सन्यास और संसार दोनो के साथ चलने में ही जीवन की सार्थकता : परम आलय - JALORE NEWS
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सन्यास और संसार दोनो के साथ चलने में ही जीवन की सार्थकता : परम आलय - JALORE NEWS
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 18 अप्रैल 2023 ) जिस तरह एक टांग से यात्रा नही की जा सकती, उसी प्रकार जीवन यात्रा की सार्थकता भी दोनो टांगो पर चलने से है। एक संसार और दूसरा सन्यास। बाहर से समृद्धि और भीतर से सन्यास। सन्यास यानि खिला हुआ मन, आसक्ति रहित मन।
यह बात सन टू ह्यूमन के प्रणेता परम आलय ने स्थानीय गायत्री मंदिर के पास चल रहे नए दृष्टिकोण वाले निशुल्क शिविर के पांचवे दिन अपने संबोधन में कही। परम आलय ने कहा कि सन्यासी वह नहीं, जिसने घर बार छोड़ दिया हो, सन्यासी वह है, जिसके भीतर घर की पकड़ छूट जाती है। हम पदार्थों के साथ इस तरह से चिपक गए है कि स्वयं को भूल बैठे है। मन फैलना चाहता है, विकसित होना चाहता है, ब्रेन के साथ। पदार्थों के साथ मन कभी भी विकसित नही हो सकता। उन्होंने भोजन को बड़ी घटना बताते हुए कहा कि इस भोजन से ही एक मात्र ऊर्जा बनती है, जो सेक्स एनर्जी कहलाती है । लेकिन भोजन के प्रति हमारी जागरूकता ही नही है, जबकि जीवन यात्रा की पहली सीढ़ी भोजन है।
अभिभूत है भीनमाल वासी
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