राजस्थान में ग्राम पंचायतों की बदलेगी सीमा! इस आधार पर होगा पुनर्गठन, आदेश जारी
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राजस्थान में ग्राम पंचायतों की बदलेगी सीमा! इस आधार पर होगा पुनर्गठन, आदेश जारी
पंचायत समितियों में 25 ग्राम पंचायत
जिन पंचायत समितियों में 40 या उससे अधिक ग्राम पंचायतें और 2 लाख या उससे अधिक आबादी है तो उनका पुनर्गठन किया जाएगा। पुनर्गठित और नवसृजित पंचायत समितियों में ग्राम पंचायतों की संख्या न्यूनतम 25 रखनी होगी। जैसे किसी पंचायत समिति में 42 ग्राम पंचायतें हैं तो नवसृजित एक पंचायत समिति में 25 ग्राम पंचायतें और अन्य में 17 ग्राम पंचायतें होगी।कलक्टर को अधिकृत किया
ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठित और नवसृजित के प्रस्ताव तैयार कराने से लेकर उनका राज्य सरकार से अनुमोदन कराए जाने तक की प्रक्रिया के लिए जिला कलक्टरों को अधिकृत किया है। पंचायतीराज विभाग के शासन सचिव डॉ. जोगाराम ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं।20 जनवरी से शुरू होगी प्रक्रिया
20 जनवरी से 18 फरवरी तक कलक्टर ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों के प्रस्ताव तैयार कराएंगे। 20 फरवरी से 21 मार्च तक प्रस्तावों को प्रकाशित करके आपत्तियां आमंत्रित करेंगे। 23 मार्च से 1 अप्रेल 2025 तक आपत्तियों का निस्तारण करेंगे। 3 अप्रेल से 15 अप्रेल 2025 तक आपत्तियों के निस्तारण के बाद फाइनल प्रस्ताव पंचायतीराज विभाग को भिजवाएंगे।इन 12 की निकायों का काम होगा शुरू
डीडवाना, अनूपगढ़, पीलीबंगा, तिजारा, शाहपुरा, बाड़ी, डीग, फलौदी, आबू रोड, अंता, प्रतापगढ़ शामिल हैं। इनके अलावा 38 नवगठित शहरों के लिए भी मसौदा तैयार किया जा रहा है। जयपुर के लिए निविदा जारी की जा चुकी है। इन सभी के मास्टर प्लान की मियाद इस साल पूरी हो रही है।ये हैं 38 नव गठित निकाय, जिनका पहली बार बनेगा प्लान
- * अलवर- रैणी, मुुंडावर, मालाखेडा, कठूमर, नौगांवा
- * भीलवाडा- रानीपुर
- * अजमेर- सावर
- * टोंक- दूनी
- * हनुमानगढ़- गोलूवाला
- * करौली- मंडरायल
- * दौसा- बसवा, रामगढ पचवारा, लवाण, भांडारेज, सिकराय
- * जयपुर- दूदू, वाटिका, फागी
- * झुंझुनूं- सिंघाना, पोंख
- * जालोर- आहोर
- * जोधपुर– बाप
- * जैसलमेर- रामदेवरा
- * बूंदी- देई, हिंडोली
- * कोटा- सुकेत
- * बारां- सीसवाली
- * सवाईमाधोपुर- वीजरपुर, खिरनी
- * राजसमंद- भीम
- * उदयपुर-सलूम्बर- खेरवाडा, सारदा, वल्लभनगर, मावली
- * चितौडगढ़- अकोला
- * प्रतापगढ़- दालोत
- * डूंगरपुर- सीमलवाडा
- * बांसवाडा- घाटोल
पैसा मिल रहा, इसलिए इन 15 को करेंगे अपग्रेड
केन्द्र सरकार फंडिंग कर रही है, इसलिए नगर नियोजन विभाग ने ऐसे 15 निकायों की भी सूची बनाई है, जिन्हें अपग्रेड किया जाएगा। इनमें केकड़ी, निवाई, गुलाबपुरा, मकराना, नसीराबाद, कुचामनसिटी, लाडनूं, देवली, बांदीकुई, चाकसू, लालसोट, दौसा, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, बयाना शहर शामिल हैं।मास्टर प्लान इसलिए जरूरी…
- * मास्टर प्लान शहर के विकास का पॉलिसी दस्तावेज है। इसमें पूरे शहर का विकास का वृहद प्लान शामिल है। मसलन, शहर के किस इलाके में भूउपयोग आवासीय, संस्थानिक, कॉमर्शियल होगा।
- * रोड नेटवर्क से लेकर परिवहन, मनोरंजन, आवास से जुड़ा खाका खींचा जाता है। इसमें इलाकेवार विकास का प्लान है।
- * जन सुविधा के लिए जगह आरक्षित की जाती है। इकोलोजिकल, हरियाली और पहाड़ी क्षेत्र के संरक्षण के लिए।
नगर नियोजकों की फौज, फिर भी ठेके पर क्यों?
