Guru Nanak Jayanti 2024: इस महीने में कब है गुरु नानक जयंती, जानें इस पर्व से जुड़ा इतिहास और महत्व
![]() |
Guru-Nanak-Jayanti-2024 |
Guru Nanak Jayanti 2024: इस महीने में कब है गुरु नानक जयंती, जानें इस पर्व से जुड़ा इतिहास और महत्व
जयपुर ( 8 नवंबर 2024 ) Guru Nanak Jayanti 2024: सिख समुदाय के लिए गुरू नानक जंयती का पर्व बहुत महत्वपूर्ण है। यह पर्व कार्तिक माह की शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाएगा। लेकिन क्या आपको इस पर्व से जुड़े इतिहास के बारे में पता है। आइए जानते हैं…
गुरु नानक जंयती (Guru Nanak Jayanti)
सिख धर्म के लोग इस पर्व का बड़े ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। क्योकि इस तिथि पर गुरु नानक जंयती का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को गुरु पूरब या प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गुरद्वारों को सजाया जाता है और हर जगह बेहद खास रौनक देखने को मिलती है। इसके साथ ही इस दिन गुरद्वारों में भजन और कीर्तन का आयोजन भी किया जाता है। साथ ही गुरु नानक जी के संदेशों को भी याद किया जाता है। आइए जानते हैं गुरु नानक जी से जुड़े कुछ खास इतिहास के बारे में…
गुरु नानक जी का इतिहास (History Of Guru Nanak Jayanti)
सिख धर्म के प्रथम धार्मिक गुरु नानक जी थे। इनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी ननकाना साहिब में हुआ था। इनके पिता का नाम मेहता कालूचन्द खत्री ब्राह्मण और माता का नाम तृप्ता देवी था। तलवण्डी का नाम आगे चलकर नानक का नाम ननकाना पड़ गया। इनकी बहन का नाम नानकी था। ऐसा कहा जाता है कि सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक देव जी ने की थी। इसलिए उन्हें सिख धर्म का संस्थापक कहा जाता है।
बचपन में इनमें प्रखर बुद्धि के लक्षण दिखाई देने लगे थे। लड़कपन से ही ये संसारिक विषयों से उदासीन रहा करते थे। इनका पढ़ने लिखने में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था। करीब 7-8 साल की उम्र में स्कूल छूट गया। क्योंकि भगवत्प्राप्ति के संम्बध में इनके अध्यापक ने हार मान ली और वे इन्हें ससम्मान घर छोड़ने आ गए। इसके बाद वे अपना सारा समय आध्यात्मिक चिन्तन और सत्संग में व्यतीत करने लगे।
इनका विवाह बालपन में सोलह वर्ष की आयु में गुरदासपुर जिले के अन्तर्गत लाखौकी नामक स्थान के रहने वाली मूला की कन्या सुलक्खनी से हुआ था। इनके दो लड़के भी हुए। दोनो पुत्र के जन्म के पश्चात 1507 में नानक अपने पारिवार का भार अपने ससुर पर छोड़कर मरदाना,लहना ,बाला और रामदास इन चार साथियों को लेकर तीर्थयात्रा के लिए निकल पड़े। उन पुत्रों में से श्री चंद आगे चलकर उदासी सम्प्रदाय के प्रवर्तक हुए।
गुरु नानक जयंती का महत्व (Guru Nanak Jayanti Significance)
गुरु नानक देव जी ने सदैव मानवता, समृद्धि और सामाजिक न्याय की निस्वार्थ सेवा का प्रचार किया। उन्होंने अपने जीवन में यात्राओं के दौरान कई जगह पर डेरा जमाया। इस दौरान वह सभी को भक्ति के प्रति उपदेश देते थे और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरूक भी किया करते थे। इसके साथ ही उन्होनें सामाजिक कुरीतियों का भी विरोध किया।
गुरु नानक देव जी का जन्म ऐसे समय में हुआ था। जब कई धर्म के तत्व को समझना कठिन हो गया था। उनके द्वारा दिए गए विचार इतने शक्तिशाली थे कि आज के समय में भी उनकी प्रासंगिकता बनी हुई है। गुरु नानक देव की जयंती पर लंगर और कीर्तन का विशेष आयोजन किया जाता है। इस दिन सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी में ले जाया जाता है। साथ ही जरूरतमंदों को भी भोजन खिलाया जाता है।
Guru Nanak Jayanti 2024 Date (गुरु नानक जयंती कब है 2024)
गुरु नानक जयंती का पर्व हर साल कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। इस साल गुरु नानक जयंती 15 नवंबर 2024 मनाई जाएगी। इस पर्व के दिन गुरु नानक जी को याद किया जाता है। इस साल गुरु नानक जी की 555वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी।
कब हुआ था गुरु नानक जी का जन्म
गुरु नानक जी सिख समुदाय के सबसे पहले गुरु माने जाते हैं। इनका जन्म साल 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। इनका असली नाम नानक था। सिख बनने के बाद इनको गुरु नानक के नाम से जाना जानें लगा।
कैसे मनाई जाती है गुरु नानक जयंती
गुरु नानक जयंती का पर्व पूरे तीन दिनों तक चलता है। इसे प्रकाश पर्व भी कहा जाता है। इस पर्व में सिख समुदाय के लोग तीनों दिनों तक गुरुद्वारे में अखंड पाठ आयोजन करवाते हैं। इसके साथ इस पर्व के दौरान गुरुग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है। भजन कीर्तन किये जाते हैं और लोगों की सेवा की जाती है। गुरु पर्व के समय में लंगड भी किये जाते हैं।
गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व क्यों कहते हैं
गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व भी कहा जाता है। गुरु नानक जी ने 'इक ओंकार' का नारा भी दिया था। उनका मानना था कि ईश्वर एक ही है। गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि गुरु नानक जी ने समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाया था। इन्होंने सब को ज्ञान और एकता के मार्ग पर चलना सिखाया था।
JALORE NEWS
खबर और विज्ञापन के लिए सम्पर्क करें
एक टिप्पणी भेजें