जालोर में किसानों का ऐतिहासिक महापड़ाव: 24वें दिन महिलाओं का मटका फोड़ प्रदर्शन, जवाई बांध के पानी को लेकर जनाक्रोश चरम पर - JALORE NEWS
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जालोर में किसानों का ऐतिहासिक महापड़ाव: 24वें दिन महिलाओं का मटका फोड़ प्रदर्शन, जवाई बांध के पानी को लेकर जनाक्रोश चरम पर - JALORE NEWS
जालोर ( 12 दिसंबर 2024 ) JALORE NEWS राजस्थान के जालोर में जल संकट को लेकर किसानों का महापड़ाव 24वें दिन भी जारी है। भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में चल रहे इस आंदोलन में किसानों के साथ बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी भाग लिया। गुरुवार को यह आंदोलन एक बड़े प्रदर्शन में तब्दील हो गया, जब महिलाओं ने गीत गाकर, मटकियां फोड़कर और नारेबाजी करते हुए सरकार की नीतियों के खिलाफ अपना विरोध जताया।
जवाई बांध के पानी पर जालोर के हक की मांग
किसानों और महिलाओं का मुख्य मुद्दा जवाई बांध के पानी का जालोर के लिए एक-तिहाई हिस्सा सुनिश्चित करना है। आंदोलनकारियों का कहना है कि जवाई बांध के जल बंटवारे में जालोर को हमेशा से अनदेखा किया गया है, जिससे जिले में जल संकट बढ़ता जा रहा है। महिलाओं ने सरकार पर तंज कसते हुए गीतों के माध्यम से अपनी पीड़ा व्यक्त की। गीतों में उन्होंने कहा, "जवाई बांध रो पानी छोड़ो, मोदीजी- मोदीजी," और "मोरे बालकिया पानी के लिए तरसे हो।"
सरकार के कार्यक्रम का विरोध: मटकियां फोड़कर जताया आक्रोश
किसानों और महिलाओं ने रैली के रूप में जालोर के राजेंद्र नगर स्थित जालोर क्लब का घेराव किया, जहां राजस्थान सरकार के एक साल पूर्ण होने के उपलक्ष्य में युवा सम्मेलन और रोजगार उत्सव आयोजित हो रहा था। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने मटकियां फोड़कर सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की और "जोगेश्वर हाय हाय" एवं "छगनसिंह हाय हाय" के नारे लगाकर भाजपा सरकार की नीतियों की आलोचना की।
ब्रह्माकुमारी संस्था का साथ, आंदोलन को और मजबूती
महापड़ाव को ब्रह्माकुमारी संस्था का समर्थन मिलने से यह आंदोलन और मजबूत हो गया है। किसानों और महिलाओं का कहना है कि यह सिर्फ पानी की लड़ाई नहीं है, बल्कि क्षेत्र की पीढ़ियों को बचाने का संघर्ष है। संस्था ने इसे न्याय की लड़ाई बताते हुए सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की है।
24 दिनों से जारी आंदोलन पर सरकार की चुप्पी, प्रदर्शनकारियों की चेतावनी
महिलाओं और किसानों ने सरकार की चुप्पी पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक जवाई बांध का पानी जालोर के लिए सुरक्षित नहीं किया जाता, आंदोलन और उग्र होगा। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि 24 दिनों से चल रहे धरने के बावजूद सरकार उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है।
जल संकट और जनसमस्याओं से बढ़ता आक्रोश
जालोर के किसान और महिलाएं जल संकट के समाधान के साथ-साथ सरकार की उदासीनता से परेशान हैं। लगातार बिगड़ती स्थिति ने जनता में गुस्सा बढ़ा दिया है। किसान आंदोलन अब केवल स्थानीय मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह सरकार की नीतियों और प्रशासनिक उदासीनता पर सवाल खड़ा कर रहा है।
आंदोलन का विस्तार और सरकार पर दबाव
किसानों और महिलाओं के इस बड़े प्रदर्शन ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। ब्रह्माकुमारी संस्था समेत अन्य संगठनों के समर्थन के बाद आंदोलन राज्यव्यापी चर्चा का विषय बन गया है। प्रदर्शनकारियों का साफ कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन समाप्त नहीं होगा।
सरकार के सामने चुनौतियां बढ़ीं
इस महापड़ाव ने जालोर में सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। 24 दिनों से चल रहे आंदोलन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जनता अब अपने अधिकारों के लिए चुप नहीं बैठेगी। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।
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