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कृष्ण छठी पर वांछित फाउंडेशन की पहल, वृद्ध आश्रम में खिली मुस्कानें – प्रसाद में बांटे कढ़ी-चावल, रोटी-सब्जी

By Shravan Kumar Oad

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नई दिल्ली।
कृष्ण जन्माष्टमी के छह दिन बाद मनाई जाने वाली कृष्ण छठी के मौके पर दिल्ली की वांछित फाउंडेशन ने एक अनोखी पहल की। फाउंडेशन की टीम ने वृद्ध आश्रम में पहुंचकर वहां रहने वाले बुजुर्गों को कढ़ी-चावल, रोटी और सब्जी का प्रसाद वितरित किया।

इस आयोजन की अगुवाई फाउंडेशन की संस्थापिका और राष्ट्रीय अध्यक्षा डॉ. सुनीता मेहरोत्रा ने की। उन्होंने कहा कि इस दिन सिर्फ भगवान कृष्ण की छठी ही नहीं, बल्कि उन बुजुर्गों को भी सम्मान देने का अवसर है, जिनके चेहरे पर समाज को अपनी सेवा और अनुभव का अमूल्य खजाना है।

कृष्ण छठी का महत्व

कृष्ण छठी का त्योहार भगवान कृष्ण के जन्म के ठीक छह दिन बाद मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता यशोदा ने इस दिन कृष्ण का स्नान करवाया, नए वस्त्र पहनाए और उनका तिलक किया था। इसी अवसर पर माखन-मिश्री और कढ़ी-चावल का भोग लगाने की परंपरा भी है।

इसी परंपरा को निभाते हुए वांछित फाउंडेशन ने वृद्ध आश्रम में रह रहे वरिष्ठ नागरिकों के बीच प्रसाद बांटा और उनके साथ इस पर्व की खुशी साझा की।

बुजुर्गों के चेहरे पर मुस्कान

वांछित फाउंडेशन की इस पहल ने वृद्ध आश्रम का माहौल बदल दिया। बुजुर्गों को न सिर्फ स्वादिष्ट प्रसाद मिला, बल्कि उनके चेहरों पर लंबे समय बाद मुस्कान भी देखने को मिली।
फाउंडेशन का मानना है कि ऐसे अवसरों पर बुजुर्गों के साथ मिलकर त्योहार मनाना उन्हें यह एहसास दिलाता है कि वे समाज का अहम हिस्सा हैं और भुलाए नहीं गए हैं।

समाज को दिया संदेश

डॉ. सुनीता मेहरोत्रा ने इस मौके पर कहा कि,
“हमारा उद्देश्य केवल प्रसाद बांटना नहीं, बल्कि बुजुर्गों को प्रभावित करने वाले मुद्दों – जैसे स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां और उनके साथ होने वाला दुर्व्यवहार – के प्रति समाज को जागरूक करना भी है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह दिन हमें याद दिलाता है कि वरिष्ठ नागरिकों ने समाज को अपनी सेवा और ज्ञान दिया है, इसलिए उनका सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है।

धन्यवाद और सहयोग

इस आयोजन को सफल बनाने में कई लोगों ने योगदान दिया। इनमें सुषमा राजौरा कटारिया, ग्रेटी, उर्मिला शर्मा, पूजा चौहान और साक्षित मेहरोत्रा शामिल रहीं। फाउंडेशन की ओर से इन सभी का आभार व्यक्त किया गया।

निष्कर्ष

वांछित फाउंडेशन की इस पहल ने न केवल कृष्ण छठी के पर्व को यादगार बनाया बल्कि यह संदेश भी दिया कि त्योहार तभी पूर्ण होते हैं जब उनकी खुशियां समाज के हर वर्ग तक पहुंचें।
विशेषकर वे बुजुर्ग, जिनकी देखभाल और सम्मान करना आज की पीढ़ी की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

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