सांचौर जिला बहाल करने की मांग में 11वें दिन भी धरना जारी, मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन - Sanchore news
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सांचौर जिला बहाल करने की मांग में 11वें दिन भी धरना जारी, मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन - Sanchore news
पत्रकार श्रवण कुमार ओड़ जालोर
सांचोर ( 8 जनवरी 2025 ) Sanchore news राज्य सरकार द्वारा सांचौर जिला खत्म करने के फैसले के खिलाफ जनाक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। सांचौर जिला बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले बुधवार को धरना प्रदर्शन 11वें दिन भी जारी रहा। बड़ी संख्या में जुटे लोगों ने राज्य सरकार के इस निर्णय पर नाराजगी जताते हुए सांचौर जिले की पुनः बहाली की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि यह कदम सांचौर के विकास को रोकने और यहां के लोगों के साथ अन्याय करने का प्रतीक है। उनका कहना है कि सांचौर जिला भौगोलिक और जनसांख्यिकीय मानदंडों पर खरा उतरता है, इसके बावजूद इसे समाप्त करना द्वेष भावना से प्रेरित निर्णय है।
भौगोलिक दृष्टि से अन्य जिलों की तुलना में सांचौर की अहमियत:
धरने में दिए गए ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि सांचौर जिले की दूरी जालोर से 145 किमी है, जबकि अंतिम गांव आकोड़िया रणखार लगभग 250 किमी दूर है। इसके बावजूद इसे निरस्त कर दिया गया, जबकि डीग, खैरथल, और सलूंबर जैसे जिले जो सांचौर के मुकाबले भौगोलिक दृष्टि से छोटे और नजदीकी हैं, उन्हें बनाए रखा गया है:
डीग जिला भरतपुर से मात्र 35 किमी।
खैरथल जिला अलवर से मात्र 45 किमी।
सलूंबर जिला उदयपुर से मात्र 70 किमी।
धरना प्रदर्शन में वक्ताओं ने इस भेदभावपूर्ण रवैये की निंदा करते हुए कहा कि रामलुभाया कमेटी ने स्पष्ट रूप से नए जिलों के गठन के लिए आबादी और दूरी को प्राथमिकता दी थी, लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार ने बिना ठोस आधार के सांचौर को जिले की मान्यता से वंचित कर दिया।
आंदोलन में प्रमुख वक्ताओं की चेतावनी:
धरने में शामिल पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई, केसाराम मेहरा, रामावतार मांजू, सोहनलाल सारण, और सोहनलाल जानी ने चेतावनी दी कि यदि सांचौर जिले की बहाली नहीं की गई, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
धरना प्रदर्शन जारी रहेगा:
वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि जब तक सांचौर को पुनः जिला घोषित नहीं किया जाता, तब तक धरना जारी रहेगा। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने उपखंड अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और चेतावनी दी कि जनता की मांग को अनसुना करना सरकार के लिए भारी पड़ सकता है।
जनता में उबाल:
सांचौर जिले की बहाली की मांग को लेकर पूरे क्षेत्र में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। लोग इसे केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि क्षेत्र के विकास और सम्मान का मुद्दा मान रहे हैं।
सरकार को अब सांचौर के जनभावनाओं का सम्मान करते हुए शीघ्र निर्णय लेना होगा, अन्यथा यह आंदोलन राज्यव्यापी रूप ले सकता है।
इनका कहना है कि
मैं रानीवाड़ा विधानसभा से जनप्रतिनिधि हूं। यहां के लोगों की आवाज उठाना मेरा काम है। रानीवाड़ा तहसील व बागोड़ा के लोग सांचौर जिले में रहना नहीं चाहते थे। उनकी बात आगे पहुंचाने से जूते खाने की कैटेगरी में कैसे आ गए? मैंने सांचौर जिले का विरोध नहीं किया।
रतन देवासी,
विधायक रानीवाड़ा
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विधायक प्रतिद्वंद्वी होने से मैं पसंद नहीं उन्हें मैंने कहा था कि रानीवाड़ा विधायक रतन देवासी को चुनावों में जनता जूते मारेगी। मंत्री जोगाराम पटेल के अनुसार जिला रद्द करवाने को लेकर उन्होंने पत्र लिखा। मैं भी पार्टी में टिकट की दावेदारी करता हूं। इसलिए पसंद नहीं आया।
परसराम ढाका,
पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष, रानीवाड़ा
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जूते मारने की बात नहीं करनी थी
^मैंने किसी से ऐसी कोई चर्चा नहीं की। परसराम को भी ऐसी बात नहीं करनी चाहिए थी। सांचौर से रानीवाड़ा व बागोड़ा 40 किमी दूर है। लोगों को सांचौर में आसानी रहेगी। पहले जो धरने हुए वो बीजेपी का प्रायोजित कार्यक्रम था।
सुखराम विश्नोई,
पूर्व विधायक, सांचौर
JALORE NEWS
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