World Environment Day 2023 : विश्व पर्यावरण दिवस क्यों मनाया जाता है। पर्यावरण दिवस की स्थापना कब हुआ, पर्यावरण दिवस पर शायरी पढें - JALORE NEWS
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World Environment Day 2023 : विश्व पर्यावरण दिवस क्यों मनाया जाता है। पर्यावरण दिवस की स्थापना कब हुआ, पर्यावरण दिवस पर शायरी पढें - JALORE NEWS
दिल्ली ( 16 मई 2023 ) विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी। इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था। 5 जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया।[2] विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है पहली बार 1973 मे मनाया गया था।
वर्ष 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानव पर्यावरण विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का आयोजन किया गया था। इसी चर्चा के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस का सुझाव भी दिया गया और इसके दो साल बाद, 5 जून 1973 से इसे मनाना भी शुरू कर दिया गया।[3] 1987 में इसके केन्द्र को बदलते रहने का सुझाव सामने आया और उसके बाद से ही इसके आयोजन के लिए अलग अलग देशों को चुना जाता है। इसमें हर साल 143 से अधिक देश भाग लेते हैं और इसमें कई सरकारी, सामाजिक और व्यावसायिक लोग पर्यावरण की सुरक्षा, समस्या आदि विषय पर बात करते हैं।[4]
पर्यावरण को सुधारने हेतु यह दिवस महत्वपूर्ण है जिसमें पूरा विश्व रास्ते में खड़ी चुनौतियों को हल करने का रास्ता निकालता हैं। लोगों में पर्यावरण जागरूकता को जगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित विश्व पर्यावरण दिवस दुनिया का सबसे बड़ा वार्षिक आयोजन है। इसका मुख्य उद्देश्य हमारी प्रकृति की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाना और दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों को देखना है।
पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में (Essay on Environment Day in Hindi)
पर्यावरण दिवस - हमारी पृथ्वी जो हमारा घर है, जहां हम मनुष्य, पशु-पक्षी, पौधे निवास करते हैं, इसके ही पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत साल 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून, 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था। जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना तथा साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया। साल 2021 में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के सहयोग से विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की मेजबानी “पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्निर्माण” विषय के साथ की थी।
पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्निर्माण विषय के साथ साल 2021 से साल 2030 तक संयुक्त राष्ट्र दशक की घोषणा भी की गई थी, जिसका उद्देश्य हमारे पर्यावरण (Environment) को हुई क्षति की भरपाई करना हैं। चाहे वह जंगल हो, पहाड़ हो, मरुभूमि या सागर हो, प्रत्येक का पुनर्निर्माण करना इस दशक का उद्देश्य रखा गया।
सौजन्य:- NCERT
इस विषय की गंभीरता बेहद चिंताजनक है, यदि इस पर अभी भी गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो मानव-जाति का पृथ्वी पर जीवित रहना ही मुश्किल हो जायेगा। ग्लोबल वार्मिंग के कारण लगातार ग्लेसियर पिघल रहे हैं जिसकी वजह से समुद्र में जल का स्तर बढ़ रहा है, यदि ऐसे ही चलता रहा तो कुछ समय पश्चात् धरती के ज्यादातर शहर जलमग्न हो जाएगा। इस पर किसी कवि की लिखी गई यह पंक्तियाँ सच साबित होती नजर आती है (कविता NCERT से ली गई है) -
प्रक्रति ने अच्छा दृश्य रचा
इसका उपभोग करें मानव
प्रक्रति के नियमों का उल्लंघन करके
हम क्यों बन रहें है दानव
ऊँचें वृक्ष घने जंगल ये
