कोरोना की दूसरी लहर गर्भवतियों के लिए घातक साबित हो रही हैं। मथुरादास माथुर अस्पताल के जनाना विंग में अप्रैल व मई माह में अब तक 28 संक्रमित गर्भवतियों
कोरोना की दूसरी लहर गर्भवतियों के लिए घातक साबित हो रही हैं। मथुरादास माथुर अस्पताल के जनाना विंग में अप्रैल व मई माह में अब तक 28 संक्रमित गर्भवतियों की जान जा चुकी हैं। इनमें से 17 गर्भवती ऐसी थीं, जिनकी कोख में पल रहे बच्चे भी जिंदगी हार गए।
इनके अलावा आठ महिलाएं ऐसी हैं जो भर्ती होने के समय पॉजिटिव थीं, लेकिन प्रसव के समय उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई। जबकि कोरोना की पहली लहर में 5-6 महिलाओं की मौत ही रिपोर्ट हुई थी। विशेषज्ञ डॉक्टरों की मानें तो जरूरत डरने की नहीं, बस थोड़ी सावधानियां रखने की है।
गर्भावस्था के समय महिला की इम्युनिटी कमजोरी होती है। ऐसे में वे संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाती हैं। ऐसे में लोगों के संपर्क में कम से कम आएं और बार-बार अस्पताल जानें से भी बचें। मास्क लगाने का भी पूरा ख्याल रखें।एमडीएम: अब तक 246 संक्रमित गर्भवती हुईं भर्तीकोरोना संक्रमित सभी गर्भवतियों की डिलीवरी के लिए एमडीएम अस्पताल के जनाना विंग में अलग से व्यवस्था की गई है।
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यहां अब तक 246 गर्भवतभर्ती हो चुकी हैं। जिसमें से करीब 210 महिलाओं को डिस्चार्ज किया जा चुका हैं। इसमें 28 संक्रमित व कोरोना को हरा चुकीं 8 गर्भवती महिलाओं की मौत हुईं हैं। 3 गर्भवतियों का ऑक्सीजन लेवल 60%, 8 का 60% से कम, 17 का 60% से अधिक था। इन 60% से अधिक सेचुरेशन वाली 17 गर्भवतियों में से 10 का ऑक्सीजन लेवल तो 90% और उससे अधिक था। चार गर्भवती महिलाओं ने डिलीवरी के दौरान दम तोड़ दिया।
इधर, पुलिस की एक और सख्ती
बिना काम घर से निकलने वालों की ऑन द स्पॉट सैंपलिंग शुरू लॉकडाउन में तमाम तरीके से सख्ती करने के बावजूद अभी भी कई लोेग बिना किसी जरूरी काम घर से निकल रहे हैं। ऐसे लोगों को रोकने के लिए प्रशासन ने एक और कदम उठाया है। अब बिना किसी ठोस कारण घर से निकलने वालों की ऑन द स्पॉट सैंपलिंग शुरू कर दी गई हैं।
सोमवार को पावटा चौराहा पर पुलिस ने आने-जाने वालों से बाहर निकलने का कारण पूछा, जो संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए उनकी चिकित्सा विभाग की टीम से मौके पर ही सैंपलिंग करवाई गई।महज 1,580 टेस्ट में 340 रोगी मिले, 1,066 डिस्चार्ज, 10 माैतहेल्थ रिपाेर्टर. जाेधपुर| शहर में काेराेना का अप-डाउन जारी है।
22 मई को घटकर 7% तक गिरी संक्रमण दर दो दिन बाद सोमवार को तीन गुणा बढ़कर 21% पहुंच गई। महज 1,580 टेस्ट में 340 नए रोगी मिले। यानी दिनोंदिन कम सैंपलिंग कर संक्रमितों के आंकड़े घटाने की कोशिश में जुटा जिला प्रशासन व चिकित्सा विभाग संक्रमण कम करने में नाकाम है।
