जालोर के ओड़वाड़ा में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर बड़ा अपडेट, हाईकोर्ट ने अपने ही आदेश पर लगाई रोक
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जालोर के ओड़वाड़ा में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर बड़ा अपडेट, हाईकोर्ट ने अपने ही आदेश पर लगाई रोक
पत्रकार श्रवण कुमार ओड जालोर
जोधपुर / जालौर ( 17 मई 2024 ) Jodhpur High Court Odwara Latest Update : जालौर मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित ओडवाडा गांव, जहां गुरुवार का दिन गांव वालों के लिए सबसे बड़ी बेबसी लेकर आया था. पूरा गांव हैरान और परेशान था, क्योंकि दो भाइयों का विवाद इतना बढ़ गया कि वो विवाद पूरे गांव के लिए परेशानी खड़ी कर गया. राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका के जरिए ओरण भूमि पर से अतिक्रमण हटावाने के आदेश जारी करवा दिया गया. पिछले तीन साल से ग्रामीण लगातार चक्कर काटते रहे, लेकिन ग्रामीणों को कहीं से राहत नहीं मिली. इसी बीच जिला प्रशासन ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच कर तीन दशकों से बसे ग्रामीणों के अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी.
( कार्रवाई पर हाईकोर्ट की रोक ,ओडवाड़ा अतिक्रमण मामलाः आज पीड़ित ग्रामीण से मिलेगी कांग्रेस की कमेटी, सुखराम विश्नोई, हरीश चौधरी होंगे शामिल , जालोर जिले कलेक्टर पुजा पार्थ , हाईकोर्ट आदेशों की पालन किया गया है , देखिए पुरी खबर - JALORE NEWS 👇👇
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जालोर जिले के ओड़वाड़ा गांव में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दूसरे दिन राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ओड़वाड़ा गांव के ग्रामीणों को बड़ी राहत देते हुए अतिक्रमण हटाने पर रोक लगा दी है। 29 लोगों की याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिक्रमण हटाने पर रोक का निर्णय लिया है।
दरअसल, जालोर के ओडवाड़ा गांव में गुरुवार को अतिक्रमण की कार्रवाई शुरू हुई और पहले ही दिन 70 अतिक्रमण हटाए गए है। हालांकि, इस दौरान जमकर बवाल देखने को मिला था। इस मामले में आज सुबह जोधपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। 29 लोगों की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विनीत माथुर की बेंच ने अतिक्रमण की कार्रवाई पर रोक लगाने का फैसला सुनाया।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दी ये दलील
इस दौरान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश जी पंवार ने पक्ष रखा। वहीं, याचिकाकर्ताओं के वकील ने हाईकोर्ट में कहा कि ये लोग 80 साल से उन मकानों में रह रहे हैं और उनके पास पट्टा भी है। इन लोगों के पास बिजली और पानी के कनेक्शन भी हैं। ऐसे में किसी एक व्यक्ति की याचिका पर इनको अतिक्रमी नहीं माना जाएं। जिस पर जस्टिस विनीत माथुर की बेंच ने अतिक्रमण हटाने पर रोक लगाते हुए आदेश की पालना के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री से मिले आहोर विधायक
आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित ने गुरुवार रात मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से जयपुर में मुलाकात की थी। उन्होंने सीएम से कहा था कि ओडवाड़ा गांव की जनसंख्या के अनुरूप आबादी भूमि का विस्तार नहीं किया गया। ग्रामीण अनजाने में ओरण में बसते गए। उनके मकान 50-60 साल से बने हुए हैं। विधायक ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया था कि वैकल्पिक रूप से अन्यत्र भूमि ओरण में बदल कर आबादी विस्तार किया जाए। इससे करोड़ों रुपए की बर्बादी नहीं होगी और ओडवाड़ा गांव को त्रासदी से भी बचाया जा सकेगा।
अतिक्रमण कार्रवाई पर कलेक्टर की सफाई
वहीं, जालोर जिला कलेक्टर पूजा पार्थ ने कार्रवाई पर सफाई देते हुए कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों की पालना में प्रशासन ने ओडवाड़ा की ओरण भूमि से गुरुवार को अतिक्रमण हटाए थे। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई विधिपूर्ण और शांतिपूर्वक की गई थी। रहवासीय आवास किसी भी प्रकार के अभी तक नहीं हटाये गए है तथा कोई भी परिवार बेघर नहीं हुआ है। अतिक्रमण हटवाने की कार्रवाई के दौरान महिलाओं एवं बच्चों पर कोई बल प्रयोग नहीं किया गया है। न ही किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार पुलिस बलों द्वारा किया गया है। सभी अतिक्रमण समझाईश कर हटाए गए थे।