सब है प्रकृति के वरदान
इसे नष्ट करने के लिए
तत्पर खड़ा है क्यों इंसान
पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर होने वाले सम्मलेन -
पर्यावरण प्रदूषण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन - पर्यावरण प्रदूषण के संबंध में विश्व की चिंता 20वीं सदी में बढ़ गई। 30 जुलाई 1968 को मानव द्वारा उत्पन्न पर्यावरण की समस्या विषय पर संयुक्त राष्ट्र की सामाजिक और आर्थिक परिषद् ने एक प्रस्ताव पारित किया तथा एक सम्मलेन का आयोजन किया गया, जिसमें कहा गया, “आधुनिक वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास के परिप्रेक्ष्य में मानव तथा उसके पर्यावरण के मध्य संबंधो में विकट परिवर्तन हुआ है।" सामान्य सभा ने इसमें संज्ञानता प्रकट की तथा कहा कि वैज्ञानिकों तथा तकनीकी विकास ने असीमित अवसरों को जन्म दिया है, यदि इन अवसरों का प्रयोग नियंत्रित रूप से नहीं किया गया, तो हमें भयंकर समस्याओं का समाना करना पड़ सकता है। इस सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, क्षरण तथा भूमि के विनिष्टीकरण के अन्य प्रारूप, ध्वनि प्रदूषण, अपशिष्ट तथा कीटनाशकों के प्रभाव पर भी विचार किया।
मानव पर्यावरण स्कॉटहोम सम्मलेन - इस सम्मलेन का उद्देश्य विश्वव्यापी पर्यावरण के संरक्षण की समस्या का निदान तथा सुधार करना था। पर्यावरण के संरक्षण के संदर्भ में विश्वव्यापी स्तर का यह पहला प्रयास था। इसी सम्मलेन में 119 देशों ने ‘एक ही पृथ्वी’ का सिद्धांत को अपनाया था तथा इसी सम्मलेन से वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे यानि कि विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत हुई थी।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम - 19 नवंबर 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं -
पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन हेतु राष्ट्रव्यापी योजनाएं बनाना और उनका क्रियान्वयन करना।
पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक का निर्धारण करना।
पेरिस जलवायु समझौता - इस समझौते का प्रस्ताव वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप-21) के दौरान, 196 पक्षों की ओर से 12 दिसंबर को पारित किया गया था। 4 नवंबर 2016 को यह समझौता लागू हो गया था। पेरिस समझौते का उद्देश्य औद्योगिक काल के पूर्व के स्तर की तुलना में वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखना है और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये विशेष प्रयास करना है। तापमान संबंधी इस दीर्घकालीन लक्ष्य को पाने के लिये देशों का लक्ष्य, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के उच्चतम स्तर पर जल्द से जल्द पहुँचना है ताकि उसके बाद, वैश्विक स्तर में कमी लाने की प्रक्रिया शुरू की जा सके। इसके जरिए 21वीं सदी के मध्य तक कार्बन तटस्थता (नेट कार्बन उत्सर्जन शून्य) हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
पर्यावरण के घटकों को चार भाग में बांटा गया है।
पर्यावरण के मुख्य घटक हैं, वायुमंडल, जीवमंडल, स्थलमंडल, और जलमण्डल। कुछ वैज्ञानिक इन घटकों में सौर ऊर्जा को भी स्थान देते हैं। रोजमर्रा के आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के लिए हम अपने पर्यावरण पर निर्भर करते हैं। कई प्राकृतिक संसाधन जैसे हवा, पानी, खनिज के साथ-साथ जलवायु और ऊर्जा भी हमें अपने पर्यवरण से मिलते हैं।
पर्यावरण के रचयिता कौन था और पिता कौन था
रेक्स एन. ओलिनारेस को "पर्यावरण विज्ञान का जनक" माना जाता है।
पर्यावरण शिक्षा के पिता कौन है?
हिन्दू धर्म के महान संत व पर्यावरण संरक्षक व बिश्नोई पंथ के संथापक श्री जम्भेश्वर जी महाराज को दुनिया का पहला पर्यावरण वैज्ञानिक माना जाता है । राजस्थान में इन्हें जांभोजी के नाम से भी जाना जाता हैं ।
पर्यावरण की परिभाषा क्या है?
