जालोर जिले के कई गांवों में खरीफ फसलों पर कीट और बीमारियों का असर दिखाई देने लगा है। इस स्थिति को देखते हुए कृषि विभाग की सर्वे टीम ने बुधवार को रैपिड रोविंग सर्वेक्षण किया। टीम ने खेतों का दौरा किया और किसानों को फसल बचाने के लिए तुरंत अपनाए जाने वाले उपाय बताए।
कहां-कहां हुआ सर्वे?
कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक के निर्देश पर यह सर्वे धवला, लेटा, कानीवाड़ा, ऊण, सांकरणा, भैंसवाड़ा, बागरा, रेवतड़ा, केशवना और गोदान गांवों में किया गया। सर्वे का नेतृत्व उप निदेशक (कृषि) डॉ. खुमान सिंह रुपावत ने किया। उनके साथ सहायक निदेशक सुभाष चंद्र, कृषि अधिकारी श्रीमती जया श्रीमाली और पादप रोग विशेषज्ञ डॉ. रतन लाल शर्मा भी मौजूद रहे।
किन फसलों में क्या बीमारी मिली?
सर्वे टीम ने खेतों का निरीक्षण करते हुए कई समस्याएं दर्ज कीं:
- मूंग फसल में – सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा बीमारी का प्रकोप
- बाजरा फसल में – स्मट और एरगट रोग, साथ ही फड़के और सेफर बीटल (हालांकि खतरनाक स्तर से कम)
- तिल फसल में – पाइलोडी बहुत कम, लेकिन पाउडरी मिल्ड्यू का असर
- अरंडी फसल में – कोई रोग या कीट नहीं पाया गया
किसानों को क्या सलाह दी गई?
सर्वे टीम ने किसानों को फसल बचाने के लिए जरूरी उपाय भी बताए:
- खेतों की सफाई पर खास ध्यान दें
- पौधों की उचित दूरी बनाए रखें
- जरूरत पड़ने पर समय पर कीटनाशक और फफूंदनाशक का छिड़काव करें
- बाजरा में ब्लास्ट रोग रोकने के लिए – प्रॉपिकोनाजोल का छिड़काव
- एरगट रोग रोकने के लिए – सिटे निकलते समय मेनकोजेब का 2-3 बार छिड़काव
- सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा बीमारी रोकने के लिए – कार्बेन्डाजिम का स्प्रे
- लगातार सहायक कृषि अधिकारी और कृषि पर्यवेक्षक से संपर्क में रहें
किसान भी रहे मौजूद
सर्वे के दौरान कई किसान मौके पर मौजूद रहे, जिनमें श्रीमती दुर्गा देवी माली (लेटा), अतराम मीणा (सांकरणा), कमियां राम रेबारी (सांकरणा), मीठाराम माली (उम्मेदाबाद), पकाराम मेघवाल (उम्मेदाबाद), हती पुरी (रेवतड़ा), आशापूर्णा कृषि फार्म (बाकरा गांव), देशाराम सुथार (बाकरा गांव) सहित कई अन्य किसान शामिल थे।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।