नहीं रहे ममूल गीत वाले लोक कलाकार दपू खान मिरासी, मुख्यमंत्री ने जताई संवेदना - JALORE NEWS
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नहीं रहे ममूल गीत वाले लोक कलाकार दपू खान मिरासी, मुख्यमंत्री ने जताई संवेदना - JALORE NEWS
जालौर ( 13 मार्च 2021 ) जैसलमेर के ख्यातनाम अंतर्राष्ट्रीय लोक कलाकार (International Folk Artist) दपु खान मिरासी (Dapu Khan Mirasi Singer) का आज निधन (Death) हो गया, जैसलमेर की गलियों से लेकर इन्टरनेट पर उनकी आवाज में मूमल गीत (Mumal Song) गूँज रहा है , मगर आज वो जगह खाली है जंहा एक टाट की बोरी पर कमायचा (Kamaicha) लेकर दपु खान बैठे रहते थे.दपु खान मिरासी (Dapu Khan Mirasi) की निधन की खबर आते ही हिन्दू- मुस्लिम सभी की आँखे नम हो गयी गयी, “जैसलमेर रो पपइयो” नाम से मशहूर दपु खान की वो मीठी आवाज भी उन्ही के साथ चली गयी.
बताया गया है कि झणकली गाँव के मूल निवासी दपु खान को दिल का दौरा पड़ा था और वो जोधपुर के निजी अस्पताल में भर्ती थे वंही शनिवार दोपहर उन्होंने अंतिम साँस ली.
जैसलमेर किले के ऊपर और कलाकारों के बीच में पुराने समय से एक वाध यंत्र कमायचा (Kamaicha) की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए, दपू खान तीस वर्षों से दुनिया भर के लोगों का मनोरंजन कर रहे थे ।
दपु खान मिरासी ((Dapu Khan Mirasi)) पिछले 30 वर्षों से जैसलमेर (Jaisalmer City) में रह थे और भादली नाम के एक छोटे से गाँव (Badali Village) में इनका घर हैं। दपु ने सीखना शुरू किया जब वह अपने छोटे भाई के साथ एक बच्चा था। वे अपने पिता के साथ कमायचा (Kamaicha) लेकर बैठे रहते थे और वहीं से वे वाद्य यंत्र सीखने और खेलने लगे।
उन्होंने राग पहाड़ी, राणा और मल्हार में स्व-संगीतबद्ध गीत प्रस्तुत किए हैं। शुरू में जब उन्होंने अपने घर पर बैठकर गाना शुरू किया तो पूरा मोहल्ला उनके घर के आस-पास इकट्ठा हो गया और उन्हें खेलते हुए सुना, जिससे उन्हें जीवन में एक मकसद मिला और वह थी अपने पूर्वजों की इस महान कला को आगे बढ़ाना।
दपु खान हर दिन जैसलमेर के किले (Jaisalmer Fort) में रानी के महल (Rani Mahal) में बैठते थे और कमायचा (Kamaicha) पे पूरे विश्व के पर्यटको को मूमल सुनाते थे। उन्होंने इस जगह को तब से फिक्स कर लिया था जब कई साल पहले जिला कलेक्टर ने उनसे प्रसिद्ध कमायचा (Kamaicha) दिखाने और जैसलमेर किले में प्रवेश करने वाले मेहमानों का स्वागत (Welcome Of Tourist) करने का अनुरोध किया था।वह पिछले 25 सालों से इस जगह पर बैठे थे और यह उनके और उनके परिवार के लिए जीवन यापन का एक हिस्सा प्रदान करता है।दपु ने भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों में प्रदर्शन किया है। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन (Bill Clinton) के लिए व्हाइट हाउस (White House America) में भी गया है, जो कुछ साल पहले जोधपुर आए थे और दपु खान को अपने समूह के साथ गाते हुए सुना था।रेत के बीच में दपु खान और उनके समूह ने अपने शक्तिशाली आत्मीय संगीत में 1500 साल पुरानी विरासत को संभाला। वर्तमान में, इनके समूह में चार सदस्य हैं, जो शुभ अवसरों पर मंदिरों और शाही दरबार में विभिन्न अवसरों पर गाते हैं।वे भाटियों (शाही वंश) में आयोजित सभी अवसरों पर प्रदर्शन करते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे देवी पूजा के दौरान मंदिरों में जाते हैं।
राजपूत 500 से अधिक वर्षों से उन्हें अपनी सभी शादियों के लिए आमंत्रित कर रहे हैं, वास्तव में शादी के जुलूस मिरासीर के प्रदर्शन के बाद ही शुरू होते हैं। उन्होंने एक साथ विभिन्न शादियों, त्योहारों आदि में पूरे भारत में प्रदर्शन किया.!
कुछ इस तरह से था जीवन
अपनी आवाज के जादू से दिल को छू लेने वाले कलाकार मूमल (Dapu Khan Mirasi -Moomal) को सुनाकर मंत्र मुग्ध कर देते थे। उनके चाहने वालों में राजस्थानी ही नही विदेशी भी उनकी आवाज के दीवाने है। अपने बड़े भाई से संगीत सीखना शुरु किया और यंही से शुरु हो गया सफर। वाद्य यंत्र और स्थानीय यंत्रों से संगीत सुनाने में उनका कोई मुकाबला नही था।
मुख्यमंत्री ने जताई संवेदना
उनके निधन पर मुख्यमंत्री (CM)अशोक गहलोत (Ashok Gehlot)ने शोक संवेदना जताई है। उन्होने लिखा कि ‘‘ ख्यातनाम लोक गायक दपु खान जी के निधन पर मेरी गहरी संवेदनाएं। मूमल गीत के लिए विख्यात, लोकवाद्य कमायचा के माहिर दपु खान जी ने अपने हुनर से प्रदेश के लोक संगीत को देश-विदेश में प्रसिद्धि दिलाई। परवरदिगार मरहूम को जन्नते फिरदौस में जगह अता करें,गमजदा परिवार को यह सदमा सहने की ताकत दें।
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