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राजस्थान कांग्रेस में 29 सीटों पर BLA नियुक्ति में देरी, प्रभारी रंधावा ने क्यों लगाई फटकार? 7 दिन का मिला अल्टीमेटम

By Shravan Kumar Oad

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Reporter Shravan Kumar Od Jalore

जयपुर ( 13 सितंबर 2025 ) देशभर में संगठन का साल मना रही कांग्रेस पार्टी ने आगामी पंचायत और निकाय चुनावों से पहले सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में 52,000 से अधिक बूथों पर बूथ लेवल एजेंट (BLA) नियुक्त करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, 29 विधानसभा क्षेत्रों में यह काम अभी तक पूरा नहीं हो सका है। इस वजह से प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कई बड़े नेताओं और पदाधिकारियों को जमकर फटकार लगाई है।

बीते शुक्रवार को जयपुर में कांग्रेस के वॉर रूम में आयोजित एक बैठक में रंधावा ने इन 29 विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारियों और पर्यवेक्षकों को सात दिन का अल्टीमेटम देते हुए बीएलए नियुक्ति पूरी करने के निर्देश दिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस अवधि में काम पूरा नहीं हुआ तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, प्रदेश सह प्रभारी चिरंजीव राव और ऋत्विक मकवाना भी मौजूद थे। रंधावा ने स्पष्ट किया कि सात दिन बाद वह बीएलए नियुक्ति की प्रगति की समीक्षा करेंगे और लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे।

बता दें, इस बैठक में कई विधायकों, पूर्व मंत्रियों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के क्षेत्रों में बीएलए नियुक्ति में देरी की बात सामने आई, जिस पर रंधावा ने नाराजगी जताई। खास बात यह है कि इस सूची में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के तीन सचिवों, दानिश अबरार, धीरज गुर्जर और दिव्या मदेरणा के नाम भी शामिल हैं।

सीकर के नेताओं पर विशेष निशाना

रंधावा द्वारा तैयार की गई सूची में सीकर जिले के नेताओं का नाम सबसे ऊपर है। इसमें कांग्रेस विधायक राजेंद्र पारीक (सीकर) और वीरेंद्र सिंह (दांतारामगढ़) शामिल हैं। दोनों ही नेता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के गृह जिले से हैं, जिसके चलते उनकी उदासीनता पर सवाल उठ रहे हैं। रंधावा ने इन नेताओं से बीएलए नियुक्ति में देरी का स्पष्टीकरण मांगा और सात दिन में काम पूरा करने का निर्देश दिया।

पूर्व मंत्रियों और विधायकों की लापरवाही

रिपोर्ट के अनुसार, 29 विधानसभा क्षेत्रों में बीएलए की नियुक्ति अभी तक नहीं हो सकी है। इनमें कई विधानसभा क्षेत्र वर्तमान विधायकों, सांसदों और पूर्व मंत्रियों के हैं। सूची में शामिल प्रमुख नामों में फुलेरा से विद्याधर चौधरी, भरतपुर से बृजेंद्र सूंपा, वैर से भजनलाल जाटव, देवली-उनियारा से हरिश्चंद्र मीणा और केसी मीणा, ब्यावर से पारस पांच जैन, लाडनूं से मुकेश भाकर, परबतसर से रामनिवास गावड़िया, ओसियां से दिव्या मदेरणा, पोकरण से शालेह मोहम्मद, गुढामालानी से हेमाराम चौधरी, आहोर से सरोज चौधरी, भीनमाल से समरजीत सिंह, रानीवाड़ा से रतन देवासी, कपासन से आशीष पदावत, आसींद से हंगामीलाल मेवाड़ा, रामगंज मंडी से महेंद्र राजोरिया और जहाजपुर से धीरज गुर्जर शामिल हैं।

इनमें पूर्व मंत्री रामलाल जाट का नाम भी शामिल है, जिन्होंने बीएलए नियुक्ति में सक्रियता नहीं दिखाई। इसके अलावा, मुंडावर से ललित यादव, रामगढ़ से अयाज जुबेर खान, डीग-कुम्हेर से पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह, सवाई माधोपुर से दानिश अबरार, खंडार से पूर्व मंत्री अशोक बैरवा, खींवसर से रतन चौधरी, फलौदी से प्रकाश छंगानी, भोपालगढ़ से गीता बरवड़, बाड़मेर से राकेश चौधरी, चौहटन से पदमाराम मेघवाल, जालौर से रमीला मेघवाल, भीलवाड़ा से ओम नाराणीवाल, शाहपुरा से नरेंद्र कुमार रैगर और बस्सी से लक्ष्मण मीणा जैसे नेताओं ने भी बीएलए नियुक्ति में देरी की है।

ऑब्जर्वरों से भी मांगा स्पष्टीकरण

कई विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के लोकसभा चुनाव लड़ चुके नेताओं को बीएलए नियुक्ति की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन उनके साथ ऑब्जर्वर भी नियुक्त किए गए थे। इन ऑब्जर्वरों से भी काम में देरी के लिए स्पष्टीकरण मांगा गया है। कुछ नेताओं ने बैठक में अनुपस्थित रहने का कारण पहले ही प्रदेश अध्यक्ष को बता दिया था, लेकिन उनकी अनुपस्थिति के चलते भी पार्टी नेतृत्व नाराज है।

171 विधानसभा क्षेत्रों में काम पूरा

कांग्रेस ने सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्येक बूथ पर दो बीएलए (बीएलए-1 और बीएलए-2) नियुक्त करने का लक्ष्य रखा था। अब तक 171 विधानसभा क्षेत्रों में यह काम पूरा हो चुका है, जहां 43,160 बीएलए नियुक्त किए गए हैं। हालांकि 29 विधानसभा क्षेत्रों में यह प्रक्रिया अभी शुरू भी नहीं हुई है। इन क्षेत्रों में बीएलए की नियुक्ति बाकी है। रंधावा ने इन क्षेत्रों के प्रभारियों को साफ शब्दों में कहा कि आलाकमान की सख्ती के बावजूद काम में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

पंचायत और निकाय चुनावों की तैयारी

कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनावों से पहले पंचायत और निकाय चुनावों में मजबूती के लिए बीएलए नियुक्ति को प्राथमिकता दी है। बीएलए बूथ स्तर पर मतदाता सूची के पुनरीक्षण, मतदाताओं से संपर्क और संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाते हैं। रंधावा ने बैठक में कहा कि बीएलए की नियुक्ति संगठन की रीढ़ है और इसमें देरी से पार्टी की चुनावी तैयारियों पर असर पड़ सकता है। उन्होंने नेताओं को चेतावनी दी कि यदि सात दिन में काम पूरा नहीं हुआ, तो उन्हें पद छोड़ने के लिए तैयार रहना होगा।

नेताओं की उदासीनता पर सवाल

रंधावा ने बैठक में एक-एक पदाधिकारी से सवाल किए और उनकी प्रगति की समीक्षा की। कई नेताओं की उदासीनता पर सवाल उठे, खासकर उन पूर्व मंत्रियों और विधायकों पर जो गहलोत सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर रहे। रंधावा ने कहा कि संगठन के प्रति जवाबदेही हर नेता की जिम्मेदारी है और इसमें किसी तरह की ढिलाई स्वीकार्य नहीं होगी।

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