
जालोर।
पशुपालन विभाग ने जिले के पशुपालकों को सतर्क किया है। कारण – पड़ोसी जिलों और गुजरात में लंपी स्किन डिज़ीज़ (Lumpy Skin Disease) के मामले सामने आए हैं। यह बीमारी गाय और भैंस में तेजी से फैल रही है और समय पर रोकथाम नहीं की गई तो बड़ा नुकसान हो सकता है।
संयुक्त निदेशक डाॅ. गिरधरसिंह सोढा ने जानकारी दी कि जिले के सभी विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को गांव-गांव जाकर सर्वे करने और पशुपालकों को जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं।
लंपी स्किन डिज़ीज़ क्या है?
- यह एक विषाणु जनित बीमारी है, जो केपरीपॉक्स वायरस से होती है।
- मुख्य रूप से गाय और भैंस इसमें प्रभावित होते हैं।
- शरीर पर छोटी-छोटी गांठें, तेज बुखार, अत्यधिक लार गिरना और आंखों से पानी आना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
सावधानियां और बचाव के उपाय
- संक्रमित पशु को तुरंत स्वस्थ पशुओं से अलग कर दें।
- पशु-आवास और बाड़े की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें।
- बाड़े को अच्छी तरह धोकर विषाणु-रोधी दवाओं का छिड़काव करें।
- पशुओं को मच्छर, मक्खी और चिचड़ से बचाएं।
- बीमारी वाले क्षेत्र से पशुओं के आवागमन पर रोक लगाएं।
- बीमार पशुओं को तरल व नरम चारा और पौष्टिक आहार दें।
इलाज और क्या करें?
डाॅ. सोढा ने बताया कि इस बीमारी का कोई खास दवा उपचार नहीं है, लेकिन लक्षणों के आधार पर इलाज कराकर पशु को द्वितीय संक्रमण से बचाया जा सकता है।
👉 अगर आपके पशुओं में बीमारी के लक्षण दिखें तो तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सालय से संपर्क करें।
क्यों जरूरी है सतर्कता?
लंपी स्किन डिज़ीज़ से न सिर्फ पशुओं की जान को खतरा है, बल्कि डेयरी किसानों की दूध उत्पादन क्षमता पर भी असर पड़ता है। समय रहते सतर्कता और सही प्रबंधन से नुकसान को कम किया जा सकता है।
👉 कुल मिलाकर, “लंपी स्किन डिज़ीज़ का बचाव ही इसका इलाज है।”
अगर आप पशुपालक हैं तो अभी से सावधानी बरतें और अपने पशुओं को सुरक्षित रखें।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।