Reporter Shravan Kumar Od Jalore
जालोर ( 17 सितंबर 2025 ) भगवान इन्द्र की मेहरबानी से इस वर्ष भरपूर वर्षा होने के कारण आकोली क्षेत्र के खेतों में बाजरे की फसल लहलहा रही है। खेतों में झूमती फसल देखकर किसान गदगद हैं। मीडिया प्रभारी पूरणसिंह काबावत आकोली ने बताया कि समय पर हुई अच्छी बारिश से इस बार बाजरे की पैदावार बेहतरीन हुई है, जिससे किसानों के चेहरे पर खुशियां लौट आई हैं।


हालांकि लगातार बारिश के कारण कई जगह ग्वार, तिल, मूंग जैसी अन्य फसलों की बुवाई प्रभावित हुई और कई फसलें खराब भी हुईं। इसके बावजूद बाजरे की अच्छी पैदावार ने किसानों की चिंताओं को दूर कर दिया है। वहीं, नदियों-नालों में पानी आने से कुओं का जलस्तर भी ऊपर आ गया है, जिससे अगले दो वर्षों तक पानी की कमी नहीं होगी और किसानों की आजीविका सुरक्षित रहेगी।
ग्रामीण जनजीवन में बाजरे का विशेष महत्व माना जाता है। एक कहावत है— “ज्येष्ठ महीने की बाजरी और ज्येष्ठ पुत्र बड़े होने में देर नहीं लगाते।” यानी जिस प्रकार ज्येष्ठ में बोई गई बाजरी जल्दी फल देती है, उसी प्रकार पुत्र भी पिता के काम में जल्दी हाथ बंटाने लगता है। धान्यों में बाजरे को देवतुल्य माना गया है। मान्यता है कि अगर यात्रा पर जाते समय साथ में बाजरे के दाने हों तो नकारात्मक शक्तियां भी पास नहीं आतीं।
बाजरे को केवल अन्न ही नहीं बल्कि संस्कृति और जीवन दर्शन का प्रतीक माना गया है। इसे खाने से न्यायप्रियता, मेहनत, निःस्वार्थ सेवा और जनहित की भावना जैसी सद्गुणों का विकास होता है। पुराने समय से यह कहावत प्रचलित है— “जिसकी खाते बाजरी, उसकी उठाते हाजरी।” यानी जिस मालिक के अन्न का सेवन करते हैं, उसके प्रति पूरी निष्ठा से कार्य करना चाहिए।
आज आधुनिकता की दौड़ में बाजरे का सेवन घट रहा है, जिससे समाज में नैतिक मूल्यों और सद्गुणों का क्षय दिखाई देने लगा है। जबकि गीता के उपदेश और हमारी संस्कृति हमें न्याय, सत्य और मेहनत का मार्ग दिखाते हैं। किसानों का मानना है कि बाजरे की फसल न केवल अन्न उपजाती है बल्कि जीवन को सही दिशा देने का संदेश भी देती है।
आकोली की लहराती बाजरे की फसल इस वर्ष किसानों के लिए खुशहाली का संदेश लेकर आई है। खेतों में फैली हरियाली और किसानों के चेहरों पर मुस्कान इसका प्रमाण है कि जब प्रकृति मेहरबान होती है तो धरती पर समृद्धि और जीवन में आनंद अवश्य आता है।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।