CHAMUNDA mata garba JALORE shahar जालौर शहर में गरबों की शुरुआत कब हुई जाने क्या है रहस्य पीछे का
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CHAMUNDA mata garba JALORE shahar जालौर शहर में गरबों की शुरुआत कब हुई जाने क्या है रहस्य पीछे का
जालौर ( 15 अक्टूबर 2023 ) नमस्कार साथियों आज हम एक जालौर से जुड़े इतिहास से संबंधित जानकारी के साथ नया वीडियो लेकर आया हूं जालोर के इतिहास से जुड़ें कुछ किस्से हैं । अगर आप जालौर के रहने वाले हैं तो यहाँ आपके लिए खास संबंधित होगा। यहां वीडियो शुरू करने से पहले अगर आप हमारे चैनल पर अभी नया जुड़े है तो आप अभी चैनल को लाइक और शेयर करे देवें । जैसे कि आप सभी को मालूम है कि अब कुछ ही दिनों में नवरात्रि शुरू होने जा रहीं हैं जगह जगह पर गरबों की तैयारी में लोगों जुट गए है वही जालौर शहर में चामुंडा माता मंदिर के यहाँ के गरबें बहुत ही प्रसिद्ध है परंतु आप सभी यहाँ नहीं जानते होंगे यहां पर हां गरबे की शुरुआत कब और किसने किया । अगर आप हमारे चैनल पर पहली बार आए हो तो हमारे चैनल को लाइक जरूर और सब्सक्राइबर भी जरूर करें आईये जानते हैं हम इसे जालौर शहर के चामुंडा माता मंदिर के इतिहास गरबे के बारे में अब हम यहां से शुरू करने जा रहे हैं और आप भी यहां पर आकर माताजी के दर्शन कर सकते हैं। शहर में सबसे प्राचीन मंदिर मां चामुंडा माता का है आज से लगभग कुछ वर्षों पहले यहां पर किसी भी प्रकार के गरबों का आयोजित देखने को नहीं मिलता था । हम अपनी भाषा में यहाँ भी कहें कि यहाँ पर कभी गरबों का आयोजन नहीं किया जाता था। तब उस समय के पुर्व पुजारी गोविन्द पुरी महाराज और गोविन्द पुरी महाराज जोकि वहाँ माँ चामुंडा माता के पुजारी थें। और उसके नेतृत्व में 1975 सन् में यहां पर मां चामुंडा माता मंदिर के पुजारी गोविंदपुरी महाराज और पुजारी गोविंदपुरी महाराज के गुरु चेतन पुरी महाराज समय से 1970 ई सन् साल की बात है उस समय से गरबों चल रही हैं और पुजारी गोविंदपुरी महाराज के गुरु चेतन पुरी महाराज के द्वारा पहली बार गरबों का आयोजन किया गया था। इस मंदिर की पूजा अर्चना भी यहाँ पर करता था । वही पुजारी गोविन्द पुरी ने अपने गुरु के आदेशानुसार 1970 ई सन् में सबसे पहले चामुंडा माता मंदिर के प्रांगण में गरबों की शुरुआत की गई थी। उसके बाद में सुरजपोल के बाहर वर्तमान में इस स्थान को गोविन्दगद के नाम पर रखा गया था। स्थान पर भी पूर्व पुजारी गोविन्द पुरी ने गरबों की शुरुआत की गई थी। जिसके कारण से इस स्थान को वर्तमान में पुजारी गोविन्द पुरी के नाम पर गोविन्दगद रखा गया है । क्योंकि पुजारी गोविन्द पुरी महाराज के द्वारा यहाँ पर गरबों का कार्यक्रम आयोजित किया जाता था। वही मां चामुंडा माता मंदिर के पुजारी चेतन पुरी जी महाराज का देवलोक का हो गया है उसके बाद में महंत श्री गोविंद पुरी जी महाराज को बनाया गया था और वहीं कुछ ही वर्षों बाद में गोविन्दपुरी महाराज का देवलोकगमन हो गया था ।
