भीनमाल: कल्पना नहीं, अगली सदी की मेगासिटी - BHINMAL NEWS
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भीनमाल: कल्पना नहीं, अगली सदी की मेगासिटी - BHINMAL NEWS
भीनमाल ( 12 मई 2025 ) जब देश भर में गांव और कस्बों को जोड़कर स्मार्ट सिटीज़ की परिकल्पना साकार हो रही हैं, तो क्या यह प्रश्न अनुचित होगा कि क्या भीनमाल इस दौड़ का हिस्सा नहीं बन सकता?
क्या यह सपना अधूरा ही रह जाएगा कि रामसीन, रानीवाड़ा और जसवंतपुरा जैसे प्राचीन गांव भीनमाल के साथ मिलकर एक नया शहरी क्लस्टर बनाएं– ऐसा क्लस्टर जो विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चले?
भीनमाल केवल एक उपखण्ड मुख्यालय नहीं, एक ऐतिहासिक पहचान हैं– जहां ज्ञान, संस्कृति और व्यापार का संगम सदीयों से रहा हैं।
आज, जब बिजली, पानी और इंटरनेट जैसी आधारभूत सेवाएं गाँवों तक पहुँच चुकी हैं, और सड़कें हर दिशा में शहरों से जोड़ रही हैं — तो क्या भीनमाल को महानगरपालिका के रूप में अपग्रेड कर, इसके चारों ओर बसे रामसीन, रानीवाड़ा, जसवंतपुरा जैसे कस्बों को जोड़कर एक ‘राउंड-सिटी’ या ‘शहरी क्लस्टर’ नहीं बनाया जा सकता?
यह वह समय हैं जब सपने केवल दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु तक सीमित नहीं रहने चाहिए।
भीनमाल का नामी बिल्डर वर्ग, जिन्होंने मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई में गगनचुंबी इमारतें और हाउसिंग टॉवर खड़े किए हैं – क्या अब अपने जन्मस्थल की धरती पर फ्लैट्स, मॉल्स, सिटी सेंटर और सस्टेनेबल टाउनशिप की परिकल्पना नहीं कर सकता?
क्या यह उचित हैं कि भीनमाल के होनहार युवाओं को हर बार शिक्षा और रोज़गार के लिए पलायन करना पड़े?
या फिर अब समय आ गया है कि यहां स्किल सेंटर, टेक्नोलॉजी पार्क, स्टार्टअप हब और को-वर्किंग स्पेस तैयार हो?
कल्पना कीजिए, एक ऐसा दिन जब:
सुबह भीनमाल में मेट्रो चले,
दोपहर को स्मार्ट स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई हो,
शाम को परिवार लेकफ्रंट, पार्क या कम्यूनिटी सेंटर में साथ समय बिताएं,
और रामसीन-रानीवाड़ा-जसवंतपुरा की ऐतिहासिक विरासत को देखने देश-विदेश से पर्यटक आ
एं।
क्या ऐसा सपना अब भी केवल ‘कल्पना’ हैं?
या फिर यह नीति-निर्माताओं, बिल्डर्स और नागरिकों के सामूहिक प्रयास से ‘योजना’ में बदल सकता हैं?
भीनमाल अब केवल एक कस्बा नहीं है।
यह एक ऊर्जा है, एक संभावना हैं, एक दिशा हैं— जो यदि आज पहचानी गई, तो कल इतिहास रचेगी।
बदलाव की शुरुआत सपनों से होती हैं—
और सपनों को ज़मीन देने का नाम ही तो प्रशासन हैं
तो आइए, भीनमाल को सिर्फ बीते कल की विरासत न माने,
उसे आने वाले कल की मेगासिटी के रूप में देखना शुरू करे—
जहां केवल सड़के नहीं, सोचें भी जुड़े।
माणकमल भंडारी
JALORE NEWS
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