Tilak Dwar का पुराना नाम क्या है , सोरखाना से कैसे पड़ गया तिलक द्वार नाम इस वीडियो में देखें - JALORE NEWS
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तिलक द्वार का पुराना नाम क्या है , सोरखाना से कैसे पड़ गया तिलक द्वार नाम इस वीडियो में देखें - JALORE NEWS
जालोर ( 5 दिसम्बर 2022 ) जालौर शहर के बीचों - बीच में बना तिलक द्वार को किस कालखंड में सोरखाना के नाम जाना जाता था।
जालौर शहर में वर्तमान में तिलक द्वार के नाम से पुकारा जाता है। और यहां भी मानना जाता है कि राजा महाराजा के समय में यहां पर युद्ध करने के लिए जाते समय और युद्ध लड़ाकर विजय प्राप्त करके आतें समय यहां पर उनका राज तिलक किया जाता था । वहीं यहां पर निवास करने वाले बुजुर्ग मुस्लिम समुदाय समाज के लोगों का भी मानना है कि हमारे पुर्वजों के द्वारा तिलक द्वार के अंदर यहां पर बारूद बनाया जाता था ।
और यहां काम बारुद बनाने का मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा बनाए करते थे। जिसके कारण उसकों सोरखाना के नाम से पुकारा जाता था। क्योंकि यहां पर पहलें सोर बनाने का काम किया थें । और यहां पर सोर बनाने का कारखाना स्थापित हुआ करता था। जिसके कारण उसको सोरखाना कहते थें । और हमारे पीढ़ी दर पीढ़ी द्वारा यहां काम करतें आ रहे थें । जिसके कारण राजा महाराजा द्वारा युद्ध लड़ाने के लिए बारूद की जब जरूरत पड़ती थीं उस समय यहां से बारूद उपयोग में लिया करते थें ।और बारूद बनाने के लिए राजा महाराजा के द्वारा इसका लाइंसेंस भी मुस्लिम समुदाय समाज के लोगों को उपलब्ध कराई रखा था।
यहां भी देखिए न्यूज़ चैनल पर https://youtu.be/XbezXg6BsEI
उस कालखंड में एक ऐसा भी समय आया था कि उनके हाथों से काम छीन लिया गया था । और उसके बाद आजादी से पहले सन् 1864 में एक व्यक्ति जालोर आया जिसका नाम उदयराज था । उसकों सोरखाना नाम पसंद नहीं आ रहा था इसलिए इसका नाम बदलकर तिलक द्वार कर दिया गया था। जिसके बाद से आज भी वर्तमान में लोगों तिलक द्वार के नाम से पुकारा जाता है ।
वही हिंदू बुजुर्ग लोगों का भी मानना है कि पुराने जमाने में यहां पर यहां दरवाजा लगा हुआ करता था जिसे वहां दरवाजा अपने आप खुला जाता था और अपने आप बंद हुआ करता था । यहां दरवाजा आजादी के पहले ऐसे दरवाजा देखने को मिलता था । यहां पर एक साधुओं रहता था वहां सुन्दरलाव तालाब पर पूजा अर्चना करने के लिए रात के समय में निकलता था । और रात - रात वापस तिलक द्वार में प्रवेश करते था । और आजादी के बाद से दरवाज़े भी गायब हो गए और सही देखरेख नहीं होने के कारण यहां की दीवारें जंजीर और टूटने की एसीटमें आ गई । अब यहां दीवार बनाकर रहेंगी है।
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