वहीं सोमवार को दस और संक्रमितों ने दम तोड़ा व 1,066 रोगी डिस्चार्ज किए गए। मई के 24 दिनों में 31,986 रोगी मिल चुके हैं, 45,588 डिस्चार्ज हुए और 678 ने दम तोड़ा। जबकि जनवरी से अब तक मिले कुल संक्रमितों का आंकड़ा 67,659 पहुंच गया है, इनमें से 59,632 ठीक हुए और 1,122 मौतें हुई हैं।
एम्स में 4, एमडीएम व एमजीएच में 3-3 मौत
एम्स में रूपसिंह (66), मसूरिया की पुष्पादेवी (83), प्रेम विहार नांदड़ी के भानाराम (35), चौहाबो के दिनेश व्यास (55), एमडीएम में प्रतापनगर के रविन्द्र कुमार भटनागर (75) व बिलाड़ा के ओमप्रकाश (51), फलौदी की गुड्डी (48) और एमजीएच में हरिओम नगर की रूकमा देवी (90) व भावी बिलाड़ा की वासुदेवी (39), फलौदी के नारूराम (67) का निधन हुआ।एमडीएम अस्पताल में ब्लैक फंगस के 5 और ऑपरेशनएमडीएम में सोमवार को ब्लैक फंगस के 5 और ऑपरेशन हुए। डॉ. महेन्द्र चौहान ने बताया कि वर्तमान में 32 मरीज वार्ड में भर्ती हैं।
सोमवार को दो ऑपरेशन में एक में दूरबीन से मरीज के खराब हिस्से को हटाया गया। दूसरा ऑपरेशन दूरबीन व ओपन दोनों तकनीक से किया गया। तीन मरीजों के जबड़े निकाले गए। जिसमें एक मरीज के दोनों जबड़ों में ब्लैक फंगस था। वहीं एक का पूरा और दूसरे के जबड़े का कुछ भाग हटाना पड़ा। शेष दो में से एक का जबड़ा और दूसरे का एक जबड़ा और एक आंख निकालनी पड़ी।
गर्भावस्था के दौरान इम्युन सिस्टम कमजोर होने से गर्भवती को बड़ा खतरा रहता है। मां को हाइपोक्सिया होने से बच्चों के मानसिक विकास भी प्रभावित हो सकता है। केस बिगड़ने का बड़ा कारण यह है कि लोग लेट अस्पताल पहुंच रहे हैं। गर्भवती महिलाएं हाई रिस्क पर हैं, इसलिए बार-बार अस्पताल में जाने से बचें।
जब तक जरूरत ना हो अस्पताल ना जाएं और सोनोग्राफी के लिए 12वें व 19वें सप्ताह में आएं। इन 6 बातों का ख्याल रखें
1. घर में ही रहें। घर आने-जाने वालों के संपर्क में कम आएं।
2. हाथ को साबुन और पानी से 20 सेकंड तक बार-बार धोती रहें।
3. कान और मुंह को मास्क ढंक कर रखें। खांसते-छींकते समय टीशू पेपर या हाथ के ऊपरी भाग एल्बो का उपयोग करें।
4. चेहरे को बार-बार छूने से बचे। आंख, नाक और मुंह पर हाथ ना लगाएं।
5. गर्भवती महिला दूसरों से एक मीटर की दूरी बनाकर रखें।
6. खाने में प्रोटीन, हरे पत्तेदार सब्जी खाएं, जिससे इम्युनिटी बढ़ें।
गर्भवती को अधिक दवाएं व स्टेरॉयड नहीं दे सकते गर्भवतियों के लिए कोरोना के इलाज के सीमित तरीके हैं। उन्हें गर्भावस्था के दौरान सीमित स्टेरॉयड व अन्य दवाएं दी जाती हैं। कोविड में ऑक्सीजन लेवल कम होना काफी सामान्य है। अगर गर्भवती का सेचुरेशन डाउन होता है तो शिशु पर दुष्प्रभाव आते हैं।
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Dev chaudhary
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