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राजस्थान विधानसभा में जासूसी बवाल: विपक्ष का आरोप – ‘हिडन कैमरों से हो रही निगरानी’, राज्यपाल से मिले जूली

By Shravan Kumar Oad

Published on:

Rajasthan Assembly Spy Camera Controversy Congress vs BJP 2025

जयपुर (11 सितंबर 2025)।
राजस्थान विधानसभा इन दिनों एक बड़े विवाद की गिरफ्त में है। विपक्षी कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया है कि सदन के विपक्षी ब्लॉक में हिडन कैमरे लगाए गए हैं, जो कार्यवाही खत्म होने के बाद भी रिकॉर्डिंग करते रहते हैं। कांग्रेस ने इसे निजता और लोकतंत्र पर हमला बताते हुए राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है।

विपक्ष का आरोप: लोकतंत्र और निजता पर हमला

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने खुलासा किया कि 9 सितम्बर को विधानसभा की कार्यवाही के दौरान हिडन कैमरों का मामला सामने आया। जूली ने कहा कि जब पहले से ही कार्यवाही की रिकॉर्डिंग और लाइव प्रसारण की व्यवस्था है, तो अचानक नए कैमरे क्यों लगाए गए?

उन्होंने सवाल उठाया – ये कैमरे कब लगाए गए, किस फंड से आए और किसके नियंत्रण में हैं?
जूली ने साफ किया कि उन्हें रिकॉर्डिंग से आपत्ति नहीं, लेकिन अगर कैमरे हैं तो उनकी फुटेज आम जनता तक पारदर्शिता के साथ पहुंचाई जानी चाहिए।

“अपमानजनक बयान ने बढ़ाया विवाद”

कांग्रेस ने सत्ता पक्ष के नेताओं के बयानों पर भी नाराजगी जताई।

  • सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग का यह कहना कि “सदन किसी का बैडरूम या बाथरूम नहीं है”
  • और बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा का यह आरोप लगाना कि “विधायक रात को धरना देकर कुकृत्य करने की कोशिश करते हैं”

— दोनों बयानों को विपक्ष ने विधानसभा की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाला करार दिया।

जूली का दावा: वसुंधरा गुट पर भी नजर

टीकाराम जूली ने यहां तक कहा कि ये कैमरे सिर्फ कांग्रेस नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गुट की निगरानी के लिए भी लगाए गए हैं।
उन्होंने दावा किया कि सदन में जब राजे आईं, तो कैमरों से यह तक रिकॉर्ड किया गया कि कौन-कौन विधायक उनसे मिलने गया।

जूली ने चुनौती दी कि अगर सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी जाए, तो वे खुद इन कैमरों का एक्सेस दिखा देंगे।

देवनानी का जवाब: “निजता का उल्लंघन नहीं”

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने विपक्ष के सभी आरोप खारिज कर दिए। उन्होंने कहा:

  • कैमरे तो शुरुआत से ही मौजूद हैं।
  • इनका मकसद केवल कार्यवाही रिकॉर्ड करना और यूट्यूब पर लाइव प्रसारण करना है।
  • अधिकारी दीर्घा में आवाजाही की शिकायत के बाद एक अतिरिक्त कैमरा लगाया गया है।

देवनानी ने सुरक्षा का हवाला देते हुए कहा कि लोकसभा में हाल ही में एक शख्स दीर्घा से कूद गया था, इसलिए सुरक्षा कारणों से कैमरों की जरूरत है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि न तो किसी की निजता भंग हुई है और न होगी।

बीजेपी का पलटवार: “गहलोत से पूछें”

बीजेपी विधायक जोगाराम पटेल ने भी विपक्ष के आरोपों को नकारा और कहा कि न तो वसुंधरा राजे की जासूसी हुई और न किसी अन्य विधायक की। उन्होंने तंज कसा कि जूली को ये सवाल पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के OSD से पूछना चाहिए।

राज्यपाल से कांग्रेस की शिकायत

विपक्ष के नेता जूली, उप नेता रामकेश मीणा, सचेतक रफीक खान, वरिष्ठ विधायक राजेंद्र पारीक, अमीन कागजी, अमित चाचाण और सांसद भजनलाल जाटव राज्यपाल हरी भाऊ किशन राव बागडे से मिले।
उन्होंने ज्ञापन देकर मांग की कि विधानसभा अध्यक्ष, संसदीय कार्य मंत्री और सत्ता पक्ष के विधायकों पर संवैधानिक कार्रवाई की जाए।

राज्यपाल ने आश्वासन दिया कि वे इस पूरे मामले की रिपोर्ट मंगवाएंगे।

कांग्रेस ने साफ किया कि संवैधानिक अधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए यह लड़ाई आर-पार की होगी।

