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संघ को बदनाम करने की साजिश कर रही है गहलोत सरकार -देवजी एम पटेल - JALORE NEWS
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राजस्थान कांग्रेस सरकार ने अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए कर रही है जनता को गुमराह-जोगेश्वर गर्ग - Rajasthan Congress government is misleading the public to hide its failures- Jogeshwar Garg
जालोर ( 7 जुलाई 2021 ) जालौर सिरोही सांसद देवजी एम पटेल जालोर विधायक जोगेश्वर गर्ग ने पत्रकारों को प्रेस वार्ता के माध्यम से संबोधित किया।
जिलामीडिया प्रभारी अधिवक्ता सुरेश सोलंकी ने बताया कि प्रेस वार्ता में सांसद देवजी एम पटेल ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की फितरत में है कि ACB व SOG का बेजा इस्तेमाल कर अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को व जिन संगठनों से उन्हें सामाजिक और राजनीति भय है , उन पर निशाना साधने रहे हैं । हाल ही में FIR No- 229/2021 जो ACB ने दर्ज की है उसकी बुनियाद में भी राजनीतिक प्रतिशोध व ACB के बेजा इस्तेमाल कर एक राष्ट्रवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS ) जो लगभग एक शताब्दी से राष्ट्र निर्माण व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में लगा है तथा वह संगठन जिसका इतिहास देश में आई किसी भी विपदा के समय में देशवासियों की सेवा और सहायता का है , उस राष्ट्रवादी संगठन को बदनाम करने का षड्यंत्र है ।
हाल ही में वैश्विक महामारी कोरोना की विपदा में पूरे देश ने देखा कि अपने प्राणों की परवाह ना करते हुए लाखों स्वयंसेवक देशवासियों की मदद में जुटे थे । ऐसे राष्ट्रवादी संगठन पर झूठे व तथ्यहीन आरोप लगाकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने दिल्ली में बैठे आकाओं को खुश करने व नबंर बढ़ाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं । इतिहास पर गौर किया जाए तो कांग्रेस की राजनीतिक संस्कृति RSS जैसे सेवाभावी संगठन पर तरह - तरह के आरोप लगकार उसे बदनाम करने की रही है । लेकिन हर बार कांग्रेस पार्टी व उसके नेताओं को मुंह की खानी पड़ी है और इस बार भी RSS को बदनाम करने की उनकी साजिश सफल नहीं होगी और जनता इसका करारा जवाब देगी । यह आश्चर्य की बात है कि FIR No- 229/21 में ना कोई परिवादी है , ना कोई शिकायतकर्ता है और ना ही एक भी रुपये के लेनदेन का कोई रिकार्ड मिला है और ना ही वो प्रामाणिक आधार है जिसके आधार पर तथाकथित कूटरचित , फर्जी व झूठे आडियो - वीडियो को बनाया गया था । यह पहला मामला होगा जिसमें सीआरपीसी की धारा 41 ( A ) के अन्तर्गत आपराधिक मुकदमा दर्ज करने के लिए निर्धारित तीन कम्पोनेंट ( तत्व ) में से एक भी कम्पोनेंट नहीं है । ना तो किसी व्यक्ति के विरुद्ध रीजनेबल ( उपयुक्त ) परिवाद किसी पीड़ित व्यक्ति ने प्रस्तुत किया है ना ही किसी व्यक्ति ने विश्वसनीय सूचना दी है तथा ना ही युक्तियुक्ति संदेह का कोई अस्तित्व है ऐसे में कानून को धता बताकर FIR दर्ज कर Rss को निशाना बनाने जैसा अनैतिक कार्य का षड्यंत्र का तानाबाना बुना गया है जिसका हम पुरजोर विरोध करेंगे ।
