भारतीय नव वर्ष एवं आर्य समाज का 150 वा स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया - JALORE NEWS
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भारतीय नव वर्ष एवं आर्य समाज का 150 वा स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया - JALORE NEWS
जालोर ( 9 अप्रैल 2024 ) JALORE NEWS आर्य वीर दल मुख्यालय वीरम व्यायामशाला में भारतीय नव वर्ष एवं आर्य समाज का 150 वा स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया | इस अवसर पर आर्य समाज लालपोल के प्रधान विनोद आर्य के सानिध्य में वैदिक यज्ञ का आयोजन किया गया |प्रातकाल आर्य वीरों और वीरांगनाओं ने नागरिकों का तिलक लगाकर एवं गुड-धाने खिलाकर स्वागत किया।
आर्य वीर दल के महामंत्री शिवदत्त आर्य ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आर्य वीर दल के अध्यक्ष कृष्ण कुमार व विनोद आर्य ने आर्य वीरों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय नववर्ष का पहला दिन यानी सृष्टि का आरम्भ दिवस, युगाब्द और विक्रम संवत् जैसे प्राचीन संवत का प्रथम दिन, श्रीराम एवं युधिष्ठिर का राज्याभिषेक दिवस, आर्य समाज का स्थापना दिवस है | वास्तव में ये वर्ष का सबसे श्रेष्ठ दिवस है| भारतीय नववर्ष का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है, ईश्वर ने इसी दिन से सृष्टिनिर्माण प्रारम्भ किया था, इसलिए यह सृष्टि का प्रथम दिन है |
इसकी काल गणना बड़ी प्राचीन है. सृष्टि के प्रारम्भ से अब तक 1 अरब, 96 करोड़, 08 लाख, 53 हजार, 125 वर्ष बीत चुके हैं.नववर्ष प्रारम्भ का तात्पर्य नूतन वर्ष का शुभारम्भ है, किन्तु प्रतिवर्ष 1 जनवरी को पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित लोगों द्वारा मनाया जाने वाला तथाकथित नववर्ष इसके विपरीत प्रतीत होता है| क्योंकि इसमें नूतन कुछ नहीं होता | भारतीय नव वर्ष के शुरू होते ही रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते है.. पेड़ों पर नवीन पत्तियों और कोपलों का आगमन होता है..पतझड़ खत्म होता है और बसंत की शुरुवात होती है |प्रकृति में हर जगह हरियाली छाने लगती है, बर्फ से जमी झीलों से बर्फ की परत हटने लगती है तो था मौसम के साथ शरीर के रक्त में बदलाव होता है| प्रकृति का नवश्रृंगार होता है| किसानो के लिए यह नव वर्ष के प्रारम्भ का शुभ दिन माना जाता है क्योंकि यह दिन चैत्र प्रतिपदा का यह पहला दिन कई मायनों में महत्व्पूर्ण है |
कहते हैं आज का यूरोप विज्ञान को लेकर आगे बढ़ा| विज्ञान के आधार को ही उसने अपनाया है, लेकिन पश्चिम के लोग सृष्टि के निर्माण उससे जुड़े भारतीय आध्यात्मिक दर्शन को स्वीकार न कर अपने धार्मिक पूर्वाग्रह का परिचय देते नजर आते हैं. चाहें उसमें डार्विन के विकासवाद का सिद्धांत हो या अन्य किसी के अपने काल्पनिक सिद्धांत. किन्तु सृष्टि के निर्माण से जुड़े अहम वैदिक बिंदु को ईसायत पर खतरा मानते हुए स्वीकारने में हिचक रखते है तथाअन्य संस्कृतियों के वैज्ञानिक तथ्यों को हमारी संस्कृति ने सदैव आत्मसात् किया है. किन्तु अध्यात्म की योग्य रीति से शिक्षा नहीं दिए जाने के कारण अधिकांश दुष्परिणाम हमारा सांस्कृतिक पतन के रूप में हुआ है जिसका नतीजा एक जनवरी को हमने नया वर्ष मान लिया. साथ ही पश्चिमी संस्कृति को आदर्श | हम विक्रमी संवत् 2080 को पीछे छोड़ नये वर्ष 2081में प्रवेश कर चुके हैं |
उन्होंने महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित आर्य समाज के सिद्धांतों एवं उनके कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आर्य समाज ने देश के केस बनता संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया तथा 80% से अधिक आर्य समाज के लोगों ने देश के ऊपर अपने आप को कुर्बान कर दिया | आर्य समाज से प्रेरित होकर लोगों ने अंधविश्वास, पाखंड, मृत्यु भोज, दहेज प्रथा, बेमेल विवाह, बाल विवाह, सती प्रथा, जैसी विकराल कुरीतियों का विरोध किया तथा बालिका शिक्षा का प्रबल समर्थन किया |
आर्य समाज ने देश में सबसे पहले कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ आवाज उठाई | इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन करते हुए महामंत्री शिवदत्त आर्य ने कहा कि आज का दिन विशेष है क्योंकि आज के दिन जलियावाला हत्या कांड हुआ था, जिसने देश के बेकसूर हजारों लोग शहीद हो गए थे | इस घटना से आंदोलित होकर शहीदे आजम उधम सिंह ने जनरल डायर को इंग्लैंड में जाकर मार कर बदला लिया | आर्य ने आर्यवीरों से आह्वान किया कि राष्ट्र एवं समाज पर संकट के समय अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए तैयार रहें तथा समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ जमकर संघर्ष करें |
उन्होंने कहा कि समाज के लोगों में देरी से समझ आती | जब समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद ने स्त्रियों को पढ़ाने की बात कही तो समाज के लोगों ने महर्षि दयानंद का विरोध किया | लेकिन आज संपूर्ण विश्व में बालिकाओं को पढ़ाया जा रहा है, जो महर्षि दयानंद के मिशन का एक सुखद परिणाम है |प्रातकाल् आर्य वीर व वीरांगनाओ ने हरदेव जोशी सर्कल पर लोगों का तिलक लगाकर एवं गुड़ - धाना खिलाकर स्वागत किया।इस मौके पर राष्ट्रीय वुशु प्रतियोगिता मे पदक विजेता मयंक भादरु,योगेंद्र चौहान व वंदना चौहान तथा कोच देवेश आर्य का स्वागत किया गया।
इस अवसर पर आर्य वीर दल के संरक्षक दलपत सिंह आर्य, संचालक प्रशांत सिंह, पूर्व पार्षद भरत मेघवाल, मोहनलाल भादरु, कन्हैयालाल मिश्रा सहित बड़ी संख्या मे आर्य वीर एवं वीरांगनाए उपस्थित थे |
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