खोज
24 C
hi
Jalore News | जालोर न्यूज़ | जालोर समाचार | Jalore News Today
  • News
  • Fashion
    • All
    • LifeStyle
    • Sosial Media
    • Woman
    • Health & Fitness
  • Gagdet
    • Video
  • Lifestyle
  • Video
  • Featured
    • Home - Homepage
    • Home - Post Single
    • Home - Post Label
    • Home - Post Search
    • Home - Post Archive
    • Home - Eror 404
    • RTL LanguageNew
    • ChangelogNew
Jalore News | जालोर न्यूज़ | जालोर समाचार | Jalore News Today
खोज
मुख्यपृष्ठ History समाज को सही दिशा दिखाती संत कबीर की कालजयी वाणी
History

समाज को सही दिशा दिखाती संत कबीर की कालजयी वाणी

समाज को सही दिशा दिखाती संत कबीर की कालजयी वाणी संत कबीर दास जयंती (11 जून) पर विशेष प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के दिन मध्यकालीन युग
Shravan Kumar
Shravan Kumar
10 जून, 2025 0 0
Facebook
Twitter
Telegram
WhatsApp

समाज को सही दिशा दिखाती संत कबीर की कालजयी वाणी

saint kabir das jayanti 2025
saint-kabir-das-jayanti-2025

संत कबीर दास जयंती (11 जून) पर विशेष

प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के दिन मध्यकालीन युग के महान कवि संत कबीर दास की जयंती मनाई जाती है, जो इस वर्ष 11 जून को मनाई जा रही है। माना जाता है कि इसी पूर्णिमा को विक्रमी संवत् 1455 सन् 1398 में उनका जन्म काशी के लहरतारा ताल में हुआ था। हालांकि उनके जन्म को लेकर अलग-अलग मत हैं। दरअसल कुछ लोगों का मानना है कि कबीर का जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था जबकि कुछ उन्हें जन्म से हिन्दू मानते हैं और उनका मानना है कि उनका जन्म एक जुलाहे के घर हुआ था। कुछ अन्य का मानना है कि जन्म से तो कबीर मुसलमान थे लेकिन उन्होंने गुरु रामानंद से हिन्दू धर्म का ज्ञान प्राप्त किया था। हालांकि तमाम मत-मतांतर के बावजूद सभी विद्वान् कबीर का जन्म काशी में हुआ मानते हैं। दोनों ही समुदायों में उन्हें बराबर का सम्मान प्राप्त था और दोनों समुदायों के लोग उनके अनुयायी थे। उनके जन्म के विषय में एक छंद में कहा गया है:-

चौदह सौ पचपन साल गए, चन्द्रवार एक ठाठ भरा।
जेठ सुदी बरसायत को, पूरण मासी प्रकट भए।।


वह ऐसा दौर था, जब चारों तरफ जात-पात, छुआछूत, धार्मिक पाखंड, अंधश्रद्धा से भरे कर्मकांड, मुल्ला-मौलवी तथा पंडित-पुरोहितों के ढ़ोंग और साम्प्रदायिक उन्माद का बोलबाला था। सदैव कड़वी और खरी बातें करने वाले स्वच्छंद विचारक संत कबीर दास को कई बार हिन्दू-मुसलमान दोनों ही समुदायों से धमकियां भी मिली लेकिन वे धमकियों से कभी भी विचलित नहीं हुए और समाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधश्रद्धा, अंधविश्वास, आडम्बरों तथा सामाजिक बुराईयों की कड़ी आलोचना करते हुए उन्होंने समाज में प्रेम, सद्भावना, एकता और भाईचारे की अलख जगाई। धर्म के नाम पर आम जनता को दिग्भ्रमित करने वाले काजी, मौलवी, पंडितों, पुरोहितों को आईना दिखाते हुए कबीर दास ने कहा था:-

काजी तुम कौन कितेब बखानी।
झंखत बकत रहहु निशि बासर।
मति एकऊ नहीं दिल में खोजी देखि खोजा दे।
बिहिस्त कहां से आया?


