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मुख्यपृष्ठ Rajasthan News गहलोत और सचिन पायलट में असल लड़ाई की वजह भी सीएम पद ही है, जिसके संकेत एक बार फिर दिखने लगे हैं - JALORE NEWS
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गहलोत और सचिन पायलट में असल लड़ाई की वजह भी सीएम पद ही है, जिसके संकेत एक बार फिर दिखने लगे हैं - JALORE NEWS

इस बार पूरी तैयारी में नजर आ रहे हैं सचिन पायलट, वह कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्रों में अगले पांच दिन किसान सम्मेलन कर अपनी ताकत दिखा रहे हैं
Shravan Kumar
Shravan Kumar
16 जन॰, 2023 0 0
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The CM post is also the reason for the real fight between Gehlot and Sachin Pilot.
The-CM-post-is-also-the-reason-for-the-real-fight-between-Gehlot-and-Sachin-Pilot.

गहलोत और सचिन पायलट में असल लड़ाई की वजह भी सीएम पद ही है, जिसके संकेत एक बार फिर दिखने लगे हैं - JALORE NEWS 

भागीरथ सिंह शेखावत लाडनूं

  नागौर ( 16 जनवरी 2023 ) इस बार पूरी तैयारी में नजर आ रहे हैं सचिन पायलट, वह कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्रों में अगले पांच दिन किसान सम्मेलन कर अपनी ताकत दिखा रहे हैं. खास बात ये है कि पार्टी की तरफ से घोषित कार्यक्रम नहीं है. ऐसे में इसे सीधे-सीधे पायलट के शक्तिप्रदर्शन से जोड़कर देखा जा रहा है. सोमवार को नागौर से परबतसर से उन्होंने इसकी शुरुआत कर दी है. मगर बड़ा सवाल है कि क्या किसानों का साथ सचिन को अगले चुनाव में कांग्रेस का पायलट बना पाएगी?

धैर्य जवाब दे रहा या वजह कुछ और…

राजस्थान में चुनाव में 10 माह से कम समय बचा है, ऐसे में पायलट गुट का धैर्य जवाब दे रहा है. दरअसल पायलट गुट के नेताओं का मानना है कि चुनाव में समय कम है, ऐसे में जो भी फैसला होना है, उसे जल्द से जल्द लिया जाना चाहिए, ताकि नई सरकार को काम करने के लिए समय मिल सके. इसके अलावा आलाकमान लगातार उन्हें आश्वासन दे रहा है, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है. इतना ही नहीं सितंबर में पार्टी के खिलाफ बगावत करने वाले नेताओं ने भी अभी तक कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं दिया है. इसे लेकर पायलट गुट नाराज भी है. पिछले सोमवार को भी कांग्रेस प्रदेश कमेटी की बैठक में पायलट ने दूरी बना रखी थी.

सियासी हवा भांपना मकसद - The purpose of sensing the political wind

राजस्थान का ट्रेंड हिमाचल प्रदेश की तरह ही है, यहां की जनता भी हर पांच साल बाद सरकार बदलने में विश्वास रखती है, राजस्थान में कांग्रेस के खिलाफ एंटी इंकमबेंसी और बेरोजगारी समेत कई मुद्दे हैं जो अगले चुनाव में उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसके अलावा राजस्थान का ट्रेंड भी भाजपा के पक्ष में हैं, ऐसे में सचिन पायलट की कोशिश है कि चुनाव से पहले ही सियासी हवा भांप ली जाए, इसीलिए संभावित चुनाव से तकरीबन दस महीने पहले ही सचिन पायलट अपने समर्थकों के साथ जमीन पर उतर गए हैं. सोमवार से उनकी पांच सभाएं होने जा रही हैं. इन्हीं किसान सम्मेलन कहा जा रहा है. दरअसल इस समय राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, अगर चुनावी गणित ट्रेंड के हिसाब से चला तो सरकार भाजपा की आ सकती है, ऐसे में सचिन पायलट को कांग्रेस का चेहरा बना भी दिया जाए तो उनके राजनीतिक करियर को नुकसान ही होगा.

क्या सही टाइमिंग है..?