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ये है पूरा मामला
बता दें कि हाईकोर्ट के 16 मार्च 2021 के निर्णय व अवमानना याचिका 433/2022 में पारित आदेश और अवमानना याचिका 648/2023 में पारित आदेश 7 मई 2024 की पालना में ग्राम ओडवाड़ा की ओरण भूमि से गुरुवार को बाड़ व बाउण्ड्री वॉल हटाने की कार्यवाही की गई थी, जिसमें कोई भी आवासीय मकान शामिल नहीं था। हाईकोर्ट के आदेश के तहत कुल 342 रहवासी क्षेत्र अतिक्रमण की श्रेणी में माने गए थे। जिसमें पूर्व में हुई कार्रवाई के बाद 268 अतिक्रमण शेष बचे थे। गुरुवार की कार्रवाई में 70 अतिक्रमण हटाए गए और आज करीब 198 अतिक्रमण हटाने थे। लेकिन, इससे पहले ही हाईकोर्ट ने अपने ही आदेश पर रोक लगा दी है।
268 मकानों को किया गया था चिन्हित
बेबस ग्रामीण कहते रहे, चिल्लाते रहे, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं था. ग्रामीणों की मानें, तो प्रशासन उनको गुमराह करता रहा कि आप कोर्ट जाओ, लेकिन पीछे उनके आशियानों के बाहर बने छप्पर व दीवारों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई को अंजाम दिया गया. ग्रामीणों की मानें, तो सरकार ही उनके लिए सब कुछ है, लेकिन केवल दो भाइयों की लडाई ने पूरे गांव के आशियानों को खतरे में डाल दिया. गांव में 40 फीसदी भूमि ओरण क्षेत्र में होने की वजह से जिला प्रशासन कोर्ट के आदेश के बाद अतिक्रमण चिन्हित करने की कार्रवाई की गई. पहले जब प्रशासन ने अतिक्रमण चिन्हित किए, तो 440 मकान थे. बाद में कुछ स्थानों पर कार्रवाई करने के बाद हाईकोर्ट में नई रिपोर्ट पेश की उसके बाद अब 268 मकानों को अतिक्रमण मानते हुए चिन्हित किया गया था.
टूटी दीवारों को देख बिलख पड़े ग्रामीण
प्रशासन की मानें, तो इनको 14 मई तक अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन उन्होंने नहीं हटाई, तो कार्रवाई की गई है. प्रशासन की कार्रवाई के बाद ग्रामीणों ने अपना हाल बताते हुए कहा कि गरीबों का नुकसान कर दिया. एक युवती ने बताया कि उसका तो सब कुछ बर्बाद कर दिया है. उसके पिता नहीं है, मां सहित परिवार में तीन महिलाएं हैं, लेकिन प्रशासन ने इस तरह की कार्रवाई कर उनको बेघर कर दिया है. वहीं, एक बुर्जुग का कहना था कि मुझे पटवारी ने राजस्थान हाईकोर्ट में जाने के लिए कहा, तो मैं वहां गया, लेकिन पीछे से मेरे मकान की दीवार तोड़ दी. हर ग्रामीण की जुबानी सिर्फ यही थी कि प्रशासन ने उनके आशियानों पर बुलडोजर चलाया है. हालांकि, प्रशासन ने अधिकांश घरों के बाहर की दीवारों को ही तोडा है. टूटी दीवारों एवं छप्परों को टकटकी लगाए देखते ग्रामीण बस यही कह रहे है कि दीवारे तो तोड़ दी, लेकिन भरी गर्मी में कहा जाए. क्योंकि बिजली कनेक्शन तक काट दिए है, उनको तो फिर से शुरू किया जाए. बता दें कि राजस्थान हाईकोर्ट ने बिना दस्तावेजों की जांच पड़ताल के अतिक्रमण हटाने पर रोक लगा दी है.
जिला कलक्टर ने ओडवाड़ा ग्राम में अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के संबंध में की प्रेस वार्ता - District Collector held a press conference regarding the action to remove encroachment in Odwada village
जिला कलक्टर पूजा पार्थ ने शुक्रवार को आहोर उपखण्ड कार्यालय में ओडवाड़ा ग्राम में माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की पालना में अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के संबंध में मीडियाकर्मियों से रूबरू होते हुए विस्तार से जानकारी दी।
जिला कलक्टर ने बताया कि प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के दौरान किसी भी व्यक्ति को बेघर नहीं किया गया है तथा केवल चार दिवारी व बाड़ हटाने की कार्यवाही की गई है। उच्च न्यायालय के आदेशों की पालना में प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के संबंध में संबंधित सभी को पूर्व में नोटिस जारी कर सूचना देने के साथ ही प्रशासन द्वारा संबंधित परिवारों से वार्ता कर समझाईश भी की गई थी।
उन्होंने बताया कि अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही विधिपूर्ण व शांतिपूर्वक की गई है। रहवासीय आवास किसी भी प्रकार के अभी तक नहीं हटाये गये है तथा कोई भी परिवार बेघर नही हुआ तथा सभी अतिक्रमण समझाईश कर हटाये गये हैं।
इस दौरान आहोर उपखण्ड अधिकारी शंकरलाल मीणा सहित प्रिन्ट व इलेक्ट्रोनिक संस्थानों के मीडियाकर्मी उपस्थित रहे।
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