कृषक भूमि लीज पर देने के लिए पोर्टल पर करवा सकेंगे पंजीयन - JALORE NEWS
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कृषक भूमि लीज पर देने के लिए पोर्टल पर करवा सकेंगे पंजीयन - JALORE NEWS
जालोर ( 17 मई 2023 ) सौर ऊर्जा आजीविका योजना के तहत किसानों की बंजर एवं अनुपयोगी पड़ी भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना में उपयोग हो सकेगा। इसके लिए नया पोर्टल 17 अक्टूबर, 2022 को लॉन्च किया गया है। सौर कृषि आजीविका योजना नाम से लॉन्च किए इस पोर्टल से किसानों को अपनी बंजर एवं अनुपयोगी भूमि पर डेवलपर्स के माध्यम से सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में भी सहायता मिलेगी। जोधपुर डिस्कॉम द्वारा भी सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए कुल 826 सबस्टेशन (1065 प्लांट) चिन्हित किये है व अपलोड किये जा चुके हैं।
जोधपुर डिस्कॉम के प्रबन्ध निदेशक प्रमोद टाक ने इस योजना के संबंध में बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य रूप से कृषि भार वाले लोड सेंटर पर पीएम-कुसुम कम्पोनेंन्ट-सी (फीडर लेवल सोलराइजेशन) के तहत विकसित किए जा रहे विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा संयंत्रों को बढावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने सौर कृषि आजीविका योजना पोर्टल को लॉन्च किया गया है जिससे किसानों को सोलर के माध्यम से अपने नजदीक के 33/11 केवी जीएसएस से दिन में बिजली प्राप्त हो सके। इस योजना के माध्यम से किसानों व भूमि मालिकों को सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिए पूर्व निर्धारित राशि के आधार पर अपनी बंजर या अनुपयोगी भूमि को लीज पर देने का अवसर देकर राज्य के प्रचुर भूमि संसाधनों का उपयोग करना है। किसान सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए अपनी जमीन को लीज पर देने के लिए पंजीकृत कर सकते हैं और सौर ऊर्जा संयंत्र के विकासकर्ता भी पंजीकृत किसानों व भूमि मालिकों से संपर्क के लिए पोर्टल पर पंजीकरण करवा सकते है।
पोर्टल को अब तक 8 लाख से भी ज्यादा लोग देख चुके है जो कि पोर्टल की सफलता एवं इसकी उपयोगिता को दर्शाता है। राजस्थान में पोर्टल पर लगभग 22 हजार कृषकों/जमीन धारकों ने रजिस्ट्रेशन कराया है व करीब 400 ने जमीन से सम्बन्धित कागजात पोर्टल पर अपलोड किये है वहीं लगभग 2600 से भी ज्यादा डेवलपर्स (विकासकर्ता) ने भी रजिस्ट्रेशन कराया है। कई डेवलपर्स (विकासकर्ता) एवं कृषकों/जमीन धारक लगातार पोर्टल की जानकारी ले रहे है एवं योजना में भागीदार होना चाहते है
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पीएम-कुसुम कम्पोनेन्ट-सी के तहत किसानों को मिलेगा लाभ -Farmers will get benefits under PM-Kusum Component-C
प्रबन्ध निदेशक ने बताया कि सोलर प्लांट की स्थापना के बाद सम्बन्धित 33/11 केवी जीएसएस के आसपास के जितने भी कृषि उपभोक्ता है, उन सबको सोलर प्लांट के माध्यम से दिन के समय अच्छी गुणवत्ता की बिजली मिलेगी और उनकी बिजली की समस्या का समाधान होगा । उन्होंने बताया कि भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से कुसुम कम्पोनेन्ट-सी (फीडर लेवल सोलराइजेशन) के तहत इस योजना में केन्द्रीय वित्तीय सहायता का भी प्रावधान है।
वर्तमान में जोधपुर डिस्कॉम ने विभिन्न वृतों के अधीन आने वाले 9 सबस्टेशन ( 13 प्लांटों के लिए एवं जैसलमेर सर्किल के 33 सबस्टेशन (50 प्लांटों) के लिए टेंडर किये जा चुके है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी (एनएचएआई) की अमृतसर-भटिंडा-जामनगर कॉरिडोर से संलग्न स्पेयर जमीन पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए 8 सबस्टेशन (13 प्लांटों) के लिए टेंडर किये गये है जो कि पूरे भारत में अपनी तरह की अनूठी पहली है। पूरे डिस्कॉम क्षेत्र के बचे हुए सभी वृतों के सबस्टेशनों (प्लांटों) के लिए टेंडर प्रक्रियाधीन है व इस योजना के तहत जोधपुर डिस्कॉम ने लगभग 2800 मेगावाट बिजली उत्पादन लक्ष्य निर्धारित किया है।
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पोर्टल पर पंजीकरण करने की प्रक्रिया - Procedure to Register on the Portal
पोर्टल (skayrajasthan.org.in) पर इच्छुक किसान व भूमि मालिक अपनी बंजर और अनुपयोगी भूमि को लीज पर देने के लिए पंजीकृत कर सकेंगे और विकासकर्ता (डेवलपर्स) किसानों द्वारा पोर्टल पर डाले गये भूमि का विवरण देख सकते है एवं संपर्क भी कर सकते है। जिससे डिस्कॉम के 33/11 केवी सबस्टेशन के आसपास के क्षेत्र में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में सुविधा मिलेगी। इस योजना में छोटे प्लांट लगेंगे और इनमें उत्पादित बिजली का लाभ प्लांट के आसपास के क्षेत्रों के किसानों को ही मिलेगा। योजना के तहत जिन क्षेत्रों में कृषि बिजली का भार अधिक है, उन जीएसएस को चिन्हित करके पीएम-कुसुम योजना-सी में फीडर लेवल सोलराइजेशन के तहत संयंत्र स्थापित किए जायेंगे।
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किसानों को देय वार्षिक लीज राशि - Annual lease amount payable to farmers
योजना के तहत कृषकों/जमीन धारकों को 25 वर्षो तक वार्षिक लीज शुल्क देय होगा एवं यह हर दो साल में 5 प्रतिशत की दर से बढायी जाएगी। लीज की राशि न्यूनतम रूपये 80,000/- (अस्सी हजार प्रति वर्ष प्रति हैक्टेयर) से लेकर अधिकतक रू. 1,60000/- (एक लाख साठ हजार प्रति वर्ष प्रति हैक्टेयर), उस क्षेत्र की कृषि भूमि की डीएलसी दर के अनुसार देय होगी।
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