पर्यावरण उन सब सजीव तथा निर्जीव घटकों का सकल योग है, जो जीव के चारों ओर मौजूद है एवं उसे प्रभावित करते है। सजीव घटकों को जैविक घटक तथा निर्जीव घटकों को अजैविक घटक कहते हैं। परि और आवरण शब्दों की संधि करके पर्यावरण शब्द बनता है जिसका शाब्दिक अर्थ है जो पारितः (चारो ओर) आवृत (ढके हुए) है।
पर्यावरण पर किस अधिकार है
पर्यावरण-प्रदूषण समस्त मानव जाति के लिये गम्भीर खतरा है। इससे मनुष्य के मूलभूत अधिकार अर्थात जीवन के अधिकार का हनन होता है। प्रकृति के असन्तुलित और अविवेकपूर्ण दोहन से पर्यावरण को गम्भीर क्षति पहुँची है जिसका सीधा परिणाम है- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। यह अनेक बीमारियों की जड़ है तथा शारीरिक एवं मानसिक विकृतियों का कारण भी। इस भूमंडल में स्वस्थ जीवन जीना व्यक्ति का सर्वोच्च मानवाधिकार है। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण हो रहे इस अधिकार-हनन को रोका जाना अत्यंत आवश्यक है। इस दिशा में राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रयास भी हुए हैं। भारतीय चिंतन-परम्परा में स्वच्छ पर्यावरण की बात हमेशा से की जाती रही है। आज जरूरत इस बात की है कि इस प्राणघातक प्रदूषण को नियंत्रित करने और उससे निपटने लिये पुरजोर प्रयास किये जाएँ वरना हमें ही नहीं बल्कि आगे आने वाली पीढ़ियों को भी निगल जायेगा।
मानवाधिकार का सम्बन्ध उन परिस्थितियों से है जो मनुष्य को उसकी स्वाभाविक नियति तक पहुँचने के लिये अनिवार्य हैं तथा जिनमें उसके व्यक्तित्व के सभी आयाम अपने पूर्ण रूप में विकसित होते हैं। मानवाधिकार का केंद्र बिंदु मनुष्य है, अत: सर्वोत्कृष्ट मानवाधिकार व्यक्ति की प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता है। जीवन मानव का मूलभूत अधिकार है परन्तु जीवन का तात्पर्य केवल पशु स्तर का अस्तित्व नहीं है। अमेरिका के न्यायमूर्ति फील्ड ने कहा था कि जीवन शब्द में मात्र पशु स्तर के अस्तित्व से कुछ अधिक निहित है। इसमें मुनष्य के सभी अंग और शारीरिक-मानसिक क्षमताएँ भी शामिल हैं, जिनसे जीवन का सुख भोगा जाता है। भारतीय न्यायपालिका ने संविधान के अनुच्छेद 21 की व्याख्या करते हुए जीवन के अधिकार में परम्परा, संस्कृति और विरासत, शिक्षा के अधिकार, आजीविका के अधिकार, प्रदूषण रहित जल एवं वायु के अधिकार तथा सन्तुलित पर्यावरण के अधिकार को भी सम्मिलित माना है
पर्यावरण प्रदूषण कैसे होता है
प्रदूषण (संस्कृत: प्रदूषणम् ) पर्यावरण में दूषक पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुँचाते हैं। प्रदूषण का अर्थ है -'वायु, जल, मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना', जिसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा पारिस्थितिक तन्त्र को नुकसान द्वारा अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं। वर्तमान समय में पर्यावरणीय अवनयन का यह एक प्रमुख कारण है।
प्रकृति द्वारा निर्मित वस्तुओं के अवशेष को जब मानव निर्मित वस्तुओं के अवशेष के साथ मिला दिया जाता है तब दूषक पदार्थों का निर्माण होता है। दूषक पदार्थों का पुनर्चक्रण नही किया जा सकता है।
