दस साल में चार गुना बढ़ा नशेड़ी , नशेड़ी खुद कुरियर बनकर बेच रहे हैं नशा - JALORE NEWS
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दस साल में चार गुना बढ़ा नशेड़ी , नशेड़ी खुद कुरियर बनकर बेच रहे हैं नशा - JALORE NEWS
नागौर ( 19 जनवरी 2023 ) Drug addicts increased four times in ten years तकरीबन दस साल के भीतर नागौर जिले में नशीले पदार्थ की तस्करी तीस गुना बढ़ गई है। वर्ष 2012 में तीन माह में एक मामला दर्ज हुआ या पकड़ा गया, जबकि वर्ष 2022 में हर तीसरे दिन मादक पदार्थ के साथ तस्कर गिरफ्तार हुआ। यानी नशे का काला कारोबार तीस गुना से भी अधिक बढ़ गया। गिने-चुने आदतन नशेड़ी अब भीड़ में तब्दील हो गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक हर पांचवा युवक नशीले पदार्थ का सेवन कर रहा है। कार्रवाई के हिसाब से नागौर पूरे राज्य में तीसरे नंबर पर रहा।
सूत्रों के अनुसार गत वर्ष 2022 में एनडीपीएस के 130 मामले दर्ज हुए, इसमें करीब सवा दो सौ तस्कर/नशेड़ी गिरफ्तार हुए। यानी जिले में हर तीसरे दिन एनडीपीएस का मामला दर्ज हुआ। अफीम से लेकर एमडी ही नहीं चरस-गांजा, स्मैक, ब्राउन शुगर, हेरोईन, कोकीन तक पकड़ी गई। पकड़े गए कई तस्करों ने नशे के लालच में खुद के कुरियर बनने की बात तक कबूली। गली-गली तक नशा बिक रहा है, कभी माल नशेड़ी को खुद लेने जाना पड़ता है तो कभी उस तक खेप पहुंचाई जा रही है। असल में नशा करने वाले कई युवा भी मादक-पदार्थ की खरीद-फरोख्त में लग गए हैं।
सूत्रों के अनुसार स्मैक साढ़े तीन हजार रुपए प्रति ग्राम के हिसाब से खरीदकर अन्य सप्लायर/नशेडिय़ों को चार हजार रुपए प्रति ग्राम के हिसाब से बेची जा रही है। अफीम का बाजार भाव करीब एक लाख रुपए किलो बताया जाता है। नागौर में अफीम, डोडा पोस्त, गांजे के साथ एमडी-स्मैक की खरीद-फरोख्त ज्यादा हो रही है। हेराईन/ब्राउन शुगर का मार्केट अभी मंदा है। मध्यप्रदेश समेत बाहरी राज्यों से नशा आता है।
साल दर साल का हाल
सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2012 में एनडीपीएस के सिर्फ चार मामले दर्ज हुए थे यानी हर तीन माह में एक। वर्ष 2013 में आठ तो वर्ष 2014 में पंद्रह प्रकरण सामने आए। वर्ष 2015 में सात, वर्ष 2016 में 23, वर्ष 2017-18 में 31-31, वर्ष 2019 में 32, वर्ष 2020 में 36 मामले एनडीपीएस के पकड़े गए। वर्ष 2021 में इनकी संख्या 56 थी जो वर्ष 2022 में ढाई गुनी बढक़र 130 तक जा पहुंची। मतलब मादक पदार्थ की तस्करी बढ़ती गई और महज दस साल में तीस गुना से भी अधिक हो गई। पिछले साल करीब सवा दो सौ को इसमें गिरफ्तार किया गया। जबकि वर्ष 2021 में गिरफ्तार तस्करों की संख्या 114 थी। वर्ष 2020 में 73, वर्ष 2019 में 75, वर्ष 2018 में 72 तो वर्ष 2017 में 77 तस्कर गिरफ्तार हुए थे। यानी मादक पदार्थ की तस्करी बढ़ी तो मामलों के साथ गिरफ्तारी भी बढ़ती गई। वर्ष 2020 और 2021 के मुकाबले वर्ष 2022 में ही कार्रवाई ढाई गुनी से भी अधिक हुई।
