Kotputli Borewell Update: 220 घंटे बाद चेतना आखिर रूला गई सभी को, लेकिन जाते-जाते सरकार को खुले बोरवेलों के लिए भी चेता गई
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Kotputli Borewell Update: 220 घंटे बाद चेतना आखिर रूला गई सभी को, लेकिन जाते-जाते सरकार को खुले बोरवेलों के लिए भी चेता गई
जयपुर ( 1 जनवरी 2024 ) निकटवर्ती किरतपुरा गांव में बडीयाली ढाणी में 700 फीट गहरे बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम चेतना को बचाने की जद्दोजहद दस दिनों तक चली लेकिन जब तक रेस्क्यू टीम उसे बाहर निकाल सकी, तब तक मासूम जिंदगी दम तोड़ चुकी थी। 220 घंटे लंबे इस रेस्क्यू ऑपरेशन ने प्रशासनिक लापरवाही और व्यवस्थागत खामियों को उजागर कर दिया। बड़ी संख्या में संसाधनों के लवाजमे से लैस यह रेस्क्यू अभियान आखिरकार निराशा के साथ, टूटी आस के साथ समाप्त हुआ।
आज ही होगा पोस्टमार्टम
पुलिस अधिकारियों ने की मौत की पुष्टि के बाद पोस्टमार्टम की कार्रवाई की जा रही है। मौके पर सांसद राव राजेंद्र सिंह ,विधायक हंसराज पटेल, कलक्टर कल्पना अग्रवाल, एसपी राजन दुष्यंत सहित प्रशासनिक अमला रहा। चेतना को मोर्चरी में शिफ्ट किया। रात को ही पोस्टमार्टम किया गया। तीन डॉक्टरों का बोर्ड बनाया गया। यह जानकारी पीएमओ डॉक्टर चैतन्य रावत ने दी।रेस्क्यू ऑपरेशन की लंबी कहानी
पहले दो दिनों तक प्लान ए के तहत एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीमों ने बोरवेल में रस्सियों और शिकंजों की मदद से चेतना को निकालने की कोशिश की लेकिन यह योजना नाकाम रही। इसके 30 घंटे बाद प्लान बी पर काम शुरू हुआ जिसमें पाईलिंग मशीन द्वारा बोरवेल के समानांतर 170 फीट गहरी सुरंग खोदी गई। भारी मशीनों और 220 घंटों के श्रम के बाद 8 फीट लंबी क्षैतिज सुरंग तैयार की गई जिससे टीम चेतना तक पहुंच पाई।समय ने छीनी मासूम की सांसें
रेस्क्यू ऑपरेशन के 10 वें दिन जब तक बच्ची को बाहर निकाला गया तब तक वह जिंदगी की जंग हार चुकी थी। बाहर निकलते ही फैल रही दुर्गंध ने ही अनहोनी का अंदेशा दे दिया था।चेतना को तुरंत राजकीय बीडीएम जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।प्रशासन पर उठे सवाल
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान तात्कालिक फैसले लेने की देरी और प्राथमिक उपायों की विफलता ने सरकार और प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। गांव के लोगों ने आरोप लगाया कि यदि ऑपरेशन में तेजी और बेहतर योजनाबद्धता होती तो मासूम की जान बचाई जा सकती थी। होरिजेंटल टनल खुदाई में जब टीम टारगेट से 2 फुट भटक गई तो लोगों ने दबी जुबान से विरोध शुरू किया।बाद में प्रशासन द्वारा स्थिति को संभाला गया और टनल खुदाई कार्य के वीडियो वायरल कर बताया गया की किन विपरीत परिस्थितियों में हम कार्य कर रहे हैं।बढ़ती बोरवेल दुर्घटनाएं और प्रशासन को चेता गई चेतना
यह घटना केवल चेतना की नहीं, बल्कि उन मासूम जिंदगियों की कहानी है जो प्रशासनिक उदासीनता की भेंट चढ़ती जा रही हैं। खुले बोरवेल बच्चों के लिए मौत के कुंए बनते जा रहे हैं, लेकिन इन पर रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।मासूम चेतना की मौत ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। यह घटना हमें चेताती है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी। प्रशासन को न केवल जिम्मेदारी लेनी होगी बल्कि यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी त्रासदी से बचा जा सके।,
जानिए पिछले दस दिन में क्या-क्या हुआ?
• 23 दिसम्बर: कोटपूतली के निकट किरतरपुर गांव में बोरवेल में चेतना गिर गई।• 24 दिसम्बर: चेतना को हुक से निकालने का प्रयास, हुक से खींचा, लेकिन प्रयास सफल नहीं
• 25 दिसम्बर: रेट माइनर्स की टीम को बुलाया। इस टीम ने उत्तराखंड टनल हादसे में किया था काम।
• 26 दिसम्बर: कलक्टर ने 170 फीट का गड्डा खोदा। कैमरे से देखा।
• 27 दिसम्बर: तेज बारिश के चलते रेस्क्यू कार्य में बाधा। काम भी रोका।
• 28 दिसम्बर: जवान पाइप से उतरे। सुरंग बनाई।
• 29 दिसम्बर: माइंस एक्सपर्ट बुलाए। पत्थर तोडऩे के लिए एयर कंप्रेसर मशीन भी मंगाई।
• 30 दिसम्बर: लेजर अलाइमेंट डिवाइस से सुरंग के एंगल को देखा।
• 31 दिसम्बर: सुरंग की खुदाई की दिशा गलत होने की जानकारी मिली।
• 1 जनवरी: चेतना को निकालने के भरसक प्रयास जारी हैं।
हर घटना के लिए प्रशासन अलर्ट
बुधवार सुबह करीब 11.30 बजे रेस्क्यू टीम के जवानों ने बोरवेल के आसपास फिनायल और कपूर डाला। इसके साथ ही राजकीय बीडीएम जिला अस्पताल में हलचल बढ़ गई। मौके पर पुलिस जाप्ता भी तैनात किया गया है।चेतना 23 दिसंबर को दोपहर दो बजे खेलते समय अचानक बोरवेल में गिर गई थी। हालांकि, कई कारणों से रेस्क्यू में बाधा आई और जिसके कारण रेस्क्यू में देरी हुई। कलक्टर की मानें तो ये इस साल प्रदेश के सबसे बड़ा रेस्क्यू है।
प्रदेश के सबसे बड़ा रेस्क्यू
बता दें कि चेतना 23 दिसंबर को दोपहर दो बजे खेलते समय अचानक बोरवेल में गिर गई थी। ऐसे पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन में करीब 215 घंटे लगे। हालांकि, कई कारणों से रेस्क्यू में बाधा आई और जिसके कारण रेस्क्यू में देरी हुई। कलक्टर की मानें तो ये इस साल प्रदेश के सबसे बड़ा रेस्क्यू है।-------------------------------------------
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