धूमधाम से मनाई डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की 131 वी जयंती - JALORE NEWS
सवादंता - सुरेशकुमार दादालिया
सियाणा ( 15 अप्रैल 2022 ) 14 अप्रैल 2022 गुरुवार को सियाणा में सिंम्बल ऑफ नॉलेज, भारतीय सविधान निर्माता, विश्व रत्न बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर की 131 वी जयंती मनाई गई गांव में पैदल रेली निकाली गई जो की मेघवाल समाज बाबा रामदेव मंदिर से शुरू होकर मुख्य मार्ग बस स्टैंड से होते हुए कोलरी मुख्य बाजार से होकर वापस रामदेव जी के मंदिर तक पहुंची मेघवाल समाज12 गाव के लोग एव सामाजिक कार्यकर्ता उम्मेदऋषि, चन्द्रा परमार, भरत सिघंल, कमलेश,एव समस्त सामाजिक कार्यकर्त्ता मौजुद थे तथा पुलिस जाब्ता बागरा थानाधिकारी तेजू सिंह राठौड़ सियाणा चौकी प्रभारी भूराराम एव समस्त स्टाफ मौजूद रहे
कडवी बात
डॉ अंबेडकर को लेकर चर्चा केवल जयंती और पुण्यतिथि पर ही नहीं होती। वे साल भर किसी न किसी बहाने संविधान की बहसों में उपस्थित रहते हैं। बेशक चौदह अप्रैल के अवसर पर उनकी ज़िंदगी और सपनों को लेकर सक्रियता दिखती है मगर यह उसी दिन तक सीमित नहीं रहती है। आज उनके सपनों को उसी तरह रौंदा जा रहा है जिस तरह गांधी के सपनों को आज़ादी के समय ही रौंद दिया गया। संविधान की जिस किताब से देश में संस्थाएँ बनी हैं वो कमज़ोर हो चुके पन्नों की तरह बाहर आ रही हैं। संविधान की किताब अपनी जगह पर रखी नज़र आती है ठीक उसी तरह से जैसे पुस्तकालय में रखी असंख्य किताबें नज़र आती हैं। यही भरोसा है कि किताब को हटाया नहीं गया है। रैक पर रखी हुई किताब दिखाकर संविधान के सपनों को रौंदा जा रहा है। इसके बरक्स डॉ अंबेडकर के सपनों को उनके नाम पर होने वाले कार्यक्रमों में हस्तांतरित कर दिया गया है ताकि वहाँ आप पुस्तकालय में रखी किताब की तरह उनके सपनों का दर्शन कर सकें। शासन किसी की मर्ज़ी से चल रहा है और किसी के ख़िलाफ़ चल रहा है। सबके लिए नहीं चल रहा है। न्याय की परिभाषा राजनीतिक होती जा रही है। संवैधानिक नहीं रही।
लेकिन रास्ता क्या है, एक रास्ता है आज के हालात को नए चश्मे से देखा जाए और उसमें से सुंदर भविष्य की कल्पना की जाए और दूसरा रास्ता है अतीत को ठीक से जान लिया जाए। लेकिन अतीत के मोह में पड़ने के लिए नहीं बल्कि इस वर्तमान से निकलने के लिए। बेहतर है आप थोड़ा डॉ अंबेडकर को जानने का प्रयास करें। उनकी मूर्ति और तस्वीर देखकर आपको लगता होगा कि सब जानते हैं लेकिन जब उनकी रचनाओं को पढेंगे और उन पर लिखी किताबों को पढेंगे तो लगेगा कि कितना कम जानते हैं।
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