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राजस्थान में दलित अत्याचार पर चिंताजनक रिपोर्ट! नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने उठाई बड़ी आवाज़

By Shravan Kumar Oad

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राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष किशोर मकवाना से मुलाकात, सौंपा ज्ञापन

जयपुर, 19 अगस्त।
राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सोमवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष किशोर मकवाना से जयपुर में मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने प्रदेश में दलित वर्ग की स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए एक विस्तृत ज्ञापन भी सौंपा।

जूली ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की गारंटी दी गई है, लेकिन हकीकत में दलित और वंचित वर्ग आज भी बराबरी और सम्मान पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने मकवाना को बताया कि केंद्र सरकार की हालिया रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान और मध्यप्रदेश में दलितों पर अत्याचार के मामले सबसे ज्यादा दर्ज किए गए हैं।

8075 मामले दर्ज, आधे से ज्यादा अब भी लंबित

जूली ने जानकारी दी कि जुलाई 2024 से जुलाई 2025 के बीच राजस्थान में एससी/एसटी एक्ट के तहत कुल 8075 मामले दर्ज हुए। इनमें से 44.73% मामले आज भी पेंडिंग हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि पर्याप्त कानूनी प्रावधान होने के बावजूद आरोपियों को सजा दिलाने में लगातार गिरावट आ रही है, जिससे पीड़ित वर्ग में असुरक्षा और निराशा फैल रही है।

“दलित दूल्हे को घोड़ी पर नहीं बैठने दिया जाता”

जूली ने आयोग अध्यक्ष को बताया कि आज भी दलित समुदाय को कई स्तरों पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

  • महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले
  • दलित दूल्हों को घोड़ी पर नहीं बैठने देने की घटनाएं
  • शादी-ब्याह में बैंड बजाने से रोकना
  • दबंगों द्वारा जमीन और मकान से बेदखल करना
  • बंधुआ मजदूरी और छुआछूत जैसी प्रथाएँ

जूली ने कहा कि ऐसी घटनाएं यह साबित करती हैं कि “हम अभी भी आदिम युग की सोच में जी रहे हैं।”

भर्ती परीक्षाओं और कैबिनेट में भी उपेक्षा

नेता प्रतिपक्ष ने दलितों की राजनीतिक और प्रशासनिक उपेक्षा का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि:

  • भर्ती परीक्षाओं में आरक्षित वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा रहा।
  • अब तक प्रदेश में अनुसूचित जाति आयोग का गठन भी नहीं हुआ।
  • मंत्रिमंडल में दलित विधायकों को उचित स्थान नहीं मिला।
  • हाल ही में आईएएस में पदोन्नति के चारों चयन अगड़ी जाति से हुए, दलितों को नज़रअंदाज़ किया गया।

दलित कल्याण के लिए बजट आवंटन की मांग

अंत में जूली ने आयोग अध्यक्ष से मांग की कि दलित वर्ग की स्थिति सुधारने के लिए राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिए जाएं। उन्होंने बजट आवंटन में भी अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम के अनुसार प्रावधान लागू करने की अपील की।

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