JALORE NEWS खिलजी को वंश नष्ट होने का दिया था श्राप , अलाउद्दीन खिलजी को प्राणो की भीख मांगनी पड़ी थी , ऐसे है यहाँ महादेव जी का मंदिर जाने इतिहास
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JALORE NEWS खिलजी को वंश नष्ट होने का दिया था श्राप , अलाउद्दीन खिलजी को प्राणो की भीख मांगनी पड़ी थी , ऐसे है यहाँ महादेव जी का मंदिर जाने इतिहास
जालोर ( 9 जुलाई 2023 ) JALORE NEWS नीलकंठ महादेव"जालोर जिले के सरहदी गांव निलकंठ( ग्राम पं.भोरडा) में महादेव का प्राचीन मंदिर है
इसी मंदिर के नाम पर इस गांव का नाम निलकंठ पडा!हजारों हिंदू मंदिर तोड़ने वाले खिलजी को इस मन्दिर में मांगनी पड़ी थी #प्राणो की भीख
डॉ.के एस लाल की पुस्तक "खिलजी वंश का इतिहास" के अनुसार अलाउद्दीन खिलजी और जालोर के शासक रावल कान्हडदेव सोनगरा के समय सिवाणा पर अधिकार कर लेने के बाद खिलजी ने जालोर का रूख़ किया, जैसा कि सर्वविदित है कि खिलजी ने सोमनाथ मन्दिर के अलावा हजारों हिंदू मंदिर तोड़कर उस जगह पर मज्जिद बनवाईं थी।।
उसी क्रम में नीलकंठ महादेव मंदिर भी तोडने का प्रयास खिलजी सेना द्वारा किया गया था मंदिर तोड़ने की खबर सुनकर सोनगरा चौहानों द्वारा विरमदेव सोनगरा, जेता देवडा,महिप देवडा ने भाद्राजून पर मोर्चा संभाला और मालदेव मुछाला, कांधल ओलेचा, खिमजी परमार ने मलकाना (मोकलसर) की तरफ मोर्चा संभाला
तब 5 जुलाई 1308 ईस्वी(विक्रम संवत 1362) में इस मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया था लेकिन खिलजी सेना के हथियार बार बार टुटने और जालोर की सेना पहुंच जाने की वजह से मंदिर तोड़ने में सफल नहीं हो पाए,।।
तब खिलजी की सेना में महिला गुल-ए-बहिशत जो खिलजी की दासी थी उसके कहने पर निलकंठ महादेव मंदिर तोड़ने का विचार त्याग दिया था
दूसरी बार खिलजी स्वयं विशाल सेना लेकर 1311ई.(विक्रम संवत 1368) जालोर पर आक्रमण को जातें समय इस मंदिर को गौरक्त से दुषित किया गया फिर मंदिर तोड़ने में खिलजी सफल हुआ।
मंदिर तोड़ने पर वहां के पुजारी ने खिलजी वंश को नष्ट होने का श्राप दिया था महादेव के कुपित होने पर वहां से जब वो आगे बढ़े तो बड़ी मधुमक्खियों (भंवरा मक्खियों) ने खिलजी की सेना के ऊपरभंयकर हमला बोल दिया मधुमक्खियों के चपेट में अलाउद्दीन के सेनापति का खास नाहर खां मारा गया, खिलजी को लोहे के बक्से में छुपना पड़ा । खिलजी सेना में त्राहि त्राहि मच गई खिलजी ने बचने का उपाय पूछा तब किसी हिन्दू ने कहा कि यह निलकंठ महादेव मंदिर तोड़ने का परिणाम है अपनी मृत्यु निकट देख खिलजी ने महादेव से क्षमा याचना की और मन्नत मांगी कि मेरे प्राण बच गए तो उसी जगह पर वापिस मंदिर बनाऊंगा
मधुमक्खियों के समूह में एक रानी मधुमक्खी होती है सब मधुमक्खियां उसी के आदेश का पालन करतीं हैं जिस जगह पर मधुमक्खियों (भंवरा मक्खियों) ने हमला किया था ।।
उस जगह का नाम भंवरों की रानी अर्थात "भवरानी " कहा जाता है जो आज भवरानी गांव से नाम से जाना जाता है खिलजी सेना भागने को विवश हो गई,भागती हुई सेना पर चौहानों ने मार लगाई और हजारों की संख्या में खिलजी के सैनिक मारें गए।
देवल शाह यूं तोडियो कोप गयो। शंभू जाॉण!
जाय तुर्काण को दंडियो पहुंच गयो भंव राॉण
घनघोर घटा ज्यूं घूम रह्यो । भंवरा पुगा अवसाण
जोड हाथ ओ पगा पड्यो बक्श दे नाथ म्हारा प्राण!
भंवरा भंयकर डंक बोल्या लिदी शाह जद आण
निलकंठ शिवलिंग थापियो। , दिल्ली तणो सुल्ताण
मरण घिरानांटो घेरियो । ,उगै आतमै री पहचाण
दिल्ली पर कुण राज करसी ,,कुण रेसी सुल्ताण!
कंकु वर्णि आ भोमका सरवो सालेमाळ।
नटराज पधारो अठै,गज मोती भर थाल।।
भांग धतूरा घोटियां सब मलपता पीये माल।
गाळे कसुम्बा रोज रा मनुहार लो महाकाल!!
ठाँडो मटको ठीक छे कदी न आँगन काल।
खाता पिता चरता फिरें, बैठें जाजम ढाल।।
विक्रम संवत 1368 चैत्र सुदि द्वितया को खिलजी द्वारा इस मंदिर में पुनः शिवलिंग की स्थापना की गई।
खिलजी इतना डर गया था कि मंदिर बनाने की जल्दबाजी में मंदिर का द्वार पश्चिम में ही रखा ,
मज्जिदो के द्वार पश्चिम दिशा में होते हैं
जबकि हिन्दू मंदिरों के प्रवेश द्वार प्राय: उतर पूर्व में होते हैं संभवत यह राजस्थान का पहला शिवमन्दिर है जिसका द्वार पश्चिम दिशा की ओर है।
खिलजी द्वारा मंदिर तोड़ने के निशान नन्दी पत्थर की मूर्ति पर आज भी तलवार के निशान मौजूद हैं अभी वहां पर नया नंदी की प्रतिमा स्थापित कर दी गई है जूना मूर्ति अभी भी मौजूद हैं निलकंठ में शिलालेख मौजूद है जो इधर उधर बिखरे पड़े हैं सोनगरा चौहानों और ख़िलजी के बीच हुए युद्ध के निशानी सोनगरा विरमदेव का स्मारक मोमाजी स्थान आज भी स्थित है उसी महादेव मंदिर के पुजारी द्वारा दिए गए श्राप से खिलजी वंश विक्रम संवत 1377 तक समूल नष्ट हो गया। ऐतिहासिक स्थल को पर्यटन विभाग और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संरक्षण किए जाने की आवश्यकता है बड़े खेद की बात है कि इतिहास में इस घटना का जिक्र नहीं किया।
लोक कथाओं और जनश्रुतियों पर आधारित l
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