जालोर में किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन: 9 वें से जारी धरना, जवाई बांध के पानी और बीमा क्लेम को लेकर संघर्ष तेज - JALORE NEWS
Historical-movement-of-farmers-in-Jalore-Dharna-continues-since-9th-Jawai-Dam |
जालोर में किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन: 9 वें से जारी धरना, जवाई बांध के पानी और बीमा क्लेम को लेकर संघर्ष तेज - JALORE NEWS
जालोर ( 27 नवंबर 2024 ) JALORE NEWS पश्चिमी राजस्थान में किसानों का जल संकट और उनके हक की लड़ाई ने विकराल रूप ले लिया है। जवाई बांध के पानी और फसल बीमा क्लेम की मांग को लेकर 300 गांवों के हजारों किसान बीते 9 दिनों से JALORE जालोर कलेक्ट्रेट के सामने डेरा डाले हुए हैं। सरकार की अनदेखी से आक्रोशित किसानों ने मंगलवार रात को सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन तेज कर दिया, जिससे जिले का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
किसानों का कलेक्ट्रेट घेराव और सड़कों पर प्रदर्शन
बुधवार सुबह किसानों ने हरिदेव जोशी सर्किल और अस्पताल चौराहे पर टायर जलाकर आक्रोश व्यक्त किया। इसके साथ ही जोधपुर-बाड़मेर नेशनल हाईवे-325 पर जाम लगाकर यातायात बाधित कर दिया। रोडवेज बसों और अन्य वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई। दोपहर में किसानों का काफिला ट्रैक्टरों के साथ जालोर के विधायक और मुख्य सचेतक जागेश्वर गर्ग के आवास पहुंचा। वहां जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शनकारियों ने कॉलोनी के रास्तों को ट्रैक्टर और पेड़ों से बंद कर दिया। भारी पुलिस बल तैनात होने के बावजूद किसानों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा।
किसानों की मुख्य मांगें
1. जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक
किसान चाहते हैं कि जवाई बांध का एक-तिहाई पानी जालोर को मिले, जो सिंचाई और पीने के लिए बेहद जरूरी है।
2. फसल बीमा क्लेम का भुगतान
लंबे समय से लंबित फसल बीमा राशि का तुरंत निपटारा किया जाए।
3. जल और कृषि संकट का समाधान
किसानों ने उचित फसल मूल्य, कर्ज माफी, बिजली और पानी की समस्या के स्थायी समाधान की मांग की है।
आंदोलन को व्यापक समर्थन
9 दिन से चल रहे इस धरने के चलते आज किसानों ने आंदोलन को तेज कर दिया है, जिसमें जिले के आहोर, बागोड़ा, सायला, जालौर, भीनमाल सहित अन्य जगहों से बड़ी संख्या में पहुंचे किसान आंदोलन में शामिल हुए हैं। किसानों ने हरिदेव जोशी सर्कल और अस्पताल चौराहे पर टायर जलाकर प्रदर्शन किया और इसके बाद जालौर से निकलने वाले बाड़मेर-जोधपुर हाईवे पर पहुंचकर रास्ता जामकर कर दिया हालांकि पुलिस व प्रशासन ने समझाइश करके रास्ते को खुलवा दिया। किसानों का कहना है कि 9 दिन बीत जाने के बाद भी किसानों से वार्ता के लिए कोई नहीं आया है, ऐसे में किसानों में आक्रोश व्याप्त है।
बता दें कि किसानों के इस धरने को 30 से अधिक सामाजिक संगठनों एवं विभिन्न समाजों में समर्थन दिया है। कई व्यापारिक संगठन भी किसानों के समर्थन में आए हैं। किसानों के बंद के आह्वान पर आज जालौर शहर पूरी तरह बंद है, जिसमें आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर सब्जी मंडी सहित अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद रखे गए हैं। किसानों का कहना है कि यदि समय रहते उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो आंदोलन को और भी उग्र किया जाएगा। धरने को लेकर जिला प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है जगह-जगह पर पुलिस की ओर से प्रदर्शन को लेकर निगरानी रखी जा रही है।
