JALORE NEWS अपने से बड़ों के साथ मर्यादा पूर्वक संवाद करें-आचार्य हार्दिक रत्न
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JALORE NEWS अपने से बड़ों के साथ मर्यादा पूर्वक संवाद करें-आचार्य हार्दिक रत्न
जालोर ( 17 अक्टूबर 2023 ) JALORE NEWS श्री नंदिश्वर द्वीप जैन तीर्थ में भंडारी परिवार की ओर से आयोजित आध्यात्मिक चातुर्मास के तहत बुधवार को आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री हार्दिक रत्न सुरीश्वर जी ने कहा कि हमें प्रभु महावीर की वाणी को अपने जीवन में अंगीकार करना चाहिए। हमें हर सामाजिक धार्मिक आयोजन में अग्रणी रहना चाहिए।
चातुर्मास के मीडिया संयोजक हीराचंद भंडारी के मुताबिक आचार्य श्री ने कहा कि जैन धर्म विश्व कल्याण और जगत की भलाई के चिंतन पर आधारित धर्म है। प्रभु महावीर ने साढ़े बारह वर्षों तक अनेक उपसर्ग(कष्ट) सहन किये। संगम देव ने एक ही रात्रि में लगभग बीस उपसर्ग किये। भगवान को छ:माह तक भोजन तक नहीं करने दिया। जब वह पूर्ण रूपेण थक गया। हर कर वापस जा रहा था तब प्रभु महावीर को उसे पर दया आई। प्रभु ने विचार किया कि मेरे पास जो भी आता है उसका उद्धार होता आया है। वह सर्व कर्मों से मुक्त होकर जाता है। पर यह संगम कर्मों का बंध करके जा रहा है। ऐसा सोचते- सोचते प्रभु महावीर की आंखों में आंसू आ गए।
आचार्य श्री ने उपस्थित श्रावक- श्राविकाओं से अपील की कि हम अपने जीवन में प्रभु महावीर की वाणी का ईमानदारी से अनुसरण करें। एक- दूसरे का बुरा सोचना बंद कर दें। सभी प्रेम से रहे। किसी की बुराई नहीं करें। यदि कोई व्यक्ति अच्छा कार्य कर रहा है। तो उसको प्रोत्साहन दें। उसकी अनुमोदन करें। किसी भी धार्मिक आयोजन को करने वालों को हम हौसला दें।उनके साथ व्यर्थ का वाद- विवाद नहीं करें। हो सके तो उनका सहयोग करें। हमें अपने जीवन में अपनों से बड़ों ,माता-पिता एवं गुरु के साथ ऊंची आवाज में बात नहीं करनी चाहिए। व्यर्थ की बहस कार्य को बिगाड़ देती हैं। इसलिए वाणी का संयम अत्यंत आवश्यक है।
धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनिराज आनंद मंगल विजय जी ने कहा कि तप हमारे जीवन को संवारते हैं। तप के साथ-साथ हमारे जीवन में विवेक भी होना जरूरी है। हम जो तप,जप, ध्यान कर रहे हैं ।उसके पीछे हमारा लक्ष्य क्या है ।यह लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए।
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