किसी भी कार्य को पूर्ण करने के पश्चात् अवशेषों को पृथक रखने से इनका पुनःचक्रण वस्तु का वस्तु एवम् उर्जा में किया जाता है।[1]
पृथ्वी का वातावरण स्तरीय है। पृथ्वी के नजदीक लगभग [[५०|50॰॰ किमी ऊँचाई पर स्ट्रेटोस्फीयर है जिसमें ओजोन स्तर होता है। यह स्तर सूर्यप्रकाश की पराबैगनी (UV) किरणों को शोषित कर उसे पृथ्वी तक पहुँचने से रोकता है। आज ओजोन स्तर का तेजी से विघटन हो रहा है, वातावरण में स्थित क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) गैस के कारण ओजोन स्तर का विघटन हो रहा है।
यह सर्वप्रथम 1980 के वर्ष में नोट किया गया की ओजोन स्तर का विघटन सम्पूर्ण पृथ्वी के चारों ओर हो रहा है। दक्षिण ध्रुव विस्तारों में ओजोन स्तर का विघटन 40%-50% हुआ है। इस विशाल घटना को ओजोन छिद्र (ओजोन होल) कहतें है। मानव आवास वाले विस्तारों में भी ओजोन छिद्रों के फैलने की संभावना हो सकता है
ओजोन स्तर के घटने के कारण ध्रुवीय प्रदेशों पर जमा बर्फ पिघलने लगी है तथा मानव को अनेक प्रकार के चर्म रोगों का सामना करना पड़ रहा है। ये रेफ्रिजरेटर और एयरकण्डीशनर में से उपयोग में होने वाले फ़्रियोन और क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) गैस के कारण उत्पन्न हो रही समस्या है। आज हमारा वातावरण दूषित हो गया है। वाहनों तथा फैक्ट्रियों से निकलने वाले गैसों के कारण हवा (वायु) प्रदूषित होती है। मानव कृतियों से निकलने वाले कचरे को नदियों में छोड़ा जाता है, जिससे जल प्रदूषण होता है। लोंगों द्वारा बनाये गये अवशेष को पृथक न करने के कारण बने कचरे को फेंके जाने से भूमि (जमीन) प्रदूषण होता है। प्रदुषण कई प्रकार के होते है - (१)जल प्रदुषण , (२)वायु प्रदुषण , (३)ध्वनि प्रदुषण (४) मृदा प्रदूषण आदि।
वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण अर्थात हवा में ऐसे अवांछित गैसों, धूल के कणों आदि की उपस्थिति, जो लोगों तथा प्रकृति दोनों के लिए खतरे का कारण बन जाए। दूसरे शब्दों में कहें तो प्रदूषण अर्थात दूषित होना या गंदा (गन्दा) होना। वायु का अवांछित रूप से गंदा होना अर्थात वायु प्रदूषण है। वायु में ऐसे बाह्य तत्वों की उपस्थिति जो मनुष्य एवं जीव-जंतुओं के स्वास्थ्य अथवा कल्याण हेतु हानिकारक हो, वायु प्रदूषक कहलाती है तथा ऐसी स्थिति को वायु प्रदूषण कहते हैं।
वायु प्रदूषण के कारण
वायु प्रदूषण के कुछ सामान्य कारण हैं:
वाहनों से निकलने वाला धुआँ।
औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुँआ।
आणविक संयत्रों से निकलने वाली गैसें तथा धूल-कण।
जंगलों में पेड़ पौधें के जलने से निकलने वाला धुआँ।
कोयले के जलने से तथा तेल शोधन कारखानों आदि से निकलने वाला धुआँ।
ज्वालामुखी विस्फोट(जलवाष्प, So2)
जल प्रदूषण के कारण
जल प्रदूषण के विभिन्न कारण निम्नलिखित हैः-
मानव मल का नदियों, नहरों आदि में सम्मिलित होना
सीवर के सफाई का उचित प्रबंधन न होना।
विभिन्न औद्योगिक इकाइयों द्वारा अपने कचरे तथा गंदे पानी का नदियों, नहरों में विसर्जन।
कृषि कार्यों में उपयोग होने वाले जहरीले रसायनों तथा खादों का पानी में घुलना।
