की जीत से विपक्षी एकता पर सवाल उठ रहे हैं। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, विपक्षी सांसदों के बीच मतभेद और क्रॉस वोटिंग के कारण रेड्डी को अपेक्षित वोट नहीं मिल पाए। इससे विपक्षी दलों के भीतर एकजुटता की कमी की ओर इशारा मिलता है ।

निष्कर्ष

सी.पी. राधाकृष्णन की उपराष्ट्रपति के रूप में जीत भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के लिए महत्वपूर्ण राजनीतिक उपलब्धि है। हालांकि, विपक्षी एकता में संभावित दरारें और क्रॉस वोटिंग के आरोप आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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