खबर जरा हटके : Ganga Dussehra 2023 : गंगा दशहरा क्यों मनाया जाता है , इस साल कब है गंगा दशहरा 2023 का और महत्व क्या है जाने - JALORE NEWS
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गंगा दशहरा क्यों मनाया जाता है , इस साल कब है गंगा दशहरा 2023 का और महत्व क्या है जाने - JALORE NEWS
हरिद्वार / जालोर ( 14 मई 2023 ) हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व होता है। पंचांग के अनुसार, हर साल गंगा दशहरा का पर्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो जातक गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की उपासना करता है और साथ ही स्नान करता है, तो जीवन की सारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। इसके साथ ही मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि गंगा दशहरा के दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। तो आइये जानते हैं गंगा दशहरा की शुभ तिथि और महत्व के बारे में...
युधिष्ठिर ने लोमश ऋषि से पूछा, "हे मुनिवर! राजा भगीरथ गंगा को किस प्रकार पृथ्वी पर ले आये? कृपया इस प्रसंग को भी सुनायें।" लोमश ऋषि ने कहा, "धर्मराज! इक्ष्वाकु वंश में सगर नामक एक बहुत ही प्रतापी राजा हुये। उनके वैदर्भी और शैव्या नामक दो रानियाँ थीं। राजा सगर ने कैलाश पर्वत पर दोनों रानियों के साथ जाकर शंकर भगवान की घोर आराधना की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उनसे कहा कि हे राजन्! तुमने पुत्र प्राप्ति की कामना से मेरी आराधना की है। अतएव मैं वरदान देता हूँ कि तुम्हारी एक रानी के साठ हजार पुत्र होंगे किन्तु दूसरी रानी से तुम्हारा वंश चलाने वाला एक ही सन्तान होगा। इतना कहकर शंकर भगवान अन्तर्ध्यान हो गये।
"समय बीतने पर शैव्या ने असमंज नामक एक अत्यन्त रूपवान पुत्र को जन्म दिया और वैदर्भी के गर्भ से एक तुम्बी उत्पन्न हुई जिसे फोड़ने पर साठ हजार पुत्र निकले। कालचक्र बीतता गया और असमंज का अंशुमान नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। असमंज अत्यन्त दुष्ट प्रकृति का था इसलिये राजा सगर ने उसे अपने देश से निष्कासित कर दिया। फिर एक बार राजा सगर ने अश्वमेघ यज्ञ करने की दीक्षा ली। अश्वमेघ यज्ञ का श्यामकर्ण घोड़ा छोड़ दिया गया और उसके पीछे-पीछे राजा सगर के साठ हजार पुत्र अपनी विशाल सेना के साथ चलने लगे। सगर के इस अश्वमेघ यज्ञ से भयभीत होकर देवराज इन्द्र ने अवसर पाकर उस घोड़े को चुरा लिया और उसे ले जाकर कपिल मुनि के आश्रम में बाँध दिया। उस समय कपिल मुनि ध्यान में लीन थे अतः उन्हें इस बात का पता ही न चला। इधर सगर के साठ हजार पुत्रों ने घोड़े को पृथ्वी के हरेक स्थान पर ढूँढा किन्तु उसका पता न लग सका। वे घोड़े को खोजते हुये पृथ्वी को खोद कर पाताल लोक तक पहुँच गये जहाँ अपने आश्रम में कपिल मुनि तपस्या कर रहे थे और वहीं पर वह घोड़ा बँधा हुआ था। सगर के पुत्रों ने यह समझ कर कि घोड़े को कपिल मुनि ही चुरा लाये हैं, कपिल मुनि को कटुवचन सुनाना आरम्भ कर दिया। अपने निरादर से कुपित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को अपने क्रोधाग्नि से भस्म कर दिया।