अफीम-गांजा के साथ एमडी सर्वाधिक, तीन साल में बड़ा माल
साल दर साल का हाल
सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2012 में एनडीपीएस के सिर्फ चार मामले दर्ज हुए थे यानी हर तीन माह में एक। वर्ष 2013 में आठ तो वर्ष 2014 में पंद्रह प्रकरण सामने आए। वर्ष 2015 में सात, वर्ष 2016 में 23, वर्ष 2017-18 में 31-31, वर्ष 2019 में 32, वर्ष 2020 में 36 मामले एनडीपीएस के पकड़े गए। वर्ष 2021 में इनकी संख्या 56 थी जो वर्ष 2022 में ढाई गुनी बढक़र 130 तक जा पहुंची। मतलब मादक पदार्थ की तस्करी बढ़ती गई और महज दस साल में तीस गुना से भी अधिक हो गई। पिछले साल करीब सवा दो सौ को इसमें गिरफ्तार किया गया। जबकि वर्ष 2021 में गिरफ्तार तस्करों की संख्या 114 थी। वर्ष 2020 में 73, वर्ष 2019 में 75, वर्ष 2018 में 72 तो वर्ष 2017 में 77 तस्कर गिरफ्तार हुए थे। यानी मादक पदार्थ की तस्करी बढ़ी तो मामलों के साथ गिरफ्तारी भी बढ़ती गई। वर्ष 2020 और 2021 के मुकाबले वर्ष 2022 में ही कार्रवाई ढाई गुनी से भी अधिक हुई।
अफीम-गांजा के साथ एमडी सर्वाधिक, तीन साल में बड़ा माल
जेल में हर तीसरा बंदी नशाखोर
नागौर की चारों जेल में यह भी सामने आया कि बंदियों में काफी संख्या उनकी है जो नशाखोर हैं। किसी को एमडी की लत तो कोई अफीम का नशेड़ी। अकेले नागौर जिला जेल में ही करीब 190 में से 57 बंदी नशेड़ी है। यही नहीं परबतसर/मेड़ता कारागार में भी इनकी संख्या अच्छी खासी है। इन नशेड़ी बंदियों से निपटना यहां के चिकित्सक ही नहीं अन्य स्टाफ के लिए भी मुसीबत बनता जा रहा है। अभी नागौर जेल के 170 में से करीब साठ बंदी किसी न किसी नशे के आदी हैं। पिछले आठ-दस महीने से जेल की यह नई तस्वीर सामने आई है। भले ही किसी अपराध में बंद हो पर औसतन हर तीसरा बंदी नशेड़ी है। इनमें एमडी/अफीम का नशा करने वाले सर्वाधिक हैं। स्मैक के साथ गांजा, डोडा-पोस्त, शराब आदि के शौकीन भी हैं।
इनका कहना है कि
किया कंट्रोल, बड़े मामले कम
मादक पदार्थ की तस्करी पर काफी कंट्रोल किया है। गए साल बड़े मामले कम ही सामने आए, नशे की दलदल में फंस रहे युवाओं को रोकने के लिए परिजनों के साथ सामाजिक संगठनों को भी आगे आना चाहिए।
राममूर्ति जोशी,
एसपी नागौर
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कर रहे हैं युवाओं को सचेत
यह सही है कि युवाओं में नशे की लत बढ़ती जा रही है। नेहरू युवा केन्द्र की ओर से समय-समय पर कार्यशाला अथवा अलग-अलग स्थानों पर कार्यक्रमों का आयोजन कर नशे के दुष्प्रभाव के बारे में बताते हैं, उससे दूर रहने का संकल्प दिलाते हैं।
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सुरमयी शर्मा,
जिला युवा अधिकारी, नेहरू युवा केन्द्र,
नागौर।
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