sawal das and mansingh sindal , Kavala Bhadrajun ka history सांवल दास और मानसिंह सिंधल कौन था जाने इतिहास
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sawal das and mansingh sindal , Kavala Bhadrajun ka history सांवल दास और मानसिंह सिंधल कौन था जाने इतिहास
Kavala Bhadrajun गुड़िया (गुड़ा इंद्रपुरा):--सीहा जी ( कवला) के द्वितीय पुत्र मानसिंह सिंधल हुए जो माना जी के नाम से विशेष पहचान रखते थे। मेवाड़ महाराणा की ओर से इनको पावा की जागीर ₹12000 की रेख से मिली हुई थी।
इनके दो पुत्र क्रमशः सांवल दास और लादू सिंह हुए। सावल दास महाराणा अमर सिंह की सेवा में रहा था। विक्रम संवत 1668 (1611 ईसवी )मैं महाराणा अमर सिंह के समय उनके योद्धाओं ने अहमदाबाद से आगरा को जाते हुए मारवाड़ राज्य के व्यापारियों के एक संघ का नारा गांव तक पीछा किया लेकिन व्यापारियों के काफी आगे बढ़ जाने से वे उन्हें नहीं लूट सके। जब इस घटना की सूचना भाटी गोविंद दास को मिली तो वह नाडोल के थाने से पलायन कर मालगढ और भाद्राजून के पास पहुंच उनसे संघर्ष किया। महाराणा की ओर से उस समय मुख्य सरदारों में सिंधल सांवल दास मानावत ,सिंधल
विदा सुजावत, सिसोदिया अर्जुन, देवड़ा पत्ता, सोनगरा सांवत सी , राठौड़ हरिसिंह बलूवोत, राठौर भीव किलानदासोत, आदि ने जोधपुर राज्य की सेना से जमकर संघर्ष किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली और उनको वापस पलायन करना पड़ा था। राठौड़ौ रे खांपो री विगत के अनुसार सांवल दास को महाराणा जगतसिंह की ओर से पावा ठिकाना ₹10000 की रेख से मिला हुआ था उक्त ठिकाना विक्रम संवत 1691 में इन्हें प्रदान किया गया था। सांवल दास धार्मिक व्यक्तित्व के थे उनकी परमपिता शिव में गहन आस्था थी। अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक दैनिक कार्यों के साथ ही सदैव शिव की अर्चना करते रहे।
सांवल दास के वंश क्रम में किशन सिंह हुए। किशन सिंह के दो पुत्र क्रमशः सूरज सिंह और सावंत सिंह हुए। राव भाट की बहीयो में लिखा मिलता है कि सूरज सिंह आतताइयो से संघर्ष करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। कवला के सरोवर के तट के निकट यह संघर्ष हुआ था। ज्ञातव्य है कि यहां के सिंधल राठौड़ ने पावा जाने के बाद गुड़िया में ठिकाना कायम किया था।
सावंतसिंह के वंश क्रम में रणछोड़ सिंह -जीवन सिंह -भीम सिंह -शेर सिंह -बुध सिंह -लक्ष्मण सिंह -जीवराज सिंह -मोती सिंह -रणजीत सिंह -छत्र सिंह हिम्मत सिंह अनंतर ठाकुर सवाई सिंह सिंधल ठिकाने के उत्तराधिकारी बने।
सिंधल राठौड़ राजपूतों का ठिकाना - गढ़ कवला (जालोर)
Post sent by Home of Sindhal Rathor Rajputs - Garh Kavala (Jalore)
JALORE NEWS
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