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जीवाणा का बायोसा माता मंदिर: गुंबद वाला इकलौता धाम, मान्यताओं और चमत्कारों से जुड़ी पूरी कहानी

By Shravan Kumar Oad

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Bayosa Mata Temple in Jivana, Jalore with unique dome and miraculous beliefs

जालोर (20 सितंबर 2025)। नवरात्र स्थापना नजदीक है और इसी के साथ जालौर के मंदिरों की ऐतिहासिक कहानियां एक बार फिर चर्चा में आ गई हैं। राजस्थान का जालौर सिर्फ अपनी वीरगाथाओं के लिए ही नहीं, बल्कि यहां मौजूद धार्मिक धरोहरों और अद्भुत मान्यताओं के लिए भी जाना जाता है। इन्हीं में से एक है जीवाणा गांव का बायोसा माता मंदिर, जो अपनी अनोखी परंपरा और रहस्यमयी गुंबद की वजह से पूरे प्रदेश में विशेष पहचान रखता है।

जालौर की संस्कृति और मंदिरों की धड़कन

भारत में हर मंदिर के साथ कोई न कोई कथा जुड़ी होती है। जालौर का इतिहास भी इन्हीं आस्था से जुड़े स्थलों से जीवंत होता है। खासकर आहोर और जीवाणा क्षेत्र में मंदिर न सिर्फ धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि स्थानीय संस्कृति का अहम हिस्सा भी हैं।

रहस्यमयी बायोसा माता मंदिर

सामान्यत: मान्यता है कि बायोसा माता के मंदिरों पर गुंबद नहीं टिकते। अगर गुंबद बनाया भी जाए, तो समय के साथ अपने आप टूट जाता है। लेकिन जीवाणा का बायोसा माता मंदिर इस मान्यता का अपवाद है। यहां का गुंबद पिछले कई दशकों से सुरक्षित खड़ा है और यही इस धाम को खास बनाता है।

करीब 150 साल पहले, जब ठाकुर देवीसिंह मेड़तिया की धर्मपत्नी मेहताब कंवर रामदेवरा दर्शन के लिए गईं, तो कहा जाता है कि उन्हें बायोसा माता ने साक्षात दर्शन दिए और जीवाणा आने की इच्छा प्रकट की। इसके बाद गांव में खेजड़ी के पेड़ के नीचे माताजी की स्थापना की गई।

खेत मालिक प्रतापजी खवास ने संतान प्राप्ति की कामना की थी। जब उनकी इच्छा पूरी हुई, तो उन्होंने खेत माताजी को समर्पित कर दिया।

साधारण चौकी से भव्य मंदिर तक

शुरुआत में यह स्थान सिर्फ एक चौकी के रूप में था। बाद में संत रामानंद सरस्वती महाराज की प्रेरणा से भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया। 7 मार्च 1999 को साधु-संतों की उपस्थिति में यहां प्राण-प्रतिष्ठा की गई। आज यह मंदिर न सिर्फ गुंबद सहित सुरक्षित है, बल्कि हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र भी बन चुका है।

नवरात्र और मंदिर के आयोजन

इस साल 22 सितंबर को नवरात्र स्थापना होगी। जालोर और जीवाणा क्षेत्र में हर साल की तरह धार्मिक आयोजन शुरू हो जाएंगे।

  • भाद्रपद शुक्ला बारस को विशाल जागरण होता है।
  • तेरस को यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।

भक्त अपनी मनोकामनाएं पूरी होने पर मंदिर में भजन संध्याएं और अन्य धार्मिक आयोजन करवाते हैं।

सौंदर्य और हरियाली का संगम

पिछले साल 2023 में मंदिर परिसर को और खूबसूरत बनाने के लिए यहां एक गार्डन विकसित किया गया। इसमें दूब घास और विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए गए। इससे मंदिर क्षेत्र का वातावरण और भी पवित्र और आकर्षक हो गया है।

आस्था और चमत्कार का धाम

श्रद्धालुओं का मानना है कि जीवाणा का यह मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि एक चमत्कारिक धाम भी है। यही वजह है कि प्रदेशभर से भक्त यहां दर्शन करने आते हैं और इसे अद्वितीय मानते हैं।

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