अक्षय तृतीया पारणा महोत्सव को दान दिवस के रूप में मनाया - JALORE NEWS
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अक्षय तृतीया पारणा महोत्सव को दान दिवस के रूप में मनाया - JALORE NEWS
जयपुर / बामनवास ( 22 अप्रैल 2023 ) अक्षय तृतीया का पर्व हमें धार्मिक, सांस्कृतिक, समृद्ध आर्थिक स्थिति,फलती -फूलती कृषि और समाज की परोपकार की भावना के आधार पर जोड़ता है l अक्षय तृतीया का महापर्व का न केवल सनातन परम्परा में बल्कि जैन धर्म में भी विशेष महत्व है अबकी बार ईद-उल-फितर भी इस दिन होने से यह पर्व सम्पूर्ण देश में हर वर्ग के लिए खुशियों का पैगाम लेकर आया है l
दिगम्बर जैन मंदिर पिपलाई में जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर देवाधिदेव भगवान ऋषभदेव का प्रथम पारणा महोत्सव दान दिवस के रूप में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया l प्रात:काल बामनवास ब्लॉक के सभी जैन मन्दिरों मे जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभदेव का अभिषेक करने के बाद अष्ट द्रव्यों से पूजा अर्चना की गई दिगम्बर जैन मन्दिर पिपलाई में सामूहिक विधान का आयोजन किया गया l इस अवसर पर दिगम्बर जैन समाज पिपलाई द्वारा बच्चो को शुद्ध इक्षु रस पिलाया गया और सायंकाल में विशेष आरती का आयोजन किया गया l
इस अवसर पर दिगम्बर जैन समाज पिपलाई के प्रवक्ता बृजेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि श्रमण संस्कृति के प्रवर्तक देवाधिदेव भगवान ऋषभदेव ने भारत भूमि पर लाखो वर्षो तक सुशासन करने के बाद अपने पुत्रों को राज्य वैभव सौप कर जिनेश्वरी दीक्षा धारण की l ऋषभदेव भगवान ने एक वर्ष की कठोर तपस्या पूर्ण करने के पश्चात वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन इक्षु रस से पारणा किया था l तपस्या के दौरान हस्तिनापुर में उनके पौत्र श्रेयांश ने उन्हे गन्ने के रस का आहार करवाया था l ऋषभदेव भगवान ने इसे पीकर अपनी तपस्या को समाप्त किया l कठिन तपस्या के पश्चात जब उन्हे ज्ञान प्राप्त हुआ तब उन्होंने सम्पूर्ण भारत वर्ष में विहार करते हुए सत्य, अहिंसा,दया,करूणा,दान क्षमा जैसे सिद्धांतों का उपदेश देकर आमजन का कल्याण किया l
अक्षय तृतीया से सभी धर्मो की जुड़ी है आस्था
दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष सुनील जैन और उपाध्यक्ष मुकेश चन्द जैन ने बताया की अक्षय तृतीया से सभी धर्मों की आस्था जुड़ी हुई है सतयुग एवं त्रेतायुग का प्रारम्भ हो या भगवान विष्णु के 24 वे अवतारो में नर -नारायण,हयग्रीव एवं चिरजीवी अवतार भगवान परशुराम का जन्मोत्सव या फिर देवी अन्नपूर्णा का जन्मोत्सव l इस दिन मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है क्योंकि शुभ कार्यों के लिए वर्ष में साढ़े तीन स्वयंसिद्ध अभिजात मुहूर्त निर्धारित किये जाते है जिनमे सर्वप्रमुख अभिजात मुहूर्त अक्षय तृतीया है l
इस वर्ष मुस्लिम समुदाय का महतवपूर्ण पर्व ईद उल फितर भी इस दिन पड़ने से राज्य में आपसी मौहब्बत और भाईचारे का शानदार माहौल बन गया है जो प्रदेश में सभी धर्मो को आपसी प्रेम और भाईचारे का संदेश दे रहा है l
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