सम्राट वीर विक्रमादित्य सहित अन्य महापुरूषो के गौरवपूर्ण इतिहास को स्कूलो कि किताबो मे शामिल करने मांग किया - JALORE NEWS
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सम्राट वीर विक्रमादित्य सहित अन्य महापुरूषो के गौरवपूर्ण इतिहास को स्कूलो कि किताबो मे शामिल करने मांग किया - JALORE NEWS
आकोली ( 14 अप्रैल 2024 ) JALORE NEWS सम्राट वीर विक्रमादित्य सहित अन्य महापुरूषो के गौरवपूर्ण इतिहास को स्कूलो कि किताबो मे शामिल करने के लिए उप मुख्यमंत्री श्रीमति दियाकुमारी जी को महेन्द्रसिह देलदरी एवम पूरणसिंह आकोली के नेतृत्व मे ज्ञापन सौंपा ।
ज्ञापन मे बताया कि पिछले कई दशको से गुलामी से ओतप्रोत सरकारो ने भारतीय संस्कृति को नष्ट-भ्रष्ट करने के उद्देश्य से देश के महापुरूषो के गौरवपूर्ण इतिहास को नजरअंदाज करने के लिए देश एवंम राज्यो कि स्कूलो कि विभिन्न कक्षाओ कि पाठ्यपुस्तको से इतिहास पुरूष सम्राट वीर विक्रमादित्य,राजा भोज,राणा सांगा,राजा भर्हतरी,जगदेव परमार,महाराणा प्रताप,झासी कि महारानी,रानी पद्मिनी ,हाडीरानी, लक्ष्मीबाई ,मीरा बाई तात्या टोपे, सरदार भगतसिंह,मंगल पाण्डे,सहित कई महापुरुषो के इतिहास को पाठ्य पुस्तको से हटा दिया जबकी इन्ही महापुरुषो के अथक प्रयासो से देश कि संस्कृति व देश को आक्रामकताओ से बचाऐ रखा था लेकिन सरकार कि गलत सोच कि भावना एवंम
गलत उद्देश्य से देश मे यौन शिक्षा को बढावा दिया जिससे देश कि संस्कृति को बडा आघात लगा अर्थात देश कि संस्कृति नष्ट-भ्रष्ट हो गई जिसके चलते पिता गुरूजनो का सम्मान,छोटे बडो का सम्मान,सत्य असत्य का भान सही गलत रास्ते का ध्यान आदी का कोई भान नही रहने से देश मे कई अनहोनी घटनाऐ घट रही है।क्योंकि उन्होने भारतीय संस्कृति का पाठ पढा नही देश कि जनता के लिए उन महा पुरूषो ने जनता का हित सर्वोपरी समझ कर देश कि रक्षा के खातिर आक्रान्ताओ से लोहा लेते हुए सिर कटने के बाद भी युद्ध लडते रहे ऐसी घटनाएं बहुत ही महत्वपूर्ण है ऐसी अनहोनी घटनाऐ भारत के अलावा अन्य देशो मे नही मिलती है यह ही नही राजा कि हार के बाद क्षत्राणियां अपने शरीर पर आक्रान्ताओ द्वारा दाग लगाने के डर से वे अपने स्वाभिमान कि रक्षा के खातिर हजारो क्षत्राणियां अग्नि मे समा जाना अर्थात जौहर करना बहुत बडी बात है
आगे काबावत ने प्रधानमंत्री जी से अनुरोध किया कि इतिहास पुरूष सम्राट वीर विक्रमादित्य का इतिहास का स्कूलो कि पाठ्य पुस्तको मे सामिल किया जाऐ क्योकि कहते है कि सम्राट वीर विक्रमादित्य परमार ऐसे न्याय प्रिय सम्राट थे कि उनकी ख्याती देवताओ तक थी कहते है एक बार देवताओ ने सम्राट वीर विक्रमादित्य को उनका भी न्याय करने बुलाया था और उन्होंने देवताओ का न्याय किया था ऐसे वीर विक्रमादित्य का इतिहास जब बच्चे उनके द्वारा कि जनता के जन कल्याणकारी कार्यो को पढकर बच्चे भी उनके गुणो को अपनाने के लिए प्रेरित होगे एवंम उनके आदर्श गुणो को अपनाकर बच्चे बडे संस्कारी होगे एवंम अच्छी शिक्षा ग्रहण करके अपना अपने माता पिता गांव एवंम देश का नाम रोशन जरूर करेगे ।
अतः हमे आप से आशा ही नही पूर्ण विश्वास है कि आप ऐसे महापुरुषो के इतिहास को स्कूलो के पाठ्यक्रमो मे सामिल कर बच्चो को संस्कारी बनाने मे बडी भूमिका जरूर निभाऐगे ज्ञापन देते समय चोपाराम देवासी सरपंच नैनसिंह चौहान सरपंच चांदना आकोली,ठाकुर खंगारसिंह,मोटाराम घांची,परबतसिंह चौहान,हडमतसिंह बागरा नरपतसिह सोलंकी,भीकाराम सरगरा गीगाराम मेघवाल सहित सैकड़ो लोग मौजूद थे।
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