उन्होंने अपना सारा जीवन देशाटन करने और साधु-संतों की संगति में व्यतीत कर दिया और अपने उन्हीं अनुभवों को उन्होंने मौखिक रूप से कविताओं अथवा दोहों के रूप में लोगों को सुनाया। लोगों को बड़ी आसानी से अपनी बात समझाने के लिए उन्होंने उपदेशात्मक शैली में लोक प्रचलित और सरल भाषा का प्रयोग किया। उनकी भाषा में ब्रज, अवधी, पंजाबी, राजस्थानी तथा अरबी फारसी के शब्दों का मेल था। अपनी कृति सबद, साखी, रमैनी में उन्होंने काफी सरल और लोक भाषा का प्रयोग किया है। गुरु के महत्व को सर्वोपरि बताते हुए समाज को उन्होंने ज्ञान का मार्ग दिखाया। गुरू की महिमा का उल्लेख करते हुए वह कहते हैं:-

गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय।


एक ही ईश्वर को मानने वाले कबीर दास निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे। कबीरपंथी संत कबीर को एक अलौकिक अवतारी पुरुष मानते हैं। धार्मिक एकता के प्रतीक और अंधविश्वास तथा धर्म व पूजा के नाम पर आडम्बरों के घोर विरोधी रहे संत कबीर ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सुधार के कार्यों में लगा दिया था। अपने उपदेशों में उनका कहना था कि वृक्ष कभी अपने फल स्वयं नहीं खाते, न ही नदियां कभी अपने लिए जल का संचय करती हैं, इसी प्रकार सज्जन व्यक्ति अपने शरीर को अपने लिए नहीं बल्कि परमार्थ में लगाते हैं। अपनी रचनाओं में उन्होंने सदैव हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया और हिन्दू या इस्लाम धर्म को नहीं मानते हुए जीवन पर्यन्त पूर्ण रूप से धर्मनिरपेक्ष मूल्यों तथा मानव सेवा के प्रति समर्पित रहे। कबीर कहते थे:-
वो ही मोहम्मद, वो ही महादेव, ब्रह्मा आदम कहिए।
को हिन्दू, को तुरूक कहाए, एक जिमि पर रहिए।


कई सदियां बीत जाने के बाद भी कबीर दास के विचार 21वीं सदी में भी बेहद प्रासंगिक हैं। उनके कार्य की पहचान दो-दो पंक्तियों के उनके दोहे हैं, जिन्हें ‘कबीर के दोहे’ के नाम से जाना जाता है। उनके ये दोहे आज भी लोगों के मुख से सुनने को मिलते हैं, जो हमारे लोकजीवन के इर्द-गिर्द ही घूमते नजर आते हैं और मनुष्य को जीवन की नई प्रेरणा देते हैं। उनके कार्य के प्रमुख हिस्से को सिखों के पांचवें गुरु गुरु अर्जन देव द्वारा एकत्रित कर ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में शामिल किया गया। उनका समस्त मानव जाति के लिए स्पष्ट संदेश था कि मनुष्य को फूलों की भांति सभी धर्मों के लिए एक जैसा भाव रखने वाला होना चाहिए। अपने दोहों में उन्होंने कहा है कि मनुष्य अपना सारा जीवन दूसरों की बुराईयां देखने में ही लगा रहता है लेकिन वह अपने भीतर झांककर नहीं देखता। अगर वह ऐसा करे तो उसे पता चलेगा कि उससे बुरा तो संसार में और कोई नहीं है। इसलिए हर व्यक्ति को चाहिए कि वह सबसे पहले अपने भीतर की बुराईयों को दूर करे।

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो मन देखा आपना, मुझ से बुरा न कोय।।