जोगेश्वर गर्ग ने बताया कि आश्चर्य है कि BVG कंपनी के प्रोजेक्ट हेड ओमकार स्प्रे ने तथाकथित कूटरचित वीडियो जारी होने के तुरंत बाद ही जून 2021 को सार्वजनिक तौर पर कहा था कि उसकी संस्था का किसी व्यक्ति या अन्य संस्था के साथ लेनदेन की कोई बात नहीं हुई तथा ना कोई लेनदेन हुआ उसके पश्चात् भी मुकदमा दायर किया जाना कानूनी प्रावधानों के बिल्कुल विपरीत है ।
यह पहला अवसर है जब अप्रमाणिक व स्त्रोत मालून नहीं होने के पश्चात् भी कूटरचित वीडियो को राजस्थान FSL में भेजने पर उनकी पोर्ट में डिस्कंटीन्यू व अनकनक्लूसिव यानी तोड़ने - मरोड़ने की स्पष्ट रिपोर्ट आने के पश्चात् प्रारंभिक जांच को FIR में बदलने के लिए इस वीडियो को जांच के लिए तेलंगाना FSL में टेस्टिंग के लिए भेजा गया जबकि प्रेक्टिस यह है कि स्टेट FSL की रिपोर्ट पर दूसरी अरुपिनियन देने के लिए सेंट्रल FSL में भेजी जानी चाहिए थी लेकिन सरकार ने षडयंत्र के तहत 10 अधिकारी विशेष को तेलंगाना भेजकर स्वेच्छानुसार रिपोर्ट दर्ज करवाना सरकार की बदनीयती को प्रदर्शित करता है । उसके पश्चात भी एसीबी द्वारा मुख्यमंत्री के इशारे पर मुकदमा दर्ज कर राजनैतिक तुल बनाना राजस्थान की पुनीत संस्कृति में एक काला अध्याय जोड़ने का कार्य किया है । यह कानून व्यवस्था के साथ घिनौना मजाक है । जिसमें एफआईआर नंबर 229/21 दर्ज हुई है । जिसमें ना कोई परिवादी है और न कोई शिकायतकर्ता है और ना ही कोई यह कह रहा है ना कोई अनुचित लाभ देने वाला है और ना ही अनुचित लाभ लेने वाला है ना कोई गवाह है । पिफर भी राजनैतिक स्वार्थ के लिए सरकार ने मुकदमा दर्ज किया है ।
यह पहला मामला नहीं जबकृजब गहलोत सरकार सत्ता में आए हैं एसीबी का बेजा इस्तेमाल करते रहे हैं : एकल पट्टा प्रकरण में एफआईआर नंबर 422/2014 एबीसी ने दर्ज की और इसमें मुख्य आरोपी जीएस संधू जो लगभग तीन माह जेल में रहे को हाल में मुख्य सचिव स्तर की सुविधाएं देकर स्थानिय निकाय विभाग सलाहकार नियुक्त किया गया तथा सक्षम न्यायालय में जीएस संधू निष्काम दिखाकर ओमककार सैनी के विरुद्ध मुकदमा वापस से के लिए हाल ही में आवेदन प्रस्तुत कर दिया है । राज्य के परिवहन विभाग में परिवहन निरक्षक वाहन चालकों से अवैध रूप से वसूली करते हुए पकड़े गए । एसीबी की जांच में खुलासा हुआ कि यह लगभग 600 करोड़ रूपये की अवैध वसूली थी ।
लेकिन पूरे सबूत होने के बावजूद विभाग के मंत्री की मिली भगत की जांच नही हुई । इसी प्रकार गरीबों के हिस्से का अनाज में घोटाला करने वाली निर्मला मीणा जिन पर सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय में राजिस्टार के पद पर रहते हुए 2 करोड़ रुपए के आरोप में एफआईआर तत्कालीन डीएसपी भूपेंद्र यादव ने दर्ज करवाई थी के जमानपपर रिहा होने के पश्चात पुनः बहाल कर वर्तमान गहलोत सरकार के पूर्ववर्ती कार्यकाल में जोधपुर जिले में 115 अस्सिटेंट प्रोफेसर की तथाकथित फर्जी भर्ती हुई थी । जिसमें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ तथा तत्कालीन राज्यपाल ने भर्ती दिनांक के पूर्व कुलपति दशोरा की कमेटी बनाई जिन्होंने 34 अभ्यर्थियों का योग्यता नहीं होने के पश्चात भी अनियमित भर्ती किए जाने की जांच प्रस्तुत की ।