वहीं इसके बाद में वर्ष 1983 में यहां पर गोविंदपुरी महाराज ने सहस्र चण्डी यज्ञ करवाया जो देवलोक हुए महंत दुर्गापुरी के गुरू थे। वही चामुण्डा माता मंदिर की स्थापना भी पुजारी चेतन पुरी महाराज के द्वारा 1925 ई सन् में बनाया गया था और उस समय में गरबों की शुरुआत हो चुकी थीं । जोकि आज तक गरबों का आयोजित किया जाता है। और उस समय में इस यज्ञ के मुख्य मार्गदर्शक ब्रह्मलीन पीर शांतिनाथ महाराज थे। गोविन्द पुरी महाराज के बाद में महंत दुर्गापुरी महाराज को बनाया गया था। परंतु वर्तमान में किसी करना वंश से वर्तमान में यहाँ पर गोविन्दगद में गरबों बंद हो चुका है। फिर भी आज भी इसकों गोविन्दगद के नाम से पुकारा जाता है। उसके बाद में जालौर में अन्य स्थानों और जगहों पर गरबों का आयोजन होने लगा था । वही कुछ सालों तक गरबों खेलते हैं और 8 - 9 वर्षों के बाद में गरबों अपने स्थान पर बंद कर देता है। परंतु जालौर शहर में एक ऐसा स्थान है जहां पर सर्दियों से चली आ रही परंपराओं को इसके वंशज आज भी नवरात्रियों में गरबों का आयोजित करवाते आ रहें है । इसकी कारण से यहाँ माँ चामुण्डायै माता मंदिर के गरबों पुरें जालौर जिले में प्रसिद्ध है। और वही 2000 ई सन् से पहले मंदिर में ही गरबा का आयोजन किया जाता था और 2000 ई सन् के बाद में चामुंडा माता मंदिर के बाहर एक मैदान में गरबों का आयोजन शुरू हुआ हम यहाँ भी कहाँ सकते हैं कि 20 साल से चामुंडा माता मंदिर के बाहर गरबों का आयोजित किया जा रहा है और उससे पहले चामुंडा माता मंदिर के प्रांगण में गरबों खेलते आ रहें हैं। इस मंदिर के अंदर चामुंडा माता मंदिर में अनेक देवी देवताओं के भी मंदिर स्थापित है जैसे कि हनुमान जी का मंदिर , गणेश जी का मंदिर , शिव शंकर भोलेनाथ महादेव जी का मंदिर , भेरूजी खेतलाजी का मंदिर , पीर शांति नाथ जी महाराज का मंदिर के साथ साथ में 64 जोगणिया माता का मंदिर सहित आने देवी देवताओं के मंदिर यहां पर स्थापित है ।
और पूर्व पुजारी दुर्गा पुरी जी महाराज का सन् 28 दिसम्बर 2017 को देवलोकगमन हो गया था । वहीं इसके बाद में महंत पवनपुरी महाराज को बनाया गया था। और महाराज के वंशज गरबों का आयोजित करते आ रहें है। पूर्व पुजारी गोविन्दपुरी का देवालोक होने के बाद में इनकी के वंश पूर्व पुजारी यहाँ हम अपनी भाषा में पुत्र दुर्गा पुरी महाराज ने यहाँ की पुजा पाठ सहित गरबों का कार्यक्रम संभाला और उसके बाद में पूर्व पुजारी दूर्गापुरी महाराज का भी देवालोक होने के बाद में गदपति और प्रपौत्र अंतिम पुजारी वर्तमान में सुंदर तालाब पर बने हनुमान मंदिर के पुजारी पवन पुरी के संध्या में आज भी गरबों का आयोजित किया जा रहा है।
वही आज भी इसकी गरबों के माध्यम से चामुंडा माता मंदिर के स्थानों को और परंपराओं को जोड़कर रखा गया है । इसलिए आज भी इस मंदिर में देवी देवताओं का रूप धारण अन्य प्रकार के देवी- देवताओं का रूप बनाकर गरबों का आयोजित किया जा रहा है और वर्तमान में सुंदरलाव तालाब भी इनकी देखरेख में है और यहां के पुजारी पवन पुरी महाराज ने बताया कि यहां पर वर्तमान सुंदरलाव तालाब वर्तमान में संख्या बढ़ती जा रही है। क्योंकि इस स्थान पर आस्था का केंद्र होने के कारण से हजारों की संख्या में माँ चामुण्डायै माता दर्शन करने और गरबों को देखने के लिए आते है। हर साल संख्या बढती है और हजारों की संख्या में लोगों पहुंचे हैं।
JALORE NEWS
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