किसानों के इस ऐतिहासिक आंदोलन को 30 से अधिक सामाजिक और व्यापारिक संगठनों का समर्थन मिल चुका है। बुधवार को जालोर शहर पूरी तरह बंद रहा। आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे।
विधायक जागेश्वर गर्ग का समर्थन
जालोर के विधायक और मुख्य सचेतक जागेश्वर गर्ग ने किसानों की मांगों को जायज ठहराते हुए आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने कहा, "जवाई बांध का पानी जालोर के लिए जीवनरेखा है। यह आंदोलन किसानों के अधिकार और उनके अस्तित्व की लड़ाई है। मैं किसानों के साथ हूं और इस मुद्दे को विधानसभा में उठाऊंगा। सरकार को तत्काल सकारात्मक कदम उठाने चाहिए।"
विधायक का बयान:
जागेश्वर गर्ग ने कहा, "किसानों की यह मांगें बहुत पुरानी हैं। पिछले 35 वर्षों से जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक सुनिश्चित करने और समय पर पानी छोड़ने की मांग की जा रही है। जब किसानों को पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब पानी नहीं छोड़ा जाता। यह आंदोलन किसानों की मजबूरी का नतीजा है। मैं भी समय-समय पर विधानसभा में इस मुद्दे को उठाता रहा हूं और उन्होंने कहा, "मैं किसानों के साथ खड़ा हूं और उनके संघर्ष को समर्थन देता हूं। सरकार को किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता देनी चाहिए। "विधायक ने कहा कि आंदोलन किसानों का संवैधानिक अधिकार है और यह शांतिपूर्ण तरीके से किया जा रहा है। उन्होंने प्रशासन और सरकार से अपील की कि वे किसानों के साथ तत्काल बातचीत शुरू करें ताकि समाधान निकले और आंदोलन समाप्त हो सके।
विधायक ने आंदोलनकारियों की मांगों को न्यायसंगत बताते हुए कहा कि जवाई बांध का पानी जालोर के लिए जीवनरेखा है। यह न केवल खेती बल्कि पीने के पानी के लिए भी जरूरी है। किसानों का यह आंदोलन उनकी पीड़ा और उनके अधिकार की लड़ाई है।
आंदोलन पर विधायक का रुख:
जागेश्वर गर्ग का यह बयान किसानों में एक नई उम्मीद जगा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन सरकार और प्रशासन के लिए चेतावनी है कि अब किसानों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं होगी।
जालोर के किसानों ने जवाई बांध के पानी पर अपना हक मांगते हुए जो लड़ाई शुरू की है, वह अब विधायक के समर्थन से और मजबूत होती दिख रही है। आंदोलनकारी किसानों ने भी गर्ग के समर्थन का स्वागत किया है और सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग दोहराई है।
प्रशासन के लिए चुनौती
पिछले 9 दिनों से आंदोलन ने प्रशासन को हिला कर रख दिया है। हालांकि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों से वार्ता की कोशिश की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और उग्र होगा।
आंदोलनकारियों का संदेश
धरना स्थल पर दिन-रात डटे किसान सरकार तक यह संदेश पहुंचा रहे हैं कि उनकी अनदेखी अब और नहीं होगी। "हमारा पानी, हमारा हक" के नारों के साथ किसान अपनी मांगों पर अडिग हैं। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो रेल रोकने जैसे कदम भी उठाए जा सकते हैं।
जवाई बांध विवाद: क्यों अहम है यह पानी?
जवाई बांध पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा जल स्रोत है। यह न केवल किसानों की सिंचाई के लिए बल्कि लोगों की पीने के पानी की जरूरतें पूरी करता है। जालोर के किसानों का आरोप है कि जब उन्हें पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब पानी नहीं छोड़ा जाता।
क्या कहता है किसान नेतृत्व?
आंदोलन के प्रमुख नेताओं रतनसिंह, खीमसिंह, और विक्रमसिंह ने कहा, "यह हमारी अस्तित्व की लड़ाई है। जब तक हमारी मांगें नहीं मानी जातीं, आंदोलन जारी रहेगा। सरकार अब और बहाने नहीं बना सकती।"
सरकार के लिए कड़ी परीक्षा
जालोर का यह आंदोलन अब केवल एक जिले तक सीमित नहीं रहा। यह पूरे राजस्थान में फैलने की संभावना है। सरकार के सामने यह आंदोलन एक बड़ी परीक्षा बन चुका है। किसानों के तेवर साफ हैं कि वे बिना समाधान के पीछे हटने वाले नहीं हैं।
किसानों का संकल्प
आंदोलन स्थल पर किसानों ने अस्थायी रसोई शुरू कर दी है और वे लगातार अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह संघर्ष उनकी पीढ़ियों का भविष्य तय करेगा।
सरकार को अब इस आंदोलन को गंभीरता से लेना होगा, क्योंकि यह केवल पानी और बीमा का मुद्दा नहीं, बल्कि किसानों के अस्तित्व की लड़ाई है।
किसानों ने बैरिकेड्स गिराए, 9 दिन से जारी आंदोलन तेज
जालौर जिला मुख्यालय पर पिछले 9 दिनों से किसानों का आंदोलन उग्र रूप लेता जा रहा है। भारतीय किसान संघ के आह्वान पर शुरू हुए इस आंदोलन में 300 से अधिक गांवों के करीब 5,000 किसान शामिल हो चुके हैं।
बुधवार को प्रदर्शनकारी किसानों ने बैरिकेड्स गिराकर अपना विरोध दर्ज कराया। किसानों की प्रमुख मांगों में जवाई नदी का पुनर्भरण, फसल बीमा क्लेम का भुगतान, और अन्य कृषि संबंधी समस्याओं का समाधान शामिल है।
इस आंदोलन ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।
जालौर में किसानों का आंदोलन: आंदोलन स्थल पर सड़कों पर बैठकर भोजन करते दिखे किसान
जालौर मुख्यालय पर आज किसानों का आंदोलन अपने चरम पर पहुंच गया। सैकड़ों किसान अपनी मांगों को लेकर एकजुट होकर सड़क पर उतर आए। आंदोलन के दौरान दिलचस्प नज़ारा देखने को मिला, जब किसान सड़क पर बैठकर ही भोजन करते नजर आए।
आंदोलनकारियों ने भोजन के दौरान एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए बताया कि उनकी मांगें सरकार तक पहुंचने तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। किसानों ने कहा कि यह आंदोलन केवल उनके अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के किसानों की आवाज है।
सरकार से सीधी मांग
आंदोलनकारी किसानों की प्रमुख मांगें फसलों का उचित मूल्य, कर्ज माफी और सिंचाई सुविधाओं का सुधार हैं। आंदोलनकारी नेताओं ने कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है।
भोजन में भी दिखा संघर्ष का भाव
सड़क पर भोजन करते हुए किसानों का यह दृश्य उनकी मेहनत और संघर्ष का प्रतीक है। किसानों ने बताया कि चाहे जो भी परिस्थितियां हों, वे अपने हक के लिए डटे रहेंगे। भोजन वितरण में स्थानीय लोगों और स्वयंसेवी संगठनों ने भी सक्रिय योगदान दिया।
प्रशासन अलर्ट पर
जालौर प्रशासन आंदोलन को लेकर सतर्क है और स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए है। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।
आंदोलन बना चर्चा का विषय
किसानों के इस संघर्ष ने पूरे जिले का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। सड़कों पर बैठकर भोजन करते किसानों की तस्वीरें यह संदेश दे रही हैं कि उनके हौसले को कोई नहीं तोड़ सकता।
यह आंदोलन किसानों की एकता और उनके हक के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है। अब देखना यह होगा कि सरकार उनकी मांगों पर क्या रुख अपनाती है।
JALORE NEWS
खबर और विज्ञापन के लिए सम्पर्क करें
एक टिप्पणी भेजें