जालोर के गौरवशाली इतिहास की परतें हटाने की मांग सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने दिया उप मुख्यमंत्री को पत्र - JALORE NEWS
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जालोर के गौरवशाली इतिहास की परतें हटाने की मांग सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने दिया उप मुख्यमंत्री को पत्र - JALORE NEWS
जयपुर ( 10 दिसंबर 2024 ) JALORE NEWS राजस्थान विधानसभा के सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने जालोर की ऐतिहासिक धरोहरों और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने का आह्वान किया है। गर्ग ने राजस्थान की उप मुख्यमंत्री श्रीमती दिया कुमारी को एक औपचारिक पत्र लिखकर जालोर जिले के ऐतिहासिक स्थलों पर पुरातात्विक खुदाई करवाने की मांग की है।
गर्ग ने पत्र में लिखा है कि जालोर का गौरवशाली इतिहास वीर सपूतों और शूरवीर योद्धाओं की कहानियों से समृद्ध है। खासतौर पर वीर वीरमदेव और कान्हड़देव जैसे महान योद्धाओं ने इस धरती पर अपने शौर्य से एक अमिट छाप छोड़ी है। हालांकि, इस इतिहास के कई महत्वपूर्ण पहलू आज भी अनदेखे और अनछुए हैं।
तोपखाना, जालोर किला और आसपास के क्षेत्रों में खुदाई की मांग
मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने मांग की है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को निर्देशित किया जाए कि जालोर स्थित ऐतिहासिक स्थलों जैसे तोपखाना (जो पहले एक संस्कृत पाठशाला थी), जालोर किला और इसके आसपास के क्षेत्रों में खुदाई की जाए। इस खुदाई का उद्देश्य कान्हड़देव और वीरमदेव के महलों, उनके निवास स्थलों, और उस समय की कला, संस्कृति और राजनीतिक विरासत को उजागर करना है।
गर्ग का मानना है कि इन धरोहरों के अध्ययन और शोध से राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध किया जा सकता है और नई पीढ़ियों को उनके गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा मिल सकती है।
"इतिहास को जानना भविष्य की दिशा तय करता है"
अपने पत्र में जोगेश्वर गर्ग ने कहा, “जालोर का इतिहास न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह वीरों की भूमि है, जिसने अपने शौर्य और बलिदान से इतिहास की दिशा बदली है। लेकिन, इनकी विरासत को आज तक संरक्षित नहीं किया गया है। सभ्यता को आगे बढ़ाने के लिए अपने इतिहास को जानना और उसे संरक्षित करना अनिवार्य है।”
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गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित करने का प्रयास
जोगेश्वर गर्ग ने स्पष्ट किया कि जालोर के ऐतिहासिक स्थलों की खुदाई और अध्ययन से न केवल अतीत के अनमोल धरोहरों का पता चलेगा, बल्कि यह नई पीढ़ियों को उनके गौरवशाली अतीत से जोड़ने का जरिया भी बनेगा। उन्होंने उप मुख्यमंत्री से अपील की है कि वे इस मुद्दे को प्राथमिकता देते हुए संबंधित विभागों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दें।
राजस्थान के ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण पर उठे सवाल
जालोर की धरोहरों को पुनर्जीवित करने की यह मांग राज्य के अन्य ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण की स्थिति पर भी सवाल खड़े करती है। गर्ग का यह पत्र न केवल जालोर बल्कि पूरे राजस्थान के ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के लिए नई उम्मीद जगाता है।
इतिहासकारों और स्थानीय नागरिकों ने की सराहना
गर्ग की इस पहल को जालोर और पूरे राजस्थान में बड़े पैमाने पर सराहना मिल रही है। इतिहासकारों का मानना है कि इस प्रकार की खुदाई से क्षेत्र के अनछुए इतिहास को उजागर करने में मदद मिलेगी। वहीं, जालोर के स्थानीय नागरिकों ने भी गर्ग की इस मांग का स्वागत करते हुए इसे ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है।
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क्या मिलेगा जालोर के इतिहास को न्याय?
इस ऐतिहासिक पहल के बाद सभी की निगाहें राजस्थान सरकार पर टिकी हैं। क्या सरकार जालोर के इतिहास को संरक्षित करने की दिशा में त्वरित कदम उठाएगी? यह देखना दिलचस्प होगा कि वीरों की इस भूमि का गौरवशाली इतिहास कब तक दुनिया के सामने आएगा।
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