नदियों में कूड़े-कचरे, मानव-शवों और पारम्परिक प्रथाओं का पालन करते हुए उपयोग में आने वाले प्रत्येक घरेलू सामग्री का समीप के जल स्रोत में विसर्जन।
गंदे नालों,सीवरों के पानी का नदियों मे छोङा जाना।
कच्चा पेट्रोल, कुँओं से निकालते समय समुद्र में मिल जाता है जिससे जल प्रदूषित होता है।
कुछ कीटनाशक पदार्थ जैसे डीडीटी, बीएचसी आदि के छिड़काव से जल प्रदूषित हो जाता है तथा समुद्री जानवरों एवं मछलियों आदि को हानि पहुँचाता है। अंतत: खाद्य श्रृंखला को प्रभावित करते हैं।
जल प्रदूषण के प्रभाव
जल प्रदूषण के निम्नलिखित प्रभाव हैः
इससे मनुष्य, पशु तथा पक्षियों के स्वास्थ्य को खतरा उत्पन्न होता है। इससे टाईफाइड, पीलिया, हैजा, गैस्ट्रिक आदि बीमारियां पैदा होती हैं।
इससे विभिन्न जीव तथा वानस्पतिक प्रजातियों को नुकसान व हानि पहुँचता है।
इससे पीने के पानी की कमी बढ़ती है, क्योंकि नदियों, नहरों यहाँ तक कि जमीन के भीतर का पानी भी प्रदूषित हो जाता है।
सूक्ष्म-जीव जल में घुले हुये ऑक्सीजन के एक बड़े भाग को अपने उपयोग के लिये अवशोषित कर लेते हैं। जब जल में जैविक द्रव्य बहुत अधिक होते हैं तब जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। जिसके कारण जल में रहने वाले जीव-जन्तुओं की मृत्यु हो जाती है।
प्रदूषित जल से खेतों में सिंचाई करने पर प्रदूषक तत्व पौधों में प्रवेश कर जाते हैं। इन पौधों अथवा इनके फलों को खाने से अनेक भयंकर बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं।
मनुष्य द्वारा घरो व उद्योगो से निकलने वाला कूड़ा-कचरा समुद्र में डाला जा रहा है। नदियाँ भी अपना प्रदूषित जल समुद्र में मिलाकर उसे लगातार प्रदूषित कर रही हैं। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि भू-मध्य सागर में कूड़ा-कचरा डालना बंद न किया गया तो डॉलफिन और टूना जैसी सुंदर मछलियों का यह सागर शीघ्र ही इनका कब्रगाह बन जाएगा।
औद्योगिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न रासायनिक पदार्थ प्राय: क्लोरीन, अमोनिया, हाइड्रोजन सल्फाइड, जस्ता,निकिल एवं पारा आदि विषैले पदार्थों से युक्त होते हैं।
यदि यह जल पीने के माध्यम से अथवा इस जल में पलने वाली मछलियों को खाने के माध्यम से शरीर में पहुँच जायें तो गंभीर बीमारियों का कारण बन जाता है |
जिसमें अंधापन, शरीर के अंगों को लकवा मार जाना और श्वसन क्रिया आदि का विकार शामिल है। जब यह जल, कपड़ा धोने अथवा नहाने के लिये नियमित प्रयोग में लाया जाता है तो त्वचा रोग उत्पन्न हो जाता है ।
विश्व पर्यावरण दिवस पर शायरी एवं संदेश – World Environment Day Wishes In Hindi
प्रण करो उन मंजिलों के काँटे हम हटाएँगे
अपने “Environment Day” पर उसमें
नए-नए फूल हम लगायेंगें
हो सकेगा तो,
खुद को इतना मज़बूत हम बनाएँगे,
कि पहले की तरह ही “Nature” में जीना
फिर से हम अपनाएँगे ॥
***
हरी, भरी दुनिया,
पेड़ पौधों की दुनिया,
शुद्ध और स्वच्छ हवा-जल की दुनिया,
फूल जैसे खिले चेहरे की दुनिया,
क्या आप चाहते है ऐसी हो दुनिया.
आओ पेड़ लगायें, पर्यावरण को स्वच्छ बनायें।
तो ही तो होगी एक अच्छी पहल.