राजस्थान विधानसभा में स्पाई कैमरा विवाद: क्या राजे गुट की हो रही है निगरानी? जानें जूली के दावों की सच्चाई

Spy Camera Controversy in Rajasthan: राजस्थान विधानसभा में एक्स्ट्रा सीसीटीवी कैमरों के मुद्दे ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि ये कैमरे न केवल कांग्रेस विधायकों, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के गुट की जासूसी के लिए लगाए गए हैं। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए जांच की मांग की है। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी और बीजेपी विधायक जोगाराम पटेल ने इन आरोपों को निराधार करार दिया है।

जूली के आरोप- वसुंधरा गुट पर नजर

टीकाराम जूली ने दावा किया कि विधानसभा में लगाए गए नए कैमरे सत्ता पक्ष की ओर से कांग्रेस और वसुंधरा राजे गुट के विधायकों की निगरानी के लिए हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में जब वसुंधरा राजे सदन में आई थीं, तो यह तक देखा गया कि कौन-कौन विधायक उनसे मिलने गया। जूली ने इसे लोकतंत्र की मर्यादाओं का उल्लंघन बताते हुए कहा कि हिडन कैमरों से जासूसी हो रही है। उन्होंने विधानसभा की संयुक्त समिति गठित कर इसकी जांच की मांग की।

जूली ने सवाल उठाया कि सदन में पहले से दो कैमरे मौजूद हैं, फिर अतिरिक्त कैमरे लगाने की जरूरत क्यों पड़ी? उन्होंने दावा किया कि ये कैमरे सदन की कार्यवाही खत्म होने के बाद भी चालू रहते हैं, जो आपत्तिजनक है। जूली ने चुनौती दी कि यदि सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित की जाए, तो वे इन कैमरों का एक्सेस दिखा सकते हैं।

निजता का उल्लंघन नहीं- देवनानी

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कैमरे विधानसभा की शुरुआत से ही लगे हैं और इनका उद्देश्य कार्यवाही को रिकॉर्ड करना है। हाल ही में यूट्यूब पर लाइव प्रसारण और राष्ट्रमंडल संसदीय समिति के सेमिनारों के लिए इनका उपयोग बढ़ा है। उन्होंने बताया कि अधिकारी दीर्घा में आवाजाही की शिकायतों के बाद वहां एक अतिरिक्त कैमरा लगाया गया।

देवनानी ने कहा कि ये कैमरे 360 डिग्री पर घूमते हैं और किसी विशेष सदस्य पर फोकस नहीं करते। उन्होंने सुरक्षा का हवाला देते हुए कहा कि लोकसभा में हाल ही में एक व्यक्ति दीर्घा से कूद गया था। इसलिए कैमरों की जरूरत है। देवनानी ने आश्वासन दिया कि न तो किसी की निजता भंग हुई है और न ही भविष्य में होगी।

गहलोत के OSD से पूछें- जोगाराम पटेल

बीजेपी विधायक जोगाराम पटेल ने भी इन आरोपों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि कैमरे विधानसभा भवन के निर्माण के समय से ही लगे हैं और न तो वसुंधरा राजे की जासूसी हुई और न ही किसी अन्य विधायक की। पटेल ने तंज कसते हुए कहा कि जूली को यह सवाल पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के OSD से पूछना चाहिए। उन्होंने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि उनमें सदन में आकर अपनी बात रखने की हिम्मत नहीं है।

राज्यपाल से मिले विपक्ष के नेता

इधर, नेता विपक्षल टीकाराम जूली ने राज्यपाल से मिलकर कहा कि महामहिम राज्यपाल हरी भाऊ किशन राव बागडे जी से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायकों के साथ मुलाकात कर सदन के विपक्षी ब्लॉक (ना पक्ष) में हिडन कैमरों द्वारा की जा रही जासूसी तथा सरकारी मुख्य सचेतक एवं सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा सदन में प्रयोग किए गए आपत्तिजनक शब्दों से विधानसभा की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाले व्यवहार के संबंध में महामहिम को ज्ञापन दिया l

https://x.com/TikaRamJullyINC/status/1966093481878892762?t=64nKX4R-fmQD0YhkjDOcFQ&s=19

उन्होंने कहा कि महामहिम से अनुरोध किया इस विषय की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए इस संबंध में हस्तक्षेप कर माननीय विधानसभा अध्यक्ष, संसदीय कार्य मंत्री, सरकारी मुख्य सचेतक और सत्ता पक्ष के विधायक के विरुद्ध संवैधानिक कार्रवाई कर लोकतंत्र की रक्षा की जाएं l

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