"जब सगर को नारद मुनि के द्वारा अपने साठ हजार पुत्रों के भस्म हो जाने का समाचार मिला तो वे अपने पौत्र अंशुमान को बुलाकर बोले कि बेटा! तुम्हारे साठ हजार दादाओं को मेरे कारण कपिल मुनि की क्रोधाग्नि में भस्म हो जाना पड़ा। अब तुम कपिल मुनि के आश्रम में जाकर उनसे क्षमाप्रार्थना करके उस घोड़े को ले आओ। अंशुमान अपने दादाओं के बनाये हुये रास्ते से चलकर कपिल मुनि के आश्रम में जा पहुँचे। वहाँ पहुँच कर उन्होंने अपनी प्रार्थना एवं मृदु व्यवहार से कपिल मुनि को प्रसन्न कर लिया। कपिल मुनि ने प्रसन्न होकर उन्हें वर माँगने के लिये कहा। अंशुमान बोले कि मुने! कृपा करके हमारा अश्व लौटा दें और हमारे दादाओं के उद्धार का कोई उपाय बतायें। कपिल मुनि ने घोड़ा लौटाते हुये कहा कि वत्स! जब तुम्हारे दादाओं का उद्धार केवल गंगा के जल से तर्पण करने पर ही हो सकता है।
"अंशुमान ने यज्ञ का अश्व लाकर सगर का अश्वमेघ यज्ञ पूर्ण करा दिया। यज्ञ पूर्ण होने पर राजा सगर अंशुमान को राज्य सौंप कर गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने के उद्देश्य से तपस्या करने के लिये उत्तराखंड चले गये इस प्रकार तपस्या करते-करते उनका स्वर्गवास हो गया। अंशुमान के पुत्र का नाम दिलीप था। दिलीप के बड़े होने पर अंशुमान भी दिलीप को राज्य सौंप कर गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने के उद्देश्य से तपस्या करने के लिये उत्तराखंड चले गये किन्तु वे भी गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने में सफल न हो सके। दिलीप के पुत्र का नाम भगीरथ था। भगीरथ के बड़े होने पर दिलीप ने भी अपने पूर्वजों का अनुगमन किया किन्तु गंगा को लाने में उन्हें भी असफलता ही हाथ आई।
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"अन्ततः भगीरथ की तपस्या से गंगा प्रसन्न हुईं और उनसे वरदान माँगने के लिया कहा। भगीरथ ने हाथ जोड़कर कहा कि माता! मेरे साठ हजार पुरखों के उद्धार हेतु आप पृथ्वी पर अवतरित होने की कृपा करें। इस पर गंगा ने कहा वत्स! मैं तुम्हारी बात मानकर पृथ्वी पर अवश्य आउँगी, किन्तु मेरे वेग को भगवान शिव के अतिरिक्त और कोई सहन नहीं कर सकता। इसलिये तुम पहले भगवान शिव को प्रसन्न करो। यह सुन कर भगीरथ ने भगवान शिव की घोर तपस्या की और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी हिमालय के शिखर पर गंगा के वेग को रोकने के लिये खड़े हो गये। गंगा जी स्वर्ग से सीधे शिव जी की जटाओं पर जा गिरीं। इसके बाद भगीरथ गंगा जी को अपने पीछे-पीछे अपने पूर्वजों के अस्थियों तक ले आये जिससे उनका उद्धार हो गया। भगीरथ के पूर्वजों का उद्धार करके गंगा जी सागर में जा गिरीं और अगस्त्य मुनि द्वारा सोखे हुये समुद्र में फिर से जल भर गया।"
क्यों मनाते हैं गंगा दशहरा, Ganga Dussehra 2023 Importance
यदि ज्येष्ठ शुक्ला दशमी के दिन मंगलवार रहता हो व हस्त नक्षत्र युता तिथि हो यह सब पापों के हरने वाली होती है। वराह पुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ला दशमी बुधवारी में हस्त नक्षत्र में श्रेष्ठ नदी स्वर्ग से अवतीर्ण हुई थी वह दस पापों को नष्ट करती है। इस कारण उस तिथि को दशहरा कहते हैं। ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, बुधवार, हस्त नक्षत्र, गर, आनंद, व्यतिपात, कन्या का चंद्र, वृषभ के सूर्य इन दस योगों में मनुष्य स्नान करके सब पापों से छूट जाता है।
इस साल कब है गंगा दशहरा 2023 : Ganga Dussehra 2023 Date
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि यानी 29 मई 2023 को है। इसका शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 49 मिनट पर आरंभ होगी और इसका समापन 30 मई को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर हो जाएगा। उद्या तिथि को देखते हुए गंगा दशहरा का पर्व 30 मई 2023 दिन मंगलवार को मनाया जाएगा।
गंगा दशहरा का महत्व
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, जो जातक गंगा में स्नान करता है, उसके शरीर से सारे रोग, दोष और विपत्तियां दूर हो जाती है। लेकिन, गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करने का अलग ही महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन जो जातक स्नान करता है, उसे दस मुख्य पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही जो पुण्य की प्राप्ति में अड़चन पैदा करती है वह सभी दूर हो जाती है। शास्त्रों में गंगा स्नान करने से उन 10 पापों से मुक्ति के बारे में बताया गया है। जिसमें से 3 दैहिक पाप, 4 वाणी पाप और तीन मानसिक पाप हैं। ये 10 पापों से मुक्ति मिल जाती है।
गंगा नदी पर रोचक जानकारी
गंगा नदी को भागीरथी, मंदाकिनी, देवनदी, देवगंगा, सुरसरिता आदि नामों से भी जाना जाता है।
इसका उद्गम स्थल गंगोत्री है जो उत्तराखंड में स्थित है।
गंगा नदी की कुल लंबाई 2525 km है।
गंगा नदी भारत के उत्तराखंड से शुरू होकर बांग्लादेश की बंगाल की खाड़ी में समंदर से मिलती है।
गंगा दशहरा की पूजा विधि
गंगा दशहरा पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त हो जाएं और स्नान कर लें। अगर इस दिन गंगा नदी में स्नान नहीं कर पाएंगे तो घर पर पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें और घर में गंगाजल का छिड़काव करें। अब मंदिर में दीप प्रज्वलित करें और मां गंगा का ध्यान करें। मां गंगा को फूल अर्पित करें और उन्हें श्रीफल जरूर अर्पित करें। इसके बाद मां गंगा की आरती करें और पूजा करने के बाद दान पुण्य करें। गंगा दशहरा पर भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि गंगा दशहरा पर ध्यान करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
Ganga Dussehra Wishes, SMS, Images, Status for WhatsApp
सुख और दुःख जीवन के रंग हैं
सब सही है अगर श्रद्धा संग है
गंगा मैया के ध्यान में मलंग हैं
हैपी गंगा दशहरा कहने का ये नया ढंग है
गंगा दशहरा की शुभकामनाएं
2
भारत माता के ह्रदय से निकल कर
सभी पापों का नाश करने वाली
माँ गंगा को शत शत नमन्…
गंगा दशहरा की शुभकामनाएं.
3
गंगा दशहरा के इस पावन पर्व पर आप
व आपके परिवार पर गंगा मैया की असीम कृपा बनी रहे
गंगा दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं!
4
Har din aapke jeewan mein le aaye Sukh,
shanti aur samadhan Shraddha ka roop
ganga maiya ko Aaj tahe dil se pranaam…
Happy Ganga dussehra
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हर हर गंगे..!! भारत माता के ह्रदय से निकल कर सभी पापों का नाश करने वाली माँ गंगा को शत शत नमन्… गंगा दशहरा की शुभकामनाएं
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हर हर गंगे..!! भारत माता के ह्रदय से निकल कर सभी पापों का नाश करने वाली माँ गंगा को शत शत नमन्… गंगा दशहरा की शुभकामनाएं.
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