आप सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
***
विश्व पर्यावरण दिवस पर आप ये कसम जरूर खाएं,
अपने पूरे जीवन में कम से कम 10 पेड़ जरूर लगाएं.
विश्व पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएं
***
विश्व पर्यावरण दिवस जरूर मनाएं,
अपने आस-पास कोई पेड़ लगाएं,
पॉलिथीन का प्रयोग न करे और
थैला बाजार घर से लेकर जाएँ,
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
***
Imagine A Fish Without Water Can It Survive?
Now Imagine A World Without Trees. Can Men Survive??
Save Trees Save Life!
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
***
चलो इस धरती को रहने योग्य बनाये
सभी मिलकर विश्व पर्यावरण दिवस मनाये
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
***
ग्लोबल वार्मिंग से, खतरे है भरपूर
पर्यावरण की रक्षा से, कर सकते है दूर
विश्व पर्यावरण दिवस की बधाई…
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मानव जीवन है खतरे में, इसमें है हम सबकी समझदारी,
पेड़ लगायेंगे और पेड़ बचायेंगे, पर्यावरण सुरक्षा की लो जिम्मेदारी.
जागरूक बने और जागरूकता फैलायें…
विश्व पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएँ
***
चलो आज इस जमीं को फिर से जन्नत बनाते है.
रोज न सही आज दो चार पौधे लगाते है.
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
***
Let the peace of Nature flow in your life..
On World Environment Day and always !
Have a Great Environment Day
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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Keep your world clean and green.
Save trees,Save the environment!!
Clean city,Green city!!
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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Remember the importance of taking care of our planet. It’s the only home we have!
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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The one day people actually care about the earth…the other 364 days they’re too busy killing it.
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Everyone join the race, To make the world a better place. Don’t blow it. Good planets are hard to find. Save Earth: There’s no place like home.
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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Keep your world clean and green.
Save trees, Save the environment!!
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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Let the peace of Nature flow in your life..
On World Environment Day and always !
Have a Great Environment Day.
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
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हमारा स्वास्थ्य हमारे पर्यावरण की स्वच्छता पर निर्भर करता है। लिहाजा पर्यावरण के संसाधन या घटक जितने स्वच्छ व निर्मल होंगे, उतना ही हमारा शरीर तथा मन स्वच्छ तथा स्वस्थ होगा।
आज पर्यावरण दिवस के मौके पर चलो हम सब ये शपथ ले कि अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने का हर संभव प्रयास करेंगे। हम जल प्रदुषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण और न जाने कितने तरह के प्रदूषण नियंत्रण करेंगे। हम अपनी पृथ्वी को जीवन के लिए बेहतर बनाए रखेंगे। हम कागज और जल को बचा कर रखेंगे।
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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स्वस्थ जीवन के लिए शुद्ध वायु, जल तथा मिट्टी आवश्यक कारक हैं। परन्तु हवा, पानी और मिट्टी में दिन-रात घुलते जा रहे प्रदूषण के जहर ने आज विश्व को उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहाँ से आगे तबाही के सिवा कुछ नहीं है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के हर कार्य के खिलाफ आओ मिलकर आवाज उठाएं।
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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पुराणों में एक वृक्ष को दस पुत्रों के समान बताया गया है। यानि जितना पुण्य दस पुत्रों को उत्पन्न करने पर होता है उतना ही पुण्य एक वृक्ष लगाने पर होता है। इस विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आओ एक पेड़ लगाकर प्रकृति संरक्षण में अपना योगदान दें.
पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएँ।
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पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए दृढ़ संकल्प रहते हुए हम सब स्वस्थ्य एवं दीर्घायुष्य प्राप्त करें। ऐसी विश्व पर्यावरण दिवस पर हमारी तरफ से मंगलकामना।
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
प्रकृति हमारी माँ है जो सभी कुछ अपने बच्चों को अर्पण कर देती है। फिर हमारी भी तो जिम्मेदारी है कि हम अपनी माँ के लिए ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न कि वो सर्वत्र शुभ देखें और गर्व करें
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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