
सिरोही, 23 अगस्त।
सिरोही जिले में शुक्रवार को सिरोही एवं पिंडवाड़ा ब्लॉक की मासिक स्वास्थ्य समीक्षा बैठक आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. दिनेश खराड़ी ने की।
इस मौके पर जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी (RCHO) डॉ. रितेश सांखला, उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (DyCMHO) डॉ. एस.पी. शर्मा, बीसीएमओ सिरोही डॉ. विवेक जोशी, बीसीएमओ पिंडवाड़ा डॉ. बी.पी. सिंह समेत दोनों ब्लॉकों के सभी चिकित्सा अधिकारी और एएनएम बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
किन-किन योजनाओं की हुई समीक्षा?
बैठक में जिले में चल रहे कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों की समीक्षा की गई। इनमें शामिल थे:
- टीबी मुक्त भारत अभियान
- गैर-संचारी रोग (NCD) कार्यक्रम
- राजस्थान सरकारी स्वास्थ्य योजना (RGHS) और माँ योजना
- यूडीआईडी (UDID) कार्ड वितरण योजना
- परिवार कल्याण कार्यक्रम
- जननी सुरक्षा योजना (JSY) और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY)
- राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम
- एड्स नियंत्रण कार्यक्रम
- मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी मौसमी बीमारियों की रोकथाम
- मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम
अधिकारियों ने ब्लॉकवार रिपोर्ट पेश कर अब तक की उपलब्धियां और सामने आई चुनौतियाँ साझा कीं।
सीएमएचओ का संदेश – “गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा हर नागरिक तक पहुँचे”
सीएमएचओ डॉ. दिनेश खराड़ी ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा:
“स्वास्थ्य विभाग का मुख्य उद्देश्य है कि गुणवत्तापूर्ण और समय पर स्वास्थ्य सेवाएँ हर नागरिक तक पहुँचें। मौसमी बीमारियों की रोकथाम, टीबी उन्मूलन और मातृ-शिशु स्वास्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताएँ हैं। इसके लिए विभाग की सभी टीमें फील्ड स्तर पर सक्रिय रहें और यह सुनिश्चित करें कि किसी भी योजना का लाभ कोई पात्र व्यक्ति न चूके।”
डॉ. एस.पी. शर्मा – “जागरूकता और शुरुआती इलाज ही बचाव”
उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस.पी. शर्मा ने कहा कि बरसाती मौसम में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों की रोकथाम बेहद अहम है।
उन्होंने कहा,
“घर-घर जागरूकता अभियान चलाना, स्वच्छता पर बल देना और शुरुआती लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज उपलब्ध कराना ही सबसे बड़ा बचाव है। हमारी टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं ताकि किसी भी बीमारी का प्रकोप समय रहते रोका जा सके।”
डॉ. रितेश सांखला – “मातृ-शिशु स्वास्थ्य है समाज की नींव”
जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रितेश सांखला ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य योजनाओं की अहमियत पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि:
- संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना
- प्रसव पूर्व जांचें
- नवजात शिशुओं का समय पर टीकाकरण
- और पोषण सेवाओं पर फोकस करना
जरूरी है।
उन्होंने कहा,
“अगर इन सेवाओं को पूरी ईमानदारी से लागू किया जाए तो मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है।”
आगे की रणनीति – फोकस मौसमी बीमारियों और टीकाकरण पर
बैठक में तय हुआ कि आने वाले महीनों में:
- मौसमी बीमारियों पर कड़ा नियंत्रण रखा जाएगा
- फील्ड लेवल पर सर्विलांस टीमों को और मजबूत किया जाएगा
- घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चलेंगे
- टीबी रोगियों की शीघ्र पहचान और उपचार सुनिश्चित किया जाएगा
- संस्थागत प्रसव और बच्चों के 100% टीकाकरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा
- किशोर स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रमों को भी प्राथमिकता दी जाएगी
साथ ही अधिकारियों ने साफ कर दिया कि किसी भी योजना की प्रगति पर ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी और हर स्तर पर सख्ती से मॉनिटरिंग होगी।
बैठक का संकल्प
बैठक के अंत में सभी अधिकारियों और स्वास्थ्यकर्मियों ने संकल्प लिया कि वे टीम भावना से काम करते हुए जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि हर गांव-ढाणी तक योजनाओं का लाभ पहुंचे।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।