कबीरदास ने अपना पूरा जीवन काशी में बिताया किन्तु जीवन के अंतिम समय में वे काशी छोड़ मगहर चले गए थे। उनकी दृढ़ मान्यता थी कि मनुष्य को स्थान विशेष के कारण नहीं बल्कि उसके कर्मों के अनुसार ही गति मिलती है और अपनी इसी मान्यता को सिद्ध करने के लिए अंतिम समय में वे मगहर गए थे। दरअसल उस समय लोगों की मान्यता थी कि काशी में मरने पर मनुष्य को स्वर्ग मिलता है जबकि मगहर में मरने पर नरक। मगहर में ही उन्होंने विक्रमी संवत् 1575 अर्थात् सन् 1518 के आसपास अंतिम सांस ली, जहां आज भी उनकी मजार और समाधि स्थित है। कहा जाता है कि देह त्यागने से पूर्व संत कबीर आमी नदी के किनारे एक छोटी सी कोठरी में चादर ओढ़कर लेट गए और बाहर से कोठरी का ताला बंद करा दिया। कुछ ही पलों बाद वे एक अलौकिक ध्वनि के साथ स्वर्ग सिधार गए। जब कोठरी का ताला खोला गया तो वहां चादर के नीचे कमल के फूलों का ढ़ेर ही पाया गया। उन पुष्पों को उनके हिन्दू-मुस्लिम शिष्यों ने आपस में बांटकर अपने-अपने धर्मों के अनुरूप उनका अंतिम संस्कार किया। मुस्लिम शिष्यों ने मगहर में उनकी कब्र बनाई जबकि हिन्दू शिष्यों ने अवशेषों का अग्निदाह सम्पन्न कर राख को काशी ले जाकर समाधिस्थ किया। इसी स्थान को काशी में वर्तमान में ‘कबीर चौरा’ नाम से जाना जाता है। कबीर दास के देहावसान के बाद उनके पुत्र तथा शिष्यों ने उनकी रचनाओं को बीजक के नाम से तीन भागों (सबद, साखी और रमैनी) में संग्रहीत किया और बाद में उनकी रचनाओं को ‘कबीर ग्रंथावली’ के नाम से संग्रहीत किया गया।
कबीर जयंती कब है?
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि 10 जून 2025 को सुबह 11 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी. जिसका समापन 11 जून को 1 बजकर 13 मिनट पर होगा. चूंकि उदया तिथि के अनुसार कोई भी पर्व मनाया जाता है, इसलिए 11 जून को ही संत कबीरदास जयंती मनाई जाएगी.
कबीर जयंती ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाई जाती है। उदया तिथि के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा 11 जून को है, ऐसे में कबीर जयंती भी 11 जून को मनाई जाएगी। संत कबीर का जन्म 1398 में उत्तर प्रदेश के बनारस में हुआ था। हालांकि उनके जन्म की तारीख और स्थान को लेकर प्रामाणिक दस्तावेज नहीं हैं लेकिन माना जाता है कि वह वाराणसी में जन्मे थे।
कबीरदास को लेकर कहा जाता है कि वह अनपढ़ थे लेकिन उन्होंने स्वामी रामानंद से शिक्षा ली थी। कबीर दास ने मौखिक रूप से लोगों को शिक्षा दी। हालांकि बाद में उनकी शिक्षा को लिखित रूप से संकलित किया गया। कबीर दास की कुछ रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं और आज के दौर में भी लोग उनसे प्रेरणा ले सकते हैं।
 

संत कबीरदास जी का जीवन और संदेश

संत कबीरदास जी 15वीं सदी के एक महान कवि, समाज सुधारक और संत थे. उनका जन्म लहरतारा, वाराणसी में हुआ था. उन्होंने अपने दोहों और पदों के माध्यम से समाज में व्याप्त आडंबरों, पाखंडों और भेदभाव का खंडन किया. उन्होंने एकता, प्रेम, समानता और भाईचारे का संदेश दिया.कबीरदास जी ने मूर्ति पूजा, तीर्थ यात्रा और कर्मकांडों का विरोध किया और सीधे ईश्वर के प्रति समर्पण पर जोर दिया. उनका मानना था कि ईश्वर एक है और उसे किसी भी रूप में पूजा जा सकता है. उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं और हमें एक बेहतर समाज बनाने के लिए प्रेरित करते हैं.











संत कबीरदास जयंती का महत्व

संत कबीरदास जयंती का पर्व कबीरदास जी के विचारों और शिक्षाओं को याद करने और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का एक अवसर है. इस दिन देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें भजन, कीर्तन, प्रवचन और सत्संग शामिल हैं. लोग कबीरदास जी के दोहों का पाठ करते हैं और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं.यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि सच्चा धर्म प्रेम, करुणा और मानवता की सेवा में निहित है. हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए और एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए जहां कोई भेदभाव न हो.




Via History
Facebook
Twitter
Telegram
WhatsApp
पुराने पोस्ट
नई पोस्ट

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं

एक टिप्पणी भेजें

- Advertisment -
- Advertisment -

Featured Post

अहमदाबाद विमान हादसा: राजस्थान के एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत, सामने आई मौत से पहले की अंतिम सेल्फी

Shravan Kumar- जून 12, 2025 0
अहमदाबाद विमान हादसा: राजस्थान के एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत, सामने आई मौत से पहले की अंतिम सेल्फी
Ahmedabad-Plane-Crash अहमदाबाद विमान हादसा: राजस्थान के एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत, सामने आई मौत से पहले की अंतिम सेल्फी जयपुर ( 12 जुन 2025 ) Ahmedabad Pl…

Most Popular

सरकारी स्कूल के टीचर ने देर रात छात्रा को भेजे आपत्तिजनक मैसेज, वायरल हो गई चैट - RANIWARA NEWS

सरकारी स्कूल के टीचर ने देर रात छात्रा को भेजे आपत्तिजनक मैसेज, वायरल हो गई चैट - RANIWARA NEWS

जून 12, 2025
सुन्देशा समाज में गुटबाजी और झूठे मुकदमों से तनाव! 200 परिवारों ने पुलिस अधीक्षक से की निष्पक्ष जांच और सुरक्षा की मांग - JALORE NEWS

सुन्देशा समाज में गुटबाजी और झूठे मुकदमों से तनाव! 200 परिवारों ने पुलिस अधीक्षक से की निष्पक्ष जांच और सुरक्षा की मांग - JALORE NEWS

जून 12, 2025
जालौर में भीषण सड़क हादसा, रामदेवरा जा रहे 4 श्रद्धालुओं की मौत, 13 घायल

जालौर में भीषण सड़क हादसा, रामदेवरा जा रहे 4 श्रद्धालुओं की मौत, 13 घायल

जून 11, 2025

Editor Post

रामसीन-भीनमाल-रानीवाड़ा स्टेट हाईवे का कार्य जून माह से होगा प्रारंभ सार्वजनिक निर्माण मंत्री - JALORE NEWS

रामसीन-भीनमाल-रानीवाड़ा स्टेट हाईवे का कार्य जून माह से होगा प्रारंभ सार्वजनिक निर्माण मंत्री - JALORE NEWS

मार्च 11, 2022
कारागारों में मोबाइल बरामद के सभी प्रकरणों में एफआईआर दर्ज-कारागार मंत्री - JALORE NEWS

कारागारों में मोबाइल बरामद के सभी प्रकरणों में एफआईआर दर्ज-कारागार मंत्री - JALORE NEWS

मार्च 11, 2022
Ms Monika Sain IPS JALORE मोनिका सेन होगी जालौर की नई जिला पुलिस अधीक्षक जीवनी के बारे में वही एसपी किरण कंग सिद्धू का तबादला भेजा दिल्ली

Ms Monika Sain IPS JALORE मोनिका सेन होगी जालौर की नई जिला पुलिस अधीक्षक जीवनी के बारे में वही एसपी किरण कंग सिद्धू का तबादला भेजा दिल्ली

जून 02, 2023

Popular Post

सरकारी स्कूल के टीचर ने देर रात छात्रा को भेजे आपत्तिजनक मैसेज, वायरल हो गई चैट - RANIWARA NEWS

सरकारी स्कूल के टीचर ने देर रात छात्रा को भेजे आपत्तिजनक मैसेज, वायरल हो गई चैट - RANIWARA NEWS

जून 12, 2025
सुन्देशा समाज में गुटबाजी और झूठे मुकदमों से तनाव! 200 परिवारों ने पुलिस अधीक्षक से की निष्पक्ष जांच और सुरक्षा की मांग - JALORE NEWS

सुन्देशा समाज में गुटबाजी और झूठे मुकदमों से तनाव! 200 परिवारों ने पुलिस अधीक्षक से की निष्पक्ष जांच और सुरक्षा की मांग - JALORE NEWS

जून 12, 2025
जालौर में भीषण सड़क हादसा, रामदेवरा जा रहे 4 श्रद्धालुओं की मौत, 13 घायल

जालौर में भीषण सड़क हादसा, रामदेवरा जा रहे 4 श्रद्धालुओं की मौत, 13 घायल

जून 11, 2025

Populart Categoris

  • BOLLYWOOD23
  • ENTERTAINMENT43
  • INDIA11
  • INTERNATIONAL2
  • JALORE340
  • RAJASTHAN91
  • SPORTS182
  • WORLD136
Jalore News | जालोर न्यूज़ | जालोर समाचार | Jalore News Today

About Us

Jalore News is a leading online news website that provides timely and accurate news coverage from the Jalore district of Rajasthan, India. The website covers a wide range of topics including politics, business, entertainment, sports, and local events.

Contact us: contact@jalorenews.com

Follow Us

All rights reserved © Jalore News 2023
  • About
  • Contact
  • Advertisement
  • Privacy
  • Disclaimer
Do you have any doubts? chat with us on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...