बृहस्पति का ‘अतिचारी’ गोचर 2032 तक चलेगा : शास्त्री - BHINMAL NEWS
![]() |
Jupiter-s-Atichari-transit-will-last-till-2032-Shastri |
बृहस्पति का ‘अतिचारी’ गोचर 2032 तक चलेगा : शास्त्री - BHINMAL NEWS
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 18 अप्रैल 2025 ) BHINMAL NEWS जब कोई ग्रह अपनी सामान्य गति से तेज चलता है, तो यह कोई शुभ बात नहीं है लेकिन यह हमेशा बुरा भी नहीं होता है।आमतौर पर इस स्थिति में कोई भी ग्रह अचानक, अस्थिर, असामान्य या अप्रत्याशित परिणाम दे सकता है।
शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि वैदिक ज्योतिष में अतिचारी बृहस्पति का अर्थ है जब गुरु ग्रह किसी राशि में अपनी सामान्य गति से ज्यादा तेजी से गोचर करता है। सामान्य तौर पर बृहस्पति को एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने में 12 से 13 महीने का समय लगता है। हालांकि, जब बृहस्पति की गति तेज हो जाती है, तब यह जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे कि करियर, प्रेम जीवन और विकास पर गहरा एवं महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। अतिचारी का मतलब है ‘बहुत तेज’ या ‘त्वरित’।
बृहस्पति बुद्धि, समझ और सौभाग्य का प्रतीक है इसलिए जब यह तेज गति से चलता है, तो इसके त्वरित और गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं। इस समय बृहस्पति ज्यादा तेज गति से चल रहे हैं जिस वजह से बृहस्पति अपने प्राकृतिक कारकत्व में कमी लाएंगे। हालांकि, इस तेज गति से चलने की वजह से वह आपको गलत जानकारी दे सकता है जिससे आप गलत तथ्यों पर भरोसा कर के ऐसे फैसले ले सकते हैं जो आप सामान्य परिस्थिति में नहीं लेते। यह गोचर प्रगति, सुख-सुविधा और संपन्नता प्रदान करेगा।
नागरिक कल्याण मंच के अध्यक्ष माणकमल भंडारी ने बताया कि जब भी ऐसी घटना होती है, तब दुनिया किसी ऐसी बड़ी आपदा का सामना करती है या उसे पार करती है जिसका प्रभाव पृथ्वी पर रहने वाले हर जीव-जंतु पर पड़ता है। पिछली शताब्दियों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब बृहस्पति ने अतिचारी गति में गोचर किया है ।
इस दौरान भारत और दुनियाभर में इतिहास की कई घटनाएं घटीं। जब बृहस्पति किसी भी राशि में अतिचारी होता है, तब यह अशांति लेकर आता है और ऐसे निर्णय दिलवाता है जो किसी व्यक्ति को खुश नहीं कर सकते हैं। बृहस्पति एक शुभ ग्रह है और इसके तेज गति से चलने से कई बार उथल-पुथल और अस्थिरता आती है। वर्तमान समय में दुनिया के पूर्वी और पश्चिमी देशों के मध्य संघर्ष चल रहा है और यह वैश्चिक स्तर पर एक बड़े असंतुलन के आने का संकेत दे रहा है। जब कुरूक्षेत्र में ऐतिहासिक महाभारत युद्ध हुआ था, तब बृहस्पति अतिचारी थे। उस समय कौरवों और पांडवों के बीच जबरदस्त रक्तपात के बाद पांडवों ने सत्ता हासिल कर बड़ा परिवर्तन किया था।
वहीं द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी कई महान ज्योतिषियों ने बृहस्पति को अतिचारी देखा था और दुनिया पर मंडरा रहे बड़े खतरे की भविष्यवाणी की थी। उस समय सेना और आम नागरियों को मिलाकर कुल 75 मिलियन लोग मारे गए थे। 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता एक और बड़ी घटना थी। यह भी सत्ता में बड़ा बदलाव था और इस बार भी खूब रक्तपात हुआ था। आश्चर्य की बात है कि जब ब्रिटिश उपनिवेश से भारत की स्वतंत्रता की घोषणा के बाद देश के नेताओं ने सत्ता संभाली। आज़ादी के लिए लंबी और थका देने वाली जंग में कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की बाज़ी लगाई और भारत को स्वतंत्र करवाया।
