बिजली को लेकर सदन में तीखी बहस , सरकार न तो बिजली पर चर्चा कराना चाहती है और न प्रश्न पूछने देती : जूली - JALORE NEWS
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बिजली को लेकर सदन में तीखी बहस , सरकार न तो बिजली पर चर्चा कराना चाहती है और न प्रश्न पूछने देती : जूली - JALORE NEWS
जयपुर ( 24 मार्च 2025 ) राजस्थान विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि बिजली के लिये जनता बेहाल है और सरकार अपनी हठधर्मिता पर कायम है, यह लोकतंत्र में दुखद है। जूली ने सरकार पर स्पष्ट आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार विद्युत उत्पादन में फेल हो गई है। प्रदेश में बिजली को लेकर हाहाकार मचने वाला है और सरकार आंख मूंदे बैठी है।
प्रतिपक्ष के नेता जूली ने बताया कि आज सदन में बिजली पर पूछे गये प्रश्न पर सरकार द्वारा सन्तोषजनक जवाब नहीं आने पर उनके द्वारा पूरक प्रश्न पूछे जाने पर उन्हें अनुमति नहीं दी गई। नियमों का हवाला देकर प्रतिपक्ष को दबाने का प्रयास किया गया, इस पर जूली ने कहा कि बिजली किसान, घरेलू उपभोक्ता और औद्योगिक इकाइयों के लिये बहुत महत्वपूर्ण विषय है। सरकार बिजली की व्यवस्था करने में विफल रही है और कई बार आग्रह करने पर पर भी इस चर्चा तक कराने को तैयार नहीं है और अब अनुपूरक प्रश्न पूछने पर भी नियमों का हवाला देकर पाबंदी लगाना चाहती है। उन्होंने कहा कि आज विधान सभा सत्र का अन्तिम दिन है और सरकार प्रदेश की जनता से जुडे सबसे महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा से बचकर भागने की तैयारी कर चुकी है, ऐसे में जनता की परेशानी का क्या समाधान है।
प्रतिपक्ष के नेता जूली ने कहा कि जनभावना की सदन में अभिव्यक्ति का अधिकार हमें संविधान और प्रदेश की जनता ने दिया है, ऐसे में सरकार यदि भाग भी जाएगी तो हम प्रदेश की जनता के हित में हार नहीं मानेंगे और बिजली के मुद्दे पर सरकार को हर मोर्चे पर घरेंगे।
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कोचिंग सेन्टरों पर लगाम लगाने के लिये लाया गया विधेयक एक अधूरा प्रयासः जूली - The bill brought to curb coaching centres is an incomplete effort: Julie
राजस्थान विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने विधान सभा में राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक, 2025 पर बोलते हुए कहा कि कोचिंग सेन्टर में होने वाली छात्र आत्महत्याएं हम सभी के लिये चिन्ता का विषय है। एक गरीब अभिभावक बड़ी आशा और उम्मीद के साथ कर्जा लेकर अपने बच्चों को उज्ज्वल भविष्य के लिये कोचिंग सेन्टर में प्रवेश दिलाते हैं, लेकिन जब उनके लाडले बच्चे आत्महत्या कर लेते हें, तो उनके अभिभावकों का जीवन अंधकारमय हो जाता है। कई बार तो आत्महत्या की घटना मन को विचलित कर देती है।
प्रतिपक्ष के नेता जूली ने कहा कि सदन में आज एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा हो रही है, लेकिन सरकार इस पर कितना गम्भीर है, यह इससे साफ पता लगता है कि यह बिल बिना सोचे समझे और बिना अध्ययन के लाया गया है। इस बिल को पढने पर ऐसा लगता है कि किसी 5वीं कक्षा के छात्र ने कोई निबंध लिख दिया हो।
प्रतिपक्ष के नेता जूली ने कहा कि कोचिंग सेन्टरों की मनमानी और लूट से आमजन को बचाने के लिये ही हमारी सरकार द्वारा अनुप्रति योजना लाई गई थी। स्वयंसेवी संस्था आई. सी.-3 द्वारा जारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि देश में पिछले एक दशक में युवाओं की आबादी 10 लाख घटी है, लेकिन छात्र आत्महत्याओं की घटना 6654 से बढकर 13044 हो गई। इसे यदि लिंगानुपात देखें तो पुरूष छात्रों की आत्महत्या में 50 प्रतिशत और महिला छात्राओं में 61 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले पांच वर्षों में पुरूष और महिला छात्र आत्महत्या की घटना में 5 प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई है। जूली ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में 87 बच्चों ने आत्महत्या की है, जिनमें 60-62 बच्चे तो केवल कोटा के ही हैं। उन्होंने बताया कि जनवरी, 2025 में एक माह में ही 6 बच्चों ने आत्महत्या की है।
प्रतिपक्ष के नेता जूली ने कहा कि स्कूल और कोचिंग सेन्टरों में अध्ययनरत बच्चों पर किये गये रिसर्च में 12 प्रतिशत स्कूल और 24 प्रतिशत कोचिंग सेन्टर के बच्चों में डिप्रेशन पाया गया है। जूली ने तंज कसते हुए कहा कि आप हमेशा डबल इंजन की सरकार की बात करते हो, लेकिन इस विधेयक को लाने में आपने न तो केन्द्र की सरकार की गाइड लाईन की पालना की है और ना ही इस सम्बन्ध में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों पर अमल किया गया है। जूली ने केन्द्र सरकार की गाइड लाईन का हवाला देते हुए बताया कि केन्द्र के दिशा-निर्देश में कोचिंग सेन्टर पर पढने वाले बच्चों की आयु 16 वर्ष तय की है, जबकि इस विधेयक में इसका उल्लेख नहीं किया गया है। इसके साथ ही जूली ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देश में यह उल्लेख किया गया है कि एक क्लास रूम में 40 से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए और 25 बच्चों पर एक शिक्षक का अनुपात होना चाहिए, लेकिन इस विधेयक में इस बारे में कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। उन्होंने बताया कि इस विधेयक को लाने में सरकार ने संविधान के आर्टिकल-14 व 15 को भी अनदेखा किया गया है।
प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने बताया कि इस विधेयक के उद्धेश्य व कारणों में नीट, आई आई टी आदि का जिक्र तो है, लेकिन अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं को नहीं, इस प्रकार यह विधेयक उद्धेश्यों पर खरा नहीं उतरता। उन्होंने कहा कि यह विधेयक बिना सोचे-समझे और अध्ययन किये बिना कोचिंग सेन्टर वालों की इच्छा के अनुरूप लाया गया है।
जूली ने सदन में बोलते हुए कहा कि इस बिल में बायोमैट्रिक उपस्थिति व गरीब समुदाय और दिव्यांग बच्चों के लिये सरकार द्वारा अपनाये जाने वाले प्रावधानों का उल्लेख नहीं किया गया है। जूली ने कहा कि कोचिंग सेन्टर में होने वाली आत्महत्या पर लगाम लगाने के लिये उन पर शास्ति का भी प्रावधान रखा जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कोचिंग सेन्टर द्वारा पंजीकरण की किसी भी शर्त या सामान्य शर्त का उल्लंघन किये जाने पर बोलते हुए कहा कि कोचिंग सेन्टर द्वारा पहली बार अपराध करने पर 25,000, दूसरी बार 1,00,000 और उसके बाद अपराध करने पर संस्था का पंजीकरण रद्द कर देने का प्रावधान इस विधेयक में लाया जाना चाहिए।
प्रतिपक्ष के नेता जूली ने कहा कि यह बिल सरकार और कोचिंग सेन्टर वालों की मिलीभगत से लाया गया है। इससे प्रदेश की जनता का कोई भला होने वाला नहीं है, इसलिए इसे प्रवर समिति को सौंप दिया जाना चाहिए।
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