
जयपुर।
राजस्थान में पंचायत और शहरी निकाय चुनाव को लेकर बड़ा फैसला सामने आया है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद अब राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव करवाने की तैयारियां तेज कर दी हैं। राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने साफ कर दिया है कि “हमारे लिए हाईकोर्ट का आदेश सर्वोपरि है। 7 से 10 दिन में चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया जाएगा।”
इसका मतलब है कि जल्द ही राज्य की 11 हजार से ज्यादा पंचायतों और 150 से अधिक नगर निकायों में जनता अपने प्रतिनिधि चुनने के लिए वोट डालेगी।
कहां-कहां होंगे चुनाव?
निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने बताया कि जिन पंचायत राज संस्थाओं और शहरी निकायों का कार्यकाल पूरा हो चुका है या अगले दो महीने में पूरा होने वाला है, वहां चुनाव कराए जाएंगे।
उन्होंने साफ कहा कि कानून के अनुसार हर स्थिति में पांच साल के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है। यानी किसी भी बहाने से चुनाव लटकाना अब संभव नहीं होगा।
‘वन स्टेट-वन इलेक्शन’ पर क्या बोले आयुक्त?
पिछले कुछ समय से राज्य में यह चर्चा चल रही थी कि पंचायत और निकाय चुनाव को एक साथ कराने की तैयारी है, यानी ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’। इस पर गुप्ता ने कहा कि यह फिलहाल व्यावहारिक नहीं है।
उन्होंने साफ किया कि –
- जब तक संविधान में संशोधन नहीं होता, सभी पंचायतों और निकायों के चुनाव एक साथ कराना संभव नहीं।
- समय से पहले चुनाव कराने का कोई प्रावधान नहीं है।
- इतने बड़े पैमाने पर चुनाव एक साथ करवाने के लिए अतिरिक्त EVM मशीनें और भारी संसाधनों की जरूरत पड़ेगी।
यानी ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ फिलहाल सिर्फ चर्चा भर है, हकीकत में अभी इसे लागू करना मुश्किल है।
हाईकोर्ट ने क्यों दिखाई सख्ती?
हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट ने चुनावों में हो रही देरी पर कड़ी नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने साफ कहा कि:
- परिसीमन (सीमांकन) की आड़ में चुनाव टालना संविधान की भावना के खिलाफ है।
- पंचायतें लोकतंत्र की निचली इकाई हैं, इन्हें लंबे समय तक प्रशासकों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता।
हाईकोर्ट के इसी आदेश के बाद आयोग पर दबाव बढ़ा और अब चुनाव करवाने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं।
राजनीतिक हलचल तेज
जैसे ही आयोग ने यह घोषणा की, प्रदेश की राजनीति में सरगर्मी बढ़ गई है। विपक्ष लंबे समय से सरकार पर चुनाव टालने के आरोप लगाता रहा है। अब जब चुनाव कार्यक्रम घोषित होने की बात कही गई है, तो कांग्रेस और विपक्षी दलों के बीच नई बहस छिड़ गई है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पंचायत और निकाय चुनाव के नतीजे सीधे तौर पर विधानसभा और लोकसभा की राजनीति को प्रभावित करेंगे। यानी यह सिर्फ स्थानीय निकाय का चुनाव नहीं होगा, बल्कि आने वाले बड़े चुनावों की दिशा भी तय करेगा।
👉 कुल मिलाकर, राजस्थान में पंचायत और निकाय चुनाव सिर्फ स्थानीय प्रतिनिधियों को चुनने की कवायद नहीं होंगे, बल्कि ये चुनाव राज्य की राजनीति में बड़ा मोड़ ला सकते हैं। अब सबकी निगाहें निर्वाचन आयोग के अगले कदम और जल्द आने वाले चुनाव कार्यक्रम पर टिकी हैं।
‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ संभव नहीं
‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ को लेकर मंत्री स्तर पर बार-बार चर्चाएं होती रही हैं, लेकिन निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने साफ कहा कि यह “व्यावहारिक नहीं है।” उन्होंने कहा कि जब तक संविधान में संशोधन नहीं होता, तब तक सभी पंचायत और निकाय चुनाव एक साथ नहीं हो सकते। उन्होंने यह भी जोड़ा कि चुनाव समय से पहले करवाने का कोई प्रावधान नहीं है और इसके लिए अतिरिक्त EVM व संसाधनों की भी जरूरत होगी।
राजनीतिक सरगर्मी तेज
आयोग की इस घोषणा के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। विपक्ष पहले से ही सरकार पर चुनाव टालने का आरोप लगाता रहा है। अब आयोग की सख्त मंशा के बाद सरकार पर दबाव और बढ़ गया है। ग्रामीण इलाकों में लंबे समय से चुनाव न होने पर असंतोष पनप रहा था, ऐसे में अब चुनाव की घोषणा से गांव-ढाणी की राजनीति में नई गर्माहट आना तय है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि पंचायत और निकाय चुनाव के नतीजे सीधे तौर पर विधानसभा और लोकसभा की राजनीति पर असर डाल सकते हैं। यही वजह है कि इन चुनावों को राजस्थान की राजनीति का “मिनी लिटमस टेस्ट” माना जा रहा है।
1 – 2 दिन में जारी करेंगे तारीख
प्रदेश में पंचायतीराज चुनाव की तारीखों का जल्द ऐलान होने वाला है. राज्य निर्वाचन आयोग 1-2 दिन में ऐलान कर सकता है. राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने बड़ा बयान दिया है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद आयोग सक्रिय है. मधुकर गुप्ता बोले कि आज कोर्ट का आदेश मिला है. अब जल्द चुनाव के अलावा आयोग के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं. जल्द चुनाव कार्यक्रम जारी होगा.
फिलहाल वन नेशन वन इलेक्शन के तहत चुनाव संभव नहीं है. जब तक संवैधानिक संशोधन नहीं,तब तक यह संभव नहीं है. वहीं हाईकोर्ट के आदेश में साफ है हमें चुनाव कराने होंगे. और हम 2-3 दिन में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर देंगे. हम कोर्ट के निर्देशों की पालना करेंगे.

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।