त्रिवेदी ने बताया कि 2020 में बृहस्पति के फिर से तेज गति से चलने की वजह से दुनिया को कोरोना वायरस जैसी महामारी का प्रकोप झेलना पड़ा। इस महामारी से दुनियाभर में कई लोगों की जान गई और वैश्विक अर्थव्यवस्था में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। हालांकि कोविड-19 को राहु-केतु की चाल और प्रभाव से भी जोड़कर देखा जाता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि कोरोना वायरस को बहुत ही कम समय में तेजी से फैलाने में बृहस्पति की भी अहम भूमिका रही है। बृृहस्पति का स्वभाव विस्तार करने का है और यह बहुत तेजी से चीज़ों को बढ़ाता है। इस बार बृहस्पति की तेज गति ने इस ऊर्जा को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया।
वर्तमान की स्थिति और ऐसे क्षेत्र जिन पर ध्यान देना चाहिए। बृहस्पति की अतिचारी अवधि खासतौर पर 2025 से लेकर 2032 तक निजी जीवन, करियर और दुनियाभर में बड़े बदलाव लेकर आएगी। वर्तमान में चल रहे युद्ध, संघर्ष और संकट, यह दर्शाते हैं कि इन कुछ वर्षों में वैश्विक स्थिति में कितनी तेजी से बदलाव आया है और इन बदलावों के प्रभाव अब और अधिक स्पष्ट नज़र आएंगे। यदि वैश्विक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण से देखें तो तीन प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान देना होगा।
सरकार, अर्थव्यवस्था एवं धर्म बृहस्पति की तेज गति दुनियाभर में कई युद्धों को तेज करने का काम कर सकती है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा है और फरवरी 2022 से ही युद्ध चल रह है। वहीं दूसरी ओर, इज़राइल अपनी ही परेशानियों से जूझ रहा है। वहीं 29 मार्च 2025 को शनि के मीन राशि में प्रवेश करने के बाद 30 मार्च 2025 को छह ग्रहों की मीन राशि में युति हो चुकी है। यह स्थिति अतिचारी बृहस्पति के साथ मिलकर दुनिया को एक बड़ी आर्थिक मंदी की ओर धकेल सकती है जो कि 1929 की तरह ही भयानक हो सकती है। इस चरण के गुज़र जाने के बाद दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं पूरी तरह से बिखर सकती हैं । इन देशों को इससे उबरने में वर्षों का समय लग सकता है
और भारत भी इनमें से एक होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब शनि और राहु की युति होती है, तब यह लोगों और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के लिए वित्तीय संकट का समय होता है। जब शनि बृहस्पति की किसी भी राशि में गोचर करता है, तब वैश्विक स्तर पर ‘दुर्भिक्षा’ या मंदी की स्थिति बन सकती है क्योंकि बृहस्पति धन का कारक हैं और शनि दरिद्रता का कारक हैं। इसलिए जब शनि बृहस्पति की राशि में होता है, तो धन के मामले में हमेशा असंतुलन की स्थिति पैदा होती है। 2025 की शुरुआत से ही विभिन्न धर्मों और संस्कृति के लोग अपनी परंपराओं एवं संस्कारों को बनाए रखने को लेकर अधिक कट्टर और दृढ़ हो सकते हैं।
चाहे वह भारत हो, अमेरिका हो या फिर कोई अन्य देश हो, लोग अपने धर्म को थोपने में अधिक कठोरता दिखा सकते हैं या फिर नौकरियों और सेवाओं आदि में विदेशियों की तुलना में अपने समुदाय के लोगों को प्राथमिकता देने की प्रवृत्ति दिख सकती है।
JALORE NEWS
खबर और विज्ञापन के लिए सम्पर्क करें
एक टिप्पणी भेजें