सचिन पायलट ने सोमवार को नागौर के परबतसर से पांच दिनी किसान सम्मेलन का आगाज कर दिया. वह हनुमानगढ़, झुंझुनूं, पाली और जयपुर में भी किसान सम्मेलन करेंगे. मगर उनकी टाइमिंग को लेकर सवाल उठ रहे हैं. दरअसल सोमवार से ही राजस्थान सीएम अशोक गहलोत जयपुर में सरकार के कामकाज को लेकर चिंतन शिविर लगा रहे हैं. इसमें विधायकों का रिपोर्ट कार्ड भी तैयार कराने की बात कही जा रही है. कांग्रेस के संगठन और सरकार पर गहलोत की पकड़ है, लिहाजा कांग्रेस का पूरा फोकस चिंतन शिविर पर ही रहने वाला है, लेकिन सचिन भी पीछे नहीं है, शायद इन्हीं तारीखों पर किसान सम्मेलन आयोजित करने का मकसद अपनी ताकत दिखाना ही है. वह 16 के बाद 17 जनवरी को हनुमानगढ़ के पीलीबंगा में सचिन पायलट की सभा है, 18 को झुंझुनूं के गुढ़ा, 19 को पाली के सादड़ी और 20 जनवरी को जयपुर के महाराजा कॉलेज में किसान सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है 

सरगना को पकड़ना चाहिए"

बिना किसी का नाम लिए बिना सचिव पायलट ने कहा, "मैं उम्मीद करता हूं कि आने वाले समय में छोटी-मोटी दलाली करने वालों के बजाय जो सरगना हैं जो इस तरह के काम को होने देते हैं उनको पकड़ना चाहिए." कांग्रेस नेता ने कहा कि इस देश के नौजवान को उसकी मेहनत का सही फल नहीं मिलेगा, तो उसके विश्वास में कमी आ जाएगी जो हमारे समाज, प्रदेश, हमारे देश के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा.

वहीं जयपुर में खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास से जब पायलट की टिप्पणी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में पायलट का कोई सुझाव होगा तो उनसे लेंगे. खाचरियावास ने कहा, "पायलट भी किसी आरोपी का नाम बता देंगे तो हम उस को भी नहीं छोड़ेंगे. पायलट साहब भी तो हमारे घर के ही हैं...दूर थोड़ी ना हैं. उनका कोई सुझाव होगा तो ले लेंगे पायलट साहब हमारे वरिष्ठ नेता हैं, कोई दिक्कत नहीं है." 

पेपर लीक में 55 लोगों को गिरफ्तार किया

राजस्थान पुलिस ने दिसंबर में द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक मामले में अब तक 37 अभ्यर्थियों समेत कुल 55 लोगों को गिरफ्तार किया है. दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए. इस मामले में एक स्कूल के प्रधानाचार्य सुरेश बिश्नोई, एमबीबीएस छात्र भजनलाल और रायता राम चौधरी को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने कहा कि आरोपी भूपेंद्र सारण व सुरेश ढाका अभी पकड़ से बाहर हैं. 

एमएसपी पर कानून की मांग की

परबतसर के किसान सम्मेलन में बड़ी संख्या में युवा व किसान मौजूद थे. पायलट ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार से फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का कानून बनाने की मांग की. उन्होंने कहा कि अगर देश का किसान और नौजवान संगठित हो गया तो वह हर उस ताकत को, जो तोड़ना चाहती है, अफवाह फैलाना चाहती और झूठ बोलकर सत्ता में आना चाहती है, उसे परास्त कर देगा. पायलट ने कहा कि जाति, बिरादरी, धर्म, भाषा, प्रांत के नाम पर हो रही राजनीति के जहर को केवल दो कौमें ही तोड़ सकती हैं, एक है जवानी और दूसरी है किसानी.