नगर नियोजन विभाग और टाउन प्लानिंग शाखा में नगर नियोजकों की फौज होने के बावजूद इस काम को आउटसोर्स किया जा रहा है। इससे मास्टर प्लान (लागू होने से पहले) की गोपनीयता खत्म होने की भी आशंका बनी रहेगी। सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि इसकी गोपनीयता बनाए रखने के लिए कंपनी के लिए क्या-क्या राइडर लगाए हैं, अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं है।अंतिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के पास…
जिसमें प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर अध्यक्ष होंगे और उनके अलावा चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह, सामाजिक न्याय मंत्री अविनाश गहलोत, खाद्य मंत्री सुमित गोदारा और गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह शामिल रहेंगे। यह इस कमेटी में सदस्य के पद पर हैं। जल्द ही इस कमेटी की पहली बैठक आयोजित होगी जिसमें पुनर्गठन के प्रस्ताव पर चर्चा करके सुझाव लिए जाएंगे और अंतिम रिपोर्ट प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को दी जाएगी।
पंचायत नक्शा बदलने के पीछे क्या है सरकार का उद्देशय
सरकार के अनुसार पुनर्गठन का मुख्य उद्देश्य है कि पंचायत स्तर पर बेहतर व्यवस्था स्थापित की जा सके और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के काम ज्यादा से ज्यादा हो। सरकार पंचायती राज अधिनियम 1994 के तहत पुनर्गठन के लिए प्रस्ताव तैयार करेगी। ऐसे में ग्राम पंचायत और पंचायत समिति की सीमाओं में भी बदलाव होगा। हो सकता है कि इस प्रक्रिया में ग्राम पंचायत को एक पंचायत समिति से दूसरी में भी स्थानांतरित किया जा सके।
किस आधार पर होगा पंचायत का पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन
हालांकि अभी तक इसका कोई विरोध नहीं है लेकिन यदि किसी ग्राम पंचायत को एक पंचायत समिति से दूसरी में शिफ्ट किया जाता है तो उसका भी विरोध हो सकता है। हालांकि अब देखना होगा कि सरकार किस आधार पर पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन करती है।
कब होंगे राजस्थान में पंचायत चुनाव?
वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में ज्यादातर पंचायत समिति और ग्राम पंचायत में लगे जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। ऐसे में सरकार उन पर प्रशासक नियुक्त कर सकती है। इसके बाद प्रदेश में पंचायती राज चुनाव के लिए भी तिथि की घोषणा होगी।
नई पंचायत का मुख्यालय वही होगा, जहां सरकारी दफ्तर हो या उनके लिए जमीन हो
नई ग्राम पंचायत के मुख्यालय को लेकर भी कलेक्टरों को सरकार ने गाइडलाइन दी है। उसके मुताबिक नई बनने वाली ग्राम पंचायत का मुख्यालय उसी गांव में रखा जाए। जहां पर आने-जाने के साधन हों। दूसरे गांव से उसका संपर्क आसान हो। पंचायत भवन, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, पटवार भवन, किसान सेवा केंद्र और दूसरे सरकारी दफ्तर भी हों या इन्हें बनाने के लिए जमीन उपलब्ध हो ।
सामान्य क्षेत्रों में 2 लाख से ज्यादा आबादी वाली पंचायत समितियां टूटेगी
प्रदेश में 2 लाख या इससे ज्यादा आबादी और 40 या इससे ज्यादा ग्राम पंचायत वाली पंचायत समितियां का पुनर्गठन करके उनसे नई यूनिट बनाई जाएगी। अब 25 ग्राम पंचायत पर एक पंचायत समिति बनेगी जबकि पहले 40 पंचायत पर एक पंचायत समिति बनती थी।
लोगों की मांग पर पंचायत के इलाके बदल सकेंगे
स्थानीय लोगों की मांग पर नई पंचायत बन सकेगी। इलाके को दूसरी पंचायत में शामिल किया जा सकेगा। अगर किसी इलाके के लोग मौजूदा ग्राम पंचायत की जगह उनके वार्ड या इलाके को दूसरी पंचायत में शामिल करना चाहते हैं। इसकी मंजूरी दी जा सकेगी, लेकिन उसे दूसरी ग्राम पंचायत के मुख्यालय से उसे इलाके की दूरी 6 किलोमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