आडियो वीडियो को जांच के लिए तेलगांना एफएसएल में टेस्टिंग के लिए भेजा गया । जबकि प्रेक्टिस यह है कि स्टेट एफएसएल की रिपोर्ट पर दूसरी ओपिनियन लेने के लिए केंद्र की एफएसएल में भेजी जानी चाहिए थी । षड़यंत्र के तहत अधिकारी विशेष को तेलगांना भेजकर फर्जी । मनगढंत असत्य रिपोर्ट को अपने अनुसार आधार बनाकर प्रस्तुत किया गया है । सरकार द्वारा सरकार के अंर्तद्वंद के समय में मुख्यमंत्री के ओएसडी द्वारा कूटरचित आडियो वीडियो के आधार पर सरकार मुख्य सचेतक महोदय ने एफआईआर नंबर 47/20 दिनांक 10.7.20 दर्ज करवाई थी । जिसके अंतर्गत 13/7/20 को राज्य के उपमुख्यमंत्री सहित 16 विधायकों को नोटिस भी जारी किया गया था । आडियो वीडियो के साक्ष्य पर दप्फ्तर दाखिल किया गया था । एफआईआर नंबर 48/20 दिनांक 17.7.20 को सत्तारूढ विधायक भंवर लाल शर्मा एफआईआर नंबर 49/20 दिनांक 17/7/20 को तत्समय मंत्री विश्वेंद्र सिंह एफआईआर नंबर 129/20 इन सभी में आडियो वीडियो को पर्याप्त साक्ष्य मानकर न्यायालय में एफआईआर प्रस्तुत करने वाली सरकार अब नए आवरण को ओढ़कर 229/20 दर्ज कराना हास्यापद है । अप्रैल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान जयपुर की पूर्व मेयर एवं कांग्रेस से लोकसभा प्रत्याशी रही श्रीमती ज्योति खण्डेलवाल का स्टिंग ऑपरेशन हुआ था जिसमें चुनाव में 10 करोड़ रुपये की एवज में सरकारी टेंडर दिलाने की बात करते हुए साफ दिखाई दी लेकिन कांग्रेस सरकार ने उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की । बीवीजी कम्पनी को फायदा पहुंचाने की कोशिश कौन कर रहा है उसका प्रमाण तब ही सामने आ गया जब जयपुर ग्रेटर की मेयर श्रीमती सौम्या गुर्जर को निलंबित किया गया तो उसके तुरंत बाद ही बीवीजी कम्पनी को 8 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया । यह पहला प्रकरण होगा जब सरकार अपने षड़यंत्र को अंजाम तक पहुंचाने के लिए बीवीजी कम्पनी के जिन अधिकारी ओमकार सप्रे को गिरफ्तार किया है ।
उसमें इस वीडियो के सार्वजनिक होने के साथ ही आधिकारिक बयान जारी कर कह दिया था कि उसका या उसयकी कम्पनी का इस प्रकरण कूटरचित वीडियो व तथा कथित प्रकरण से दूर - दूर तक कोई लेना देना नहीं है । प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय परिषद सदस्य रविंद्रसिंह बालावत जिलाप्रमुख राजेश कुमार जिलामीडिया प्रभारी अधिवक्ता सुरेश सोलंकी उपसभापति अम्बालाल व्यास नगर महामंत्री व पार्षद दिनेश महावर पूर्व प्रधान रामप्रकाश चौधरी ओबीसी जिलामहामंत्री बाबुदान मुकेश राजपुरोहित महेंद्रसिंह झाब नाथूसिंह तीखी भवरसिंह शिवनाथ सिंह सहित कहि कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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