योगी आदित्यनाथ आ सकते है जालोर सिरे मंदिर पर होने वाले महारुद्र यज्ञ में
![]() |
Maharudra yagya jalore yogi adityanath |
44 साल बाद फिर से धन्य होगी जालोर की धरा, यह केवल दूसरा महारुद्र यज्ञ 30 नवम्बर 2022 को होगा आयोजित
जालोर सिरे मंदिर पर आयोजित Maharudra Yagya एवं पीर श्री शांतिनाथजी महाराज के तृतीय भण्डारा महोत्सव की तैयारिया जोर शोर से चल रही है, सिरे मंदिर चर्तुमास सेवा समिति की देखरेख में कार्य किया जा रहा है, जालोर नाथजी की फौज के युवाओं द्वारा शहर के प्रतिछानो पर जाकर पीले चावल देकर आमंत्रण दिया गया, सिरेमन्दिर भैरू नाथजी अखाड़ा जालोर के गादीपति पीर श्री गंगानाथजी महाराज ने सानिध्य में महोत्सव का आगाज 30 नवम्बर को शोभायात्रा से शुरू होगा, शोभायात्रा सुबह 8 बजे भैरुनाथजी अखाड़ा से रवाना होकर सिरे मंदिर जाकर समाप्त होगी ।
कार्यक्रम के तहत 30 नवम्बर को शोभायात्रा व सुबह व शाम को भोजन प्रसादी के साथ ही ग्रह शांति महारुद्र यज्ञ प्रारंभ होगा, एक दिसम्बर को पंचांग पूजन, महारुद्र यज्ञआवर्तन, सांयकालीन आरती, एवं गुजरात, आबूराज, सिरोही एवं साचौर मंडल के महंतो एवं साधू संतो का पर्दापण होगा,
02 दिसम्बर को महारुद्र आवर्तन, जालोर, बाडमेर व नाथ सम्पद्राय महत पीठाधीश कुटियाधारी एवं खटदर्शन योगेश्वरों का आगमन होगा, तीन दिसम्बर को महारुद्र में आवर्तन व पंचाग पूजन, चार दिसम्बर को पंचाग पूजन, महारुद्र आवर्तन दुर्गा हवन देवताओं के लिए आहूति एवं आरती होगी, अंतिम दिन फले चुन्दड़ी, पूणोति एव महाप्रसादी की जाएगी ।
देशभर से साधु संत लेंगे भाग Maharudra Yagya In Jalore
इस महामहोत्सव में देश के प्रमुख महंतों के साथ ही प्रमुख तीर्थो एवं नाथ सम्पदाय के साधु-संत शिरकत करेंगे: यहां गोरक्षनाथ के महंत व उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी श्री आदित्य नाथजी महाराज, कदरी मठ के राजा निर्मल नाथजी महाराज एवं पूर्व राजा संध्याईनाथजी महाराज सहित देशभर के संतो का आगमन होगा ।
प्रदर्शनी रहेगी आकर्षण का केन्द्र | Shanti Nath JI Maharaj
सिरेमन्दिर महोत्सव में कृत्रिम गुफा बनाई जा एगी जिसमें यहां तप करने वाले योगेश्वर श्री जलन्धर नाथजी महाराज से पीर श्री शांतिनाथजी महाराज तक के संतो की मूर्तियां एवं उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं की प्रदर्शनी होगी ।
पार्किंग सुविधा भी उपलब्ध Maharudra Yagya In Jalore
यात्रियों के लिए पार्किंग की व्यवस्था तहलटी पर की गई है, तलहटी से आगे हनुमान मंदिर तक वाहन की सुविधा कमेटी की ओर से रहेगी, हनुमान मंदिर तक यात्रा करने के बाद यात्री पैदल चढाई करेंगे, यहां श्रद्धालूओ हेतू रात्री में पूरे रास्ते में रोशनी की व्यवस्था की गई है ।
महारुद्र में देंगे आहुतियां