मन बहुत आहत होता है

लाखों युवाओं की ओर से परीक्षाओं की तैयारी किए जाने का जिक्र करते हुए सचिन पायलट ने कहा कि गांव में जब गरीब नौजवान तैयारी करता है तो उसके माता-पिता व उसके परिवार को काफी पीड़ा और मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. वह दिन रात मेहनत करके किताबों के लिए पैसे जुटाते हैं. उन्होंने कहा कि गांव का नौजवान विपरीत परिस्थितियों में पढ़ाई करके परीक्षा की तैयारी करता है, लेकिन जब ऐसा प्रकरण सामने आता है तो सच में मन बहुत आहत होता है ।

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अशोक गहलोत ने शुरू किया चिंतन शिविर

दूसरी तरफ पायलट के हमलों के जवाब में गहलोत ने दो दिन का कांग्रेस चिंतन शिविर कर रहे हैं. सोमवार से शुरू हुए इस शिविर में गहलोत अपने मंत्रियों का विभागवार कामकाज और उपलब्धियों का रिपोर्ट कार्ड रख रहे हैं. वह हाईकमान को इससे सीधा संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी सरकार अच्छा काम कर रही है. ऐसे में बदलने पर न सोचें. चिंतिन शिविर में पायलट की किसान रैली की आवाज भी गूंजी. पायलट के पेपर लीक कराने वालों पर कार्रवाई की मांग के बाद हरकत में आई गहलोत सरकार ने शाम होने तक घोषणा कर दी कि पेपर लीक से निपटने के लिए पेपर माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए विधानसभा में एक्ट पास कराएगी.

कांग्रेस के लिए दोनों संपत्ति - both property for Congress

राहुल गांधी ने हाल ही में कहा था कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही कांग्रेस की संपत्ति हैं. असलियत यही है कि गहलोत और सचिन पायलट को लेकर कांग्रेस अभी तक ऊहापोह में है, इसकी असली वजह राजस्थान का ट्रेंड है, इस लिहाज से कांग्रेस को इस चुनाव में नुकसान होने के चांस ज्यादा हैं, हालांकि पार्टी गहलोत के पक्ष में इसलिए नजर आ रही है, क्योंकि गहलोत राजस्थान की जनता के सामने अपने आखिरी चुनाव का इमोशनल कार्ड खेलकर पार्टी के लिए संजीवनी बन सकते हैं. यदि पायलट को चुनाव की कमान दी गई और राजस्थान में जीत न मिल सकी तो पार्टी एक ऐसा नेता भी खेा सकती है, जिसकी राष्ट्रीय राजनीति और खासकर युवाओं पर अच्छी पकड़ है. हाल ही में पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा राजस्थान का हल निकालने में जुटे हैं.

पायलट को मिली कुर्सी तो न हो चन्नी जैसा हाल - If the pilot gets the chair, he may not be like Channi.

सितंबर 2022 में आलाकमाल के सामने अशोक गहलोत की बगावत के बाद से वो बैठक पेंडिंग है, जिसमें राजस्थान को लेकर बड़ा फैसला होना है. विशेषज्ञ ऐसा मानते हैं कि उस बैठक में ही राजस्थान के सीएम को लेकर फैसला हो सकता है कि कमान गहलोत के हाथ में रहेगी या जिम्मेदारी पायलट को मिलेगी. कांग्रेस को डर है कि यदि चुनाव से 10 महीने पहले पायलट को कुर्सी दे दी गई तो उन्हें काम करने के लिए बेहद कम वक्त मिलेगा. ऐसी स्थिति में राजस्थान में पायलट का हाल भी पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी जैसा हो सकता है. यदि ऐसा हुआ तो पंजाब की तरह राजस्थान में ही कांग्रेस का दांव खराब हो जाएगा.

दिसंबर में खत्म होगा सरकार का कार्यकाल - Government's tenure will end in December

राजस्थान में 2023 के अक्टूबर माह में चुनावों का ऐलान किया जा सकता है, यहां सरकार का कार्यकाल दिसंबर में खत्म हो रहा है. वर्तमान में कांग्रेस के पास यहां 200 सीटें हैं. खास बात ये है कि यहां हमेशा की तरह कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुकाबला होने की उम्मीद है. भाजपा ने 2018 में यहां वसुंधरा राजे की लीडरशिप में चुनाव लड़ा था, लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी थी. इस बार यहां वापसी के लिए बीजेपी पूरा जोर लगा रही है, लेकिन कांग्रेस भी यहां मात खाने के मूड में नजर नहीं आ रही.

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