चार रेगिस्तान जिलों और सहरिया इलाकों में 2000 की जनसंख्या पर बनेगी एक पंचायत
राजस्थान के चार रेगिस्तानी जिलों और सहरिया क्षेत्र में न्यूनतम 2000 की जनसंख्या पर एक ग्राम पंचायत बन सकेगी। इन इलाकों में ग्राम पंचायत की अधिकतम जनसंख्या 4000 रखी गई है। इससे ज्यादा जनसंख्या पर अलग से ग्राम पंचायत बनेगी। बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और बारां जिले की किशनगंज और शाहाबाद तहसीलों में न्यूनतम और अधिकतम जनसंख्या के मापदंडों में छूट दी गई है।
रेगिस्तान जिलों बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर में डेढ़ लाख की आबादी और 40 से ज्यादा ग्राम पंचायत वाली पंचायत समितियां को पुनर्गठित किया जाएगा। अब रेगिस्तान जिलों में 20 ग्राम पंचायत पर एक पंचायत समिति बन सकेगी। बारां जिले के सहरिया बहुल किशनगंज और शाहबाद क्षेत्र में भी यही मापदंड लागू होंगे।
एक राजस्व गांव को दो पंचायत में नहीं रखा जा सकेगा
पंचायत के पुनर्गठन में एक राजस्व गांव को दो पंचायत में नहीं रखा जाएगा। पूरा राजस्व गांव एक ही पंचायत में रहेगा। गाइडलाइन में यह भी है कि किसी भी पंचायत का पूरा क्षेत्र ही किसी विधानसभा सीट में होना चाहिए। एक पंचायत इलाके में एक से ज्यादा विधानसभा नहीं होनी चाहिए।
एक ग्राम पंचायत को बताकर दो पंचायत समितियां में नहीं रखा जा सकेगा
पुनर्गठन में नजदीक की पंचायत को नई पंचायत समिति में शामिल किया जा सकेगा, लेकिन एक ग्राम पंचायत को बताकर दो पंचायत समितियां में नहीं रखा जाएगा।
20 फरवरी को होगा नोटिस का प्रकाशन
तहसीलदार और पटवारी के सहयोग से एसडीओ की निगरानी में ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां के पुनर्गठन के प्रस्ताव तैयार होंगे। पुनर्गठन के इन प्रस्ताव पर जनता की आपत्तियां और सुझाव लेने के लिए 20 फरवरी को नोटिस प्रकाशित करवाया जाएगा।
पुनर्गठन के बाद प्रदेश में हो सकती हैं 12000 ग्राम पंचायतें
राजस्थान में अगले 4 से 5 महीने के अंदर हजारों पंचायतों की सीमाओं में बदलाव हो जाएगा। मापदंडों में छूट दिए जाने से मोटे अनुमान के मुताबिक करीब 800 नई ग्राम पंचायतें बन सकती हैं। इसके अलावा करीब 20 नई पंचायत समितियां भी बनने की संभावना है। अभी 11,194 ग्राम पंचायत और 365 पंचायत समितियां हैं। पुनर्गठन के बाद इनकी संख्या 12000 पहुंच सकती है।
20 जनवरी से 15 अप्रैल के बीच पूरी करनी होगी प्रक्रिया
नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां के लिए कलेक्टर 30 दिन में प्रस्ताव तैयार करेंगे। 20 जनवरी से 18 फरवरी तक कलेक्टर प्रस्ताव तैयार करेंगे।
नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां बनाने और पुनर्गठन करने के बारे में 20 फरवरी से लेकर 21 मार्च तक आपत्तियां मांगी जाएगी। 23 मार्च से 1 अप्रैल तक ड्राफ्ट प्रस्ताव के बारे में जनता से मिली आपत्तियां और सुझावों का निपटारा किया जाएगा। 3 अप्रैल से 15 अप्रैल तक नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां के पुनर्गठन के प्रस्ताव पंचायती राज विभाग को भेजने होंगे।
2011 की जनसंख्या के आधार पर ही बनेगी नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां
राजस्थान में बनने वाली नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां के लिए जनसंख्या का आधार 2011 की जनगणना ही रहेगी। नई जनगणना नहीं होने की वजह से 2011 की जनगणना के आंकड़ों को ही आधार बनाया जाएगा।
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