यहां आयोजित महारुद्र यज्ञ में लाभार्थी परिवार पण्डित प्यारेलाल जी के आचार्यत्व में यज्ञ में आहूतिया देंगे, महारुद्र यज्ञ में साधू संतो का सानिध्य रहेगा ।
महारूद्र यज्ञ में यजमान देगे आहुतियां
महारूद्र यज्ञ आचार्य पंडित प्यारेलाल शर्मा के निर्देशन में काशी एवं जालोर के प्रख्यात विद्वान पंडितो की उपस्थिति में सम्पन्न होगा। यज्ञ के प्रथम दिन 30 नवम्बर को प्रातः 8 बजे से गणेश गौरी मातृका पूजन के साथ मंडप प्रवेश होगा। स्थापित देवी देवताओं का पूजन, मंडप पूजन होगा। वही आचार्य, ब्रह्मा ऋत्विज वरण, अग्नि स्थापन, गृह शांति महारूद्र यज्ञ प्रारम्भ होगा। 1 से 3 दिसम्बर तक प्रतिदिन प्रातः 8 बजे से पंचाग पूजन महारूद्र यज्ञ आर्वतन होगा। 4 दिसम्बर को प्रातः 8 बजे पंचाग पूजन, महारूद्र आवर्तन के साथ दुर्गा हवन, स्थापित देवी देवताओ के लिए आहुतियां दी जायेगी। 5 दिसम्बर को प्रातः8 बजे से पंचाग पूजन, उत्तर पूजन, बलिदान, पूर्णाहुति, मंडपांग देवता विसर्जन व महाप्रसादी के साथ यज्ञ कार्यक्रम का समापन होगा। वही कार्यक्रम के दौरान प्रतिदिन सायंकालीन 6 बजे महाआरती का आयोजन होगा। महारूद्र यज्ञ का आयोजन करने से सृष्टि पर आई विपदा समाप्त हो जाती है। वही यज्ञ से मानव जीवन व पशु पक्षियों को विभिन्न बीमारी के विनाश से बचाने के लिए, लोक कल्याण की भावना से महारूद्र का आयोजन किया जाता है। यज्ञ के आयोजन से स्वास्थ्यवर्धन, पर्यावरण को शुद्व करने, मनुष्य के आरोग्यता, विद्या, कीर्ति, पराक्रम, धन - धान्य एवं समस्त एश्वर्य की उपलब्धि होती है। महारूद्र यज्ञ में दो लाख उन्नीस हजार एक सौ इक्तीस आहुतियां होती है।
5 दिसम्बर को होगा फले चुन्दडी का आयोजन
पीर शांतिनाथ महाराज के तृतीय भण्डारा में 30 नवम्बर से 4 दिसम्बर तक नवकारसी भोजन प्रसादी का आयोजन सिरे मंदिर धाम पर होगा। वही 5 दिसम्बर को फले चुन्दडी का आयोजन होगा। सिरे मंदिर धाम पर छह दिन से जालोर की धरा धर्ममय नजर आयेगी। वही साधु संतो के आगमन के साथ महारूद्र यज्ञ के मंत्रोच्चार से कणियागिरी पर्वत भी गुजंयमान होगा।
जालोर की धरा पर 44 वर्ष बाद होगा महारूद्र यज्ञ : जालोर की धरा पर करीब 44 वर्ष बाद एतिहासिक महारूद्र यज्ञ का आयोजन होने जा रहा है। यज्ञ का साक्षी बनने के लिए हर कोई उत्साहित नजर आ रहा है। ब्रह्मलीन पीर शांतिनाथ महाराज ने 10 अप्रैल 1978 से 17 अप्रैल 1978 तक आठ दिवसीय महारूद्र यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ कार्यक्रम के दौरान सिरे मंदिर स्थित रत्नेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्वार कर पुर्न प्रतिष्ठा व स्वर्ण कलश दण्ड, ध्वजाधिरोहण किया। पीर महाराज द्वारा आज से करीब 44 वर्ष पूर्व करवाये गये यज्ञ के बाद उनके शिष्य पीर गंगानाथ महाराज द्वारा उनका अनुसरण करते हुए जनकल्याण की भावना से महारूद्र यज्ञ का आयोजन करवाया जा रहा है।
